Pollution In Meerut: पटाखों संग फूटा प्रदूषण का बम, बारिश भी बेअसर,जानें-शहर का पीएम लेवल

प्रदूषण से कराहते मेरठ की हवा में बारूद की धुंध और गहरी हो गई। कालोनियां धुआं-धुआं हो गईं। पीएम2.5 का स्तर पिछले दिन के मुकाबले दोगुना हो गया। ऐसे में डाक्‍टरों ने बताया कि यह बढ़ता प्रदूषण कैसे जानलेवा साबित हो रहा है।

By Prem BhattEdited By: Publish:Mon, 16 Nov 2020 09:20 AM (IST) Updated:Mon, 16 Nov 2020 09:20 AM (IST)
Pollution In Meerut: पटाखों संग फूटा प्रदूषण का बम, बारिश भी बेअसर,जानें-शहर का पीएम लेवल
दीपावली के धमाकों ने शहर के प्रदूषण स्‍तर को और बदतर कर दिया।

मेरठ, जेएनएन। Pollution In Meerut रोशनी से जगमगाते शहर में कानफोड़ू पटाखों की क्या जरूरत थी...हम बस इतनी से बात नहीं समझ पाए। पटाखों पर पाबंदी के बावजूद दीपावली की रात जमकर आतिशबाजी हुई। प्रदूषण से कराहते मेरठ की हवा में बारूद की धुंध और गहरी हो गई। कालोनियां धुआं-धुआं हो गईं। पीएम2.5 का स्तर पिछले दिन के मुकाबले दोगुना हो गया, वहीं रविवार शाम छह बजे बारिश के बावजूद हवा से प्रदूषण की टस से मस से नहीं हुआ, जिस पर पर्यावरणविद् हैरान हैं। उधर, सांस के मरीज घरों से बाहर निकले तो छींक और खांसी के साथ ही सांस का अटैक भी पड़ा।

यह रहे हालात

शनिवार को धूम धड़ाक के साथ दीवाली मनाई गई। बाजारों में पटाखों की बिक्री पर रोक थी, ऐसे में माना जा रहा था कि इस बार आतिशबाजी पर नियंत्रण लगेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शाम छह बजे आतिशबाजी शुरू हुई, और रात 11 बजे तक चलती रही। दीवाली से एक दिन पहले रात दस बजे गंगानगर में जहां एक्यूआई का स्तर 286 था, वहीं आतिशबाजी वाली रात दस बजे 413 अंक दर्ज हुआ। तीनों स्टेशनों पर प्रदूषण बढ़ा हुआ मिला। एनसीआर के सभी शहरों में जबरदस्त धुध छा गई। पटाखों से सल्फर, नाक्स, मोनोआक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड, हेवी मेब्ल एवं पार्टीकुलेट मैटर बड़ी मात्रा में हवा में पहुंच गए। दीवाली की रात शोरगुल ज्यादा होने से डेसीबल का स्तर बढ़ा मिला। हालांकि अन्य वर्षों की तुलना में प्रदूषण कम रहा।

13 नवंबर को प्रदूषण दीवाली की रात प्रदूषण

गंगानगर-286 413

पीएम 2.5-92 318

जयभीमनगर-399 410

पीएम 2.5-256 301

पल्लवपुरम-348 386

पीएम 2.5-218 306

बुलंदशहर-305 439

पीएम 2.5-110 332

बारिश भी नहीं दूर सकी प्रदूषण

दीपावली के अगले दिन यानी रविवार शाम छह बजे तेज बूंदाबादी हुई। माना जा रहा था कि हवा में घुले विषाक्त कण धुल जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शाम छह बजे से रात दस बजे तक एक्यूआई में खास सुधार नहीं दर्ज किया गया। पर्यावरणविद हैरान हैं कि बारिश भी प्रदूषण को दूर नहीं कर पाई।

स्टेशन शाम छह बजे रात 9 बजे रात 10 बजे

गंगानगर 340 307 298

जयभीनगर 403 400 400

पल्ल्वपुरम 363 359 354

शोरगुल भी बढ़ा

स्थान 13 नवंबर 14 नवंबर

कैंट अस्पताल 53.4 68.1

कलेक्ट्रेट 63.6 77.6

रेलवे रोड 77.8 82.2

बेगम ब्रिज 75.9 81.6

थापरनगर 68.2 83.4

शास्त्रीनगर 63.3 73.2

कंटोनमेंट 50.5 62.6

पल्लवपुरम 66.9 78.8

नोट : शोरगुल मानक डेसिबल में है। रात में सेंसटिव जोन में 40, आवासीय में 45, कामर्शियल जोन में 55 और औद्योगिक क्षेत्रों में अधिकतम 70 डेसिबल होना चाहिए।

इनका कहना है

पटाखों का प्रदूषण घातक होता है, जो वायुमंडल में देर तक टिकता है। आतिशबाजी में कई प्रकार के रसायन निकलते हैं, जो सर्दियों में हवा की निचली परत में बने रहते हैं। ये अस्थमा, सीओपीडी के ट्रिगर होते हैं। बारिश के बावजूद प्रदूषण के स्तर में उतनी कमी नहीं आई, जितनी होनी चाहिए। आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषित कण अपेक्षाकृत भारी होते हैं। ये बेहद घातक हैं।

- डा. एसके त्यागी, पर्यावरण वैज्ञानिक, गाजियाबाद

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