बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मिसाल बना त्रिचुरापल्ली
नमस्कार दोस्तों, मैं तमिलनाडु राज्य का चौथा सबसे बड़ा शहर त्रिचुरापल्ली हूं। कावेरी नदी के किनारे मैं बसता हूं। मैं अपने लोगों के स्वास्थ्य का बखूबी ख्याल रखता हूं। मेरे यहा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और आइआइएम जैसे बेहतरीन संस्थान हैं। ऐतिहासिक और टूरिस्ट हब होने के कारण भी लाखों लोग शहर में आते हैं।
मेरठ। नमस्कार दोस्तों, मैं तमिलनाडु राज्य का चौथा सबसे बड़ा शहर त्रिचुरापल्ली हूं। कावेरी नदी के किनारे मैं बसता हूं। मैं अपने लोगों के स्वास्थ्य का बखूबी ख्याल रखता हूं। मेरे यहा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और आइआइएम जैसे बेहतरीन संस्थान हैं। ऐतिहासिक और टूरिस्ट हब होने के कारण भी लाखों लोग शहर में आते हैं।
हाल में भारत सरकार द्वारा जारी हुए ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में स्वास्थ्य क्षेत्र में मेरे काम को सराहा गया है। मुझे 111 शहरों में सबसे आगे रखा गया है। यह मेरे लिए बेहद गर्व की बात रही है। आखिर यह सब कैसे हुआ, हेल्थकेयर में मैंने ऐसा किया कि मुझे नंबर वन का खिताब मिला? यह वाकई सभी के लिए यक्ष प्रश्न है। स्वास्थ्य के लिए निर्धारित 6.25 अंकों में मुझे 6.16 अंक प्राप्त हुए। आखिर यह सब कैसे हुआ यह मैं अवश्य बताना चाहूंगा।
टूरिज्म हब के साथ हेल्थ हब भी बना
अब बात त्रिचुरापल्ली की हो तो टियर 2 शहर होने के बाद भी यह मेडिकल टूरिज्म हब के तौर पर भी विख्यात हो रहा है। यह सीधे तौर पर चेन्नई, कोयम्बटूर और मदुरई को टक्कर दे रहा है। शहर में इंटेसिव केयर यूनिट, सर्जिकल यूनिट, ऑपरेशन थिएटर, प्री और पोस्ट ऑपरेटिव केयर सुविधाएं बेहद अच्छी स्थिति में हैं। वहीं, यहा के अस्पताल भी डॉक्टरों से ज्यादा खुद के नाम को ज्यादा प्रमोट करते हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशसन के अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडेकर ने बताया कि यह शहर सास्कृतिक तौर पर सिंगापुर से जुड़ा हुआ है। यहा से कई देश की फ्लाइट भी सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि त्रिचुरापल्ली के कई लोग सिंगापुर में बसे हुए हैं, सिंगापुर भी हेल्थकेयर में बेहतर है। इसका असर सीधा इस शहर पर दिखता है।
त्रिचुरापल्ली के शाहनवाज हॉस्पिटल के चेयरमैन और आईएमए के चेयरमैन हास्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया डॉ.ए जमीर पाशा ने बताया कि सफाई व्यवस्था के लिए शहरवासियों का रवैया बेहद शानदार है। इसका असर यहा के सरकारी और कॉरपोरेशन अस्पतालों पर दिखता है। वहीं त्रिचुरापल्ली के डी अशरफ ने बताया कि साक्षर होने के कारण लोगों को सेंस ऑफ हाइजीन है।
शहर में स्वास्थ्य के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप का आयोजन भी समय-समय पर होता रहता है। हाल में एनीमिया के लिए 25 हजार छात्राओं को जागरूक कर उन्हें दवाई दी गई थी। वहीं कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए शहर में हर सप्ताह कहीं न कहीं कैंप लगते हैं। लोगों को हर 15 दिन में उनके स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने का काम किया जाता है।
सफल शहरों से सीखें बेहतर हेल्थ सेवाएं
शहर को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों और जिम्मेदार अफसरों ने अपनी राय दी है। शहर की हेल्थ व्यवस्था को महत्वपूर्ण मानते हुए उन्हें सुधारने के सुझाव दिए गए हैं। शहरों में महंगा इलाज सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। साथ ही सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों की बेहद कमी है। कई अस्पतालों में डॉक्टरों का अभाव देखा गया है। कई शहरों में इमरजेंसी की हालत में सरकारी अस्पताल कारगर नहीं हो रहे हैं। दवाईया काफी महंगी हैं और जेनेरिक दवाओं के स्टोर नहीं खोले जा रहे हैं।