अंतिम यात्रा के रूट पर पुलिस-परिजनों में जमकर खींचतान

शहीद की अंतिम यात्रा के रूट को लेकर एसपी ट्रैफिक संजीव वाजपेयी और रिश्तेदारों में खींचतान हो गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 08:33 AM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 08:33 AM (IST)
अंतिम यात्रा के रूट पर पुलिस-परिजनों में जमकर खींचतान
अंतिम यात्रा के रूट पर पुलिस-परिजनों में जमकर खींचतान

मेरठ । शहीद की अंतिम यात्रा के रूट को लेकर एसपी ट्रैफिक संजीव वाजपेयी और रिश्तेदारों में खींचतान हो गई। ट्रैफिक पुलिस ने अंतिम यात्रा का रूट जानी क्षेत्र से होते हुए पतला पहुंचने का बनाया था जबकि परिजन व रिश्तेदार अंतिम यात्रा को मोदीनगर होते हुए पतला ले जाना चाहते थे। रूट को लेकर सोमवार को स्थिति स्पष्ट न होने के कारण मंगलवार सुबह मिलिट्री अस्पताल से पार्थिव शरीर निकलने के बाद दोनों पक्षों में खींचतान शुरू हो गई।

बाइपास पर रुकी यात्रा

कंकरखेड़ा से बाइपास पर चढ़ने पर एसपी ट्रैफिक ने शहीद के रिश्तेदारों की बात शहीद के पिता से करानी चाही, ताकि वे जानी के रास्ते जाने को तैयार हो जाएं। फोन पर सिवालखास विधायक जितेंद्र सतवई से बात कराने पर रिश्तेदार नाराज हो गए और बिना पुलिस एस्कॉर्ट के ही अंतिम यात्रा ले जाने की बात कहने लगे। मामला बिगड़ता देख सेना के अफसर ने लोगों को समझाया और कहा कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी शहीद के पार्थिव शरीर परिजनों के सुपुर्द करना है। सेना पुलिस के सहयोग से ही आगे बढ़ेगी। इसी बीच शहीद अजय कुमार के पिता वीरपाल ने ट्रैफिक पुलिस के रूट के अनुसार ही यात्रा ले जाने को कहा। इसके बाद अंतिम यात्रा को जानी के रास्ते ले जाया गया। बसा टीकरी में दूसरे दिन भी नहीं जले चूल्हे, बंद रहे बाजार

मेरठ । सरहद पर दुश्मनों से दो-दो हाथ करते बसा टीकरी के बेटे अजय को शहादत मिली तो गांव ही नहीं आसपास के लोगों का सीना भी गर्व से फूला था। तिरंगा में लिपटा अजय का शव गांव आया तो इस दुख की घड़ी में भी पूरा गांव शरीक हुआ।

अजय के शहीद होने की खबर सोमवार को मिली तो गांव में किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। अंतिम संस्कार के दिन मंगलवार को भी पूरा गांव गमगीन था। शवयात्रा से अंतिम संस्कार तक में गांव के हर घर से लोग शामिल हुए। महिलाएं शहीद के घर पर थीं। बसा टीकरी से मिला गाजियाबाद जिले का गांव है पतला, यहां पर भी अजय की शहादत के शोक में मातम पसरा था। पतला इंटर कॉलेज के पास के चौराहे की दुकानें बंद थीं। तीन किमी दूर गाजियाबाद के निवाड़ी गांव का बाजार भी बंद था।

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