मंगतपुरम के कूड़ा निस्तारण को जोंटा का प्रस्ताव सबसे अच्छा
मंगतपुरम खत्ते को निस्तारित करने के लिए नगर निगम ने टेंडर प्रक्रिया से कंपनी का चयन कर लिया है। यह कंपनी कूड़े को कंप्रेस करके उस टीले पर पार्क बनाएगी।
मेरठ । मंगतपुरम खत्ते को निस्तारित करने के लिए नगर निगम ने टेंडर प्रक्रिया से कंपनी का चयन कर लिया है। यह कंपनी कूड़े को कंप्रेस करके उस टीले पर पार्क बनाएगी। मंगतपुरम में डंपिंग ग्राउंड पर करीबन 17.50 लाख कूड़ा एकत्र है। इसे निस्तारित करने के लिए 20 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था। इसमें महज दो ही कंपनियों जोंटा और प्रकार ने प्रतिभाग किया। देशभर में विज्ञापन निकलवाने के लिए करीब तीन लाख रुपये खर्च भी हुए। कई बार तिथि बढ़ाई गई लेकिन अन्य किसी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई। इसे देखते हुए अब इन दोनों कंपनियों का टेंडर खोल दिया गया। तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार होने के बाद जोंटा इंफ्राटेक प्रा. लि. का चयन किया गया है। टेंडर की राशि 20 करोड़ रखी गई थी पर इस कंपनी ने 18 करोड़ 10 लाख 90 हजार रुपये का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। नगर निगम ने कंपनी से 15 नवंबर तक डीपीआर मांगी है। इस डीपीआर लखनऊ स्थित क्षेत्रीय पर्यावरण संस्थान (आरसीयूईएस) एवं शासन की उच्चाधिकार समिति के पास भेजी जाएगी। वहां से अनुमति मिलने के बाद ही कंपनी को वर्क आर्डर व अनुबंध पत्र जारी किया जाएगा। दरअसल यहां के कूड़े को निस्तारित करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई थीं, जिसमें तय हुआ था इसे बायोकैपिंग तकनीक से निस्तारित कर दिया जाएगा। यह ऐसी तकनीक है जिसमें कूड़े के ढेर को कंप्रेस करके फैला दिया जाता है। फिर उस पर मिट्टी आदि डालकर उसे समतल कर दिया जाता है। इसके बाद इसके ऊपर पौधरोपण किया जाता है और पार्क बना दिया जाता है। कंपनी पार्क बनाकर 20 साल तक इसकी देखरेख करेगी। 15 फीट ऊंचाई पर बनेगा पार्क करीब 9.65 एकड़ के इस डंपिंग ग्राउंड में कूड़े को करीब नौ महीने में पार्क योग्य बना निस्तारित कर दिया जाएगा। कूड़े का टीला काफी ऊंचा, कंप्रेस करने पर ऊंचाई कम हो जाएगी। हालांकि नियम है कि टीला कितना भी ऊंचा हो कंप्रेस करके उसे अधिकतम पांच मीटर (15 फीट) तक लाना होगा। अनुमान है यह टीला भी कंप्रेस करने के बाद करीब 15 फीट तक रहेगा। इन्होंने कहा.. मंगतपुरम के कूड़े को बायोकैपिंग तकनीक से निस्तारित करने के लिए टेंडर निकाला गया था। जोंटा कंपनी को तकनीकी रूप से पात्र पाया गया है। कंपनी से डीपीआर लेकर क्षेत्रीय पर्यावरण संस्था व शासन की उच्चाधिकार समिति को भेजी जाएगी। -मनोज कुमार चौहान, नगर आयुक्त