देश का दिल अगर यूपी है तो मेरठ लीवर : राज्यपाल यादव

जागरण फि ल्म फेस्टिवल में हास्य अभिनेता राजपाल यादव ने फिल्म करियर, अभिनय से लेकर मेरठ से लगाव तक की बात साझा की। दर्शकों की जिज्ञासाओं को शांत किया। जागरण के एसोसिएट एडिटर-फिल्म अनुज अलंकार ने उनसे बातचीत की। हास्य अभिनेता ने कहा कि मेरठ ऊर्जावान शहर है। यहां हस्तिनापुर, परीक्षितगढ़ हैं यहां जिंदादिली और भावनाएं हैं। देश का हृदय अगर यूपी है तो मेरठ लीवर है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 01 Sep 2018 04:00 AM (IST) Updated:Sat, 01 Sep 2018 04:00 AM (IST)
देश का दिल अगर यूपी है तो मेरठ लीवर : राज्यपाल यादव
देश का दिल अगर यूपी है तो मेरठ लीवर : राज्यपाल यादव

मेरठ। जागरण फि ल्म फेस्टिवल में हास्य अभिनेता राजपाल यादव ने फिल्म करियर, अभिनय से लेकर मेरठ से लगाव तक की बात साझा की। दर्शकों की जिज्ञासाओं को शांत किया। जागरण के एसोसिएट एडिटर-फिल्म अनुज अलंकार ने उनसे बातचीत की।

हास्य अभिनेता ने कहा कि मेरठ ऊर्जावान शहर है। यहां हस्तिनापुर, परीक्षितगढ़ हैं यहां जिंदादिली और भावनाएं हैं। देश का हृदय अगर यूपी है तो मेरठ लीवर है। उन्होंने मवाना के ढिकोली में बन रही फिल्म जाको राखे साइंया के बारे में बताते हुए कहा कि यह पहली सायोग्राफी फिल्म है। जो जीवनलाल के जीवन को जीती है। मेरठ से शुरुआत कर रहे हैं, आगे इसे सात समंदर पार तक ले जाने की तमन्ना है। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मै एक कॉमेडी कलाकार कहा जाता हूं। अभिनय मेरा पेशा है। कला मेरी मां है, जिसकी मैं पूजा करता हूं। मनोरंजन में मस्ती किसे कहते हैं, जिसे जीने की कोशिश करते हैं। उन्होंने संघर्ष के सवाल पर कहा कि स्ट्रगल शब्द बहुत खराब लगता है। स्ट्रगल तो मां करती है जो नौ महीने बच्चे को गर्भ में पालती है। बाकी सब तो सहानुभूति करते हैं। मुझे जन्म नहीं मालूम मुझे मरण नहीं मालूम जिंदगी जीना जानता हूं। फिल्मी सितारों के घर से एक्टर निकलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिल्मी बैकग्राउंड से आना आसान हो सकता है, लेकिन सेंचुरी मारने का मौका पब्लिक ही देती है। कड़ी मेहनत कर साबित करना होता है। यह परंपरा टूट रही है कई कलाकार हैं जो नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से गए हैं और आज जनता से उन्हें अपना सितारा बनाया है। उन्होंने कहा कि 1984 में फिल्मी करियर की शुरुआत हुई। शाहजहांपुर से लखनऊ औ लखनऊ से मुंबई पहुंचा। अभी तक 200 से अधिक फिल्मों में काम कर चुका हूं।

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दर्शको के कुछ सवाल-जवाब

सवाल: फिल्में फ्लाप बहुत हो रही हैं। क्या आप खेल और सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाएंगे?

जवाब: समाज के हर पहलू पर फिल्में बननी चाहिए। मेरी इच्छा है कि हरियाणा के किसान नेता छोटू राम पर फिल्म बनाऊं। रही बात फ्लाप की तो जीत माथे का तिलक है तो हार गर्दन का हार।

सवाल: आप सफल अभिनेता हैं। परिवार को कितना समय दे पाते हैं?

जवाब: मेरे पास 365 दिन है, मै 200 दिन अभिनय को देता हूं। 65 दिन परिवार के लिए हैं। बाकी 100 दिन देशसेवा के लिए हैं।

सवाल: आपने फिल्म अभिनेता होते हुए राजनीतिक पार्टी बनाई है। ऐसा क्यों किया?

जवाब: मुझे चुनाव लड़ने के खूब मौके मिले, लेकिन मैं एक ऐसा संगठन बनाना चाहता हूं जो देश का कद बढ़ाए। अमीर-गरीब के बीच बनी खाई को पाटने का काम करे।

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