मुजफ्फरनगर : दंगों के दो मुकदमों में नौ आरोपित बरी, 2013 में हुआ था जानलेवा हमला, डकैती व आगजनी

मुजफ्फरनगर जिले में सांप्रदायिक दंगों से जुड़े दो अलग-अलग केस में अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए नौ आरोपितों को बरी कर दिया। आरोपितों ने मारपीट की। नकदी जेवर लूट लिया और घर में आग लगाकर 15 लाख रुपये का सामान जला दिया था।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Tue, 31 Aug 2021 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 31 Aug 2021 08:18 AM (IST)
मुजफ्फरनगर : दंगों के दो मुकदमों में नौ आरोपित बरी, 2013 में हुआ था जानलेवा हमला, डकैती व आगजनी
अदालत ने दंगों से जुड़े मामलों में नौ आरोपितों को बरी कर दिया।

राशिद अली, मुजफ्फरनगर। साल 2013 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े दो अलग-अलग मुकदमों में कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए नौ आरोपितों को बरी कर दिया। गांव फुगाना निवासी नकली उर्फ रफीक ने 21 सितंबर को मुकदमा दर्ज कराया था कि आठ सितंबर 2013 को गांव के सचिन पुत्र नारायण, योगेश पुत्र नरेंद्र्र, सतेंद्र पुत्र चरण सिंह, शनि पुत्र महक सिंह एवं मनोज पुत्र राजपाल ने दर्जनों अज्ञात लोगों के साथ मिलकर उनके घर पर हमला बोला था। भाले, बल्लम तथा तमंचों से उसे तथा परिवार के सदस्यों को घायल कर दिया था। आरोपितों ने मारपीट की। नकदी, जेवर लूट लिया और घर में आग लगाकर 15 लाख रुपये का सामान जला दिया। यह प्रकरण काफी चर्चाओं में भी रहा था।

घर पर हमला बोला था

दूसरे मामले में बहावड़ी निवासी कामिल ने गांव के ही हजारी पुत्र आशाराम, रामकुमार पुत्र आशाराम, अंकित पुत्र रामकुमार तथा अनिल पुत्र हजारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था कि उक्त ने अन्य अज्ञात आरोपितों के साथ मिलकर आठ सितंबर 2013 को उनके घर पर हमला बोला। डकैती के बाद घर में आग लगाकर लाखों रुपये का सामान फूंक दिया गया। उस वक्‍त इस मामल ने काफी तूल पकड़ा था। इस प्रकरण में कार्रवाई की मांग की गई थी।

संदेह का लाभ

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या छह बाबूराम ने दोनों मुकदमों की सुनवाई की। दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद पेश सुबूत तथा गवाह के आधार पर संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया।

पक्षद्रोही साबित हुए सभी गवाह

दोनों मुकदमों की सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा तथा चश्मदीद अपने बयान से मुकर गए। अभियोजन की याचना पर कोर्ट ने सभी को पक्षद्रोही घोषित किया।

बरी होने के ये भी कारण

- मारपीट के संबंध में कोई साक्ष्य-जैसे मेडिकल रिपोर्ट पेश न कर पाना।

- घर जलाने के फोटो पेश किए, जिन्हें अभियोजन साबित नहीं कर पाया।

- एफआइआर विलंब से दर्ज कराने का उचित कारण साबित नहीं कर पाए।

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