सर्दी का मौसम सेहतमंद...लेकिन धुंध में आंखों की देखभाल जरूरी

सर्दी का सीजन स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है। कोहरा या धुंध की स्थिति में आंखों की सुरक्षा जरूरी होती है।

By Edited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 12:36 PM (IST)
सर्दी का मौसम सेहतमंद...लेकिन धुंध में आंखों की देखभाल जरूरी
सर्दी का मौसम सेहतमंद...लेकिन धुंध में आंखों की देखभाल जरूरी
मेरठ (जेएनएन)। सर्दी का सीजन स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है। कोहरा या धुंध की स्थिति में आंखों की सुरक्षा जरूरी होती है। क्योंकि धुंध में व्याप्त धूल आंखों में चुभती है और एलर्जी होने लगती है। कोल्ड डायरिया और सर्दी-जुकाम बच्चों में बहुत होता है। सर्दी में बच्चों का विशेष ध्यान रखें। सेहत के लिए हरी सब्जिया का सेवन इन दिनों बहुत फायदेमंद होता है। वायरल संक्रमण, डेंगू, स्वाइन फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है। मेडिकल कॉलेज में मौसमी बीमारियों से निपटने के इंतजाम पर्याप्त हैं। कुछ ऐसे ही परामर्श दैनिक जागरण के नियमित कॉलम प्रश्न पहर में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं प्राचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ. आरसी गुप्ता ने दिए। बड़ी संख्या में लोगों ने फोन पर सेहत से संबंधी जानकारी हासिल की। 

चोट लगने से आंख की रेटिना में समस्या हो गई है। दिल्ली में इलाज कराया था। लेकिन समस्या ठीक नहीं हुई। क्या मेरठ में इसका उपचार हो सकता है?
प्रमिला कपूर , बुढ़ाना गेट
-55 साल के ऊपर के लोगों में एआरएमडी (एज रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन) हो जाता है। मेडिकल कॉलेज में जांच की सुविधा है लेकिन रेटिना स्पेशलिस्ट नहीं है। एम्स दिल्ली में दिखा सकते हैं। 
कल शाम उल्टी हुई थी। काफी ब्लड निकला था। अल्ट्रासाउंड जांच में पथरी निकली थी। सीने और पीट में दर्द होता है। किडनी में तो समस्या नहीं है?
देवेंद्र कुमार, नारंगपुर
-किडनी की पथरी में उल्टी में खून नहीं आता है। यूरीन से जरूर खून आ सकता है। कुछ और समस्या हो सकती है। मेडिसिन के चिकित्सक को दिखाएं।
मेरी आंखों को धुआं और धूल बर्दाश्त नहीं होती है। खांसी व जुकाम हमेशा बना रहता है। क्या करूं?
राइमा, सद्दीकनगर
-एलर्जी की समस्या जाड़े में या गर्मी में रहती है। धुएं से बचने के लिए गैस चूल्हे का इस्तेमाल क रिए। कुछ दवाएं हैं जिन्हें लेने से राहत मिल सकती है। एलर्जी क्यों हैं इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सक से एक बार जांच जरूर कराएं।
ज्यादा देर तक पढ़ने पर आंखें दुखने लगती हैं। सिर दर्द होने लगता है। चश्मा लगाने के बाद भी यह समस्या है। सुभाष, ब्रह्मापुरी
-चश्मा दूर का लगाते हैं या नजदीक का। अगर नजदीक का लगाते हैं तो दूर का भी लगाकर देखिए। फिर भी तकलीफ रहती है तो नेत्र विशेषज्ञ को दिखाइए।
मेरी बेटी की उम्र 23 साल है। पांच नंबर का चश्मा लगता है। लेजर आपरेशन के लिए दिल्ली गया था लेकिन डॉक्टर ने यह कह दिया कि आपरेशन करना संभव नहीं है।
उमेश चंद्र शर्मा, ब्रह्मपुरी
-आंख की पुतली बहुत पतली होगी। शायद इसलिए लेजर आपरेशन नहीं कर रहे होंगे। एक बार मेडिकल कॉलेज आकर परीक्षण करा लें।
मेडिकल कॉलेज में बेहतर सुविधा मिले इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
अरविंद जिंदल, जानी खुर्द। सीमा शर्मा, शताब्दी नगर
-ई-हॉस्पिटल की सुविधा शुरू हो गई है। दवाओं की उपलब्धता पर जोर दे रहे हैं। सभी जांचे अस्पताल में हों इस पर गौर किया जा रहा है। मरीजों से अच्छा व्यवहार रखने के लिए जूनियर डॉक्टर, नर्स की काउंसिलिंग की जा रही है।
पिछले साल पिता की आंख दिल्ली में दिखाई थी। मैडम ने इंजेक्शन लगाया था। जिससे पर्दा फट गया था। रोशनी कम हो गई है। ऊंचा-नीचा भी दिखता है।
बबलू, मेरठ
-मेडिकल कॉलेज में नेत्र विशेषज्ञ को दिखाइए। जांच के बाद ही कंफर्म हो पाएगा कि समस्या क्या है। इंजेक्शन के अलावा भी अन्य कारणों से समस्या हो सकती है।
मैं शाकाहारी हूं। खाने में ऐसा क्या शामिल किया जाए जिससे हमारी आंखों की रोशनी लंबे समय तक सुरक्षित रहे।
साहिल जैन, शारदा रोड
-वैसे तो एक आदमी जो खाता है वही आहार पर्याप्त है। फिर भी हरी सब्जियों का सेवन अधिक करें। गाजर ज्यादा खाएं। इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो आंखों की रोशनी बेहतर रखते हैं।
आठ माह का बच्चा है। जन्म से ही जुकाम बना रहता है। खांसता भी बहुत है। किसे दिखाएं।
सौरभ तोमर, मेरठ
-बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाइए। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें। दवाएं नुकसान भी कर सकती हैं। मेडिकल कॉलेज में अच्छे बाल रोग विशेषज्ञ हैं।
दस साल का बेटा है। जन्म से ही आंख में समस्या थी। कम दिखाई देता है। पर्दा हिलता है। कई जगह दिखाया पर मर्ज ठीक नहीं हुआ।
अदनान खान, श्यामनगर
-जन्मजात बीमारी हो सकती है। शुरू में ही इलाज कराना चाहिए था। उम्र अधिक हो गई है। नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। जांच के बाद ही बताया जा सकता है कि समस्या ठीक होगी या नहीं।
मेरी आंख में पानी आता है। मिर्ची बहुत लगती है। क्या दिक्कत हो सकती है।
अमित कुमार, बागपत रोड। प्रमोद कुमार, सिसौली
-एलर्जी हो सकती है। जहां रहते हैं वहां धुआं या धूल तो नहीं है। एंटी एलर्जी ड्रॉप ले सकते हैं। सुबह दोपहर शाम तीन बार डालने से आराम मिलेगा।
ओपीडी में बहुत भीड़ रहती है। स्किन, गायनिक और मेडिसिन में घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। ओपीडी का समय बढ़ाने पर विचार क्यों नहीं कर रहे हैं।
अजय सेठी, प्रहलाद नगर
-नई ओपीडी रजिस्ट्रेशन का काउंटर बनेगा। शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। मरीज बढ़ गए हैं लेकिन व्यवस्थाएं पुरानी ही हैं। ओपीडी का समय बढ़ाने पर विभागाध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे।
आंखों में खुजली होती है, डॉक्टर एलर्जी बता रहे हैं। जब दवा खाते हैं आराम मिल जाता है जैसे ही दवा बंद कर देते हैं फिर खुजली शुरू हो जाती है।
शेखर त्यागी, फतेहपुर नारायन
-एलर्जी को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। दवा डालना एकदम से बंद न करें। पहले एक सप्ताह चार बूंद, फिर दूसरे सप्ताह दो बूंद और फिर एक बूंद ..इस तरह दवा बंद करें। अधिक दिन दवा लेने से भी समस्या हो सकती है।
आंख बनवाई है। बांयी तो ठीक है लेकिन दायीं में बहुत दर्द होता है। चश्मा हटाने पर दो दृश्य दिखते हैं।
जगत सिंह मीरपुर।
-चश्मा लग गया है तो अब लगाना ही पड़ेगा। ऐसा कोई उपचार नहीं है कि चश्मा उतर जाएगा। धीरे-धीरे समस्या दूर हो जाएगी।
पैरों में खुजली होती है। ब्लड भी निकल आता है। एलर्जी की दवा लेती हूं पर ठीक नहीं हो रही।
शशि वर्मा, प्रीत विहार
-जो दवा आप ले रही हैं उसका असर केवल 24 घंटे रहता है। उसे नियमित रखें। उचित होगा कि एक बार स्किन के डॉक्टर को दिखा लें और फिर दवाएं लें।
जागरण के पांच सवाल:-
प्रश्न: मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों के स्थानांतरण हो गए हैं। ऐसे में चिकित्सकों की कमी से कैसे निपटेंगे?
उत्तर: चिकित्सकों की कमी है। इसे दूर करने के लिए हर मंगलवार को वॉक इन इंटरव्यू किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इससे निजात मिलेगी।
प्रश्न: इमरजेंसी में वरिष्ठ चिकित्सक मौजूद नहीं रहते। गंभीर केस रेफर कर दिए जाते हैं। कैसे यह व्यवस्था सुधरेगी?
उत्तर: सीनियर डॉक्टरों से बात की है। इमरजेंसी मेडिकल अफसरों की कमी है। जिसे देखते हुए नॉन पीजी रेजीडेंट डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जा रही है। प्रत्येक शिफ्ट में दो डॉक्टर बढ़ जाएंगे।
प्रश्न: ओपीडी में भीड़ बढ़ती जा रही है। मरीजों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है। इससे राहत कब मिलेगी?
उत्तर: ई-हॉस्पिटल की व्यवस्था लागू हो गई है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिल रही है। घर बैठे ओपीडी पर्ची प्राप्त कर सकते हैं। नया ओपीडी रजिस्ट्रेशन भवन के लिए प्रस्ताव भी भेजा है।
प्रश्न: मरीजों की शिकायत है कि जो जांच अस्पताल में मौजूद है वह बाहर से चिकित्सक कराते हैं।
उत्तर: डॉक्टरों से बात की गई है। बाहर से जांच कराने को नहीं कहा जाता है। सेंट्रल लैब की लोकेशन ठीक नहीं है। मरीज ढूंढ़ नहीं पाते हैं। लैब पुरानी इमरजेंसी में शिफ्ट करने की तैयारी है।
प्रश्न: प्राइवेट वार्ड लंबे समय से बंद है। कब तक चालू करने की योजना है?
उत्तर: सही बात है। काफी समय से बंद हैं। कुछ दिन पहले ही प्राइवेट वार्ड की मरम्मत शुरू कराई है। जनवरी से मरीजों को प्राइवेट वार्ड की सुविधा मिलने लगेगी।
chat bot
आपका साथी