गांव की सूरत बदल रहे मनोज: 25 सालों तक की देश सेवा, अब लिख रहे विकास की कहानी

करीब 25 साल पहले सेना में भर्ती हुए और देश सेवा की। सेवानिवृति के बाद ग्राम प्रधान बनकर गांव की सेवा कर रहे हैं। गांव अतलपुर के ग्राम प्रधान मनोज चौधरी की अलग सोच व कुछ बेहतर करने की लगन ने गांव की सूरत काफी हद तक बदल दी है।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 01:58 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 01:58 PM (IST)
गांव की सूरत बदल रहे मनोज: 25 सालों तक की देश सेवा, अब लिख रहे विकास की कहानी
मेरठ में मनोज बदल रहे मेरठ के गांव की तस्‍वीर।

नवनीत शर्मा, मेरठ। परीक्षितगढ़ विकास खंड के गांव अतलपुर के ग्राम प्रधान पूर्व फौजी की कहानी किसी को भी प्रेरित कर सकती है। करीब 25 साल पहले सेना में भर्ती हुए और देश सेवा की। सेवानिवृति के बाद ग्राम प्रधान बनकर गांव की सेवा कर रहे हैं। गांव अतलपुर के ग्राम प्रधान मनोज चौधरी की अलग सोच व कुछ बेहतर करने की लगन ने गांव की सूरत काफी हद तक बदल दी है। कोरोना काल में गांव की निगरानी, साफ-सफाई हो अथवा बीमार ग्रामीणों को समय से उपचार दिलाने की पहल, उन्होंने आगे बढ़कर काम किया। डेंगू का प्रकोप गांवों में बढ़ा तो फागिंग के साथ विशेष सफाई अभियान भी शुरू कराया। ग्रामीणों को स्वच्छता का महत्व भी बता रहे हैं।

शिक्षा पर जोर, युवाओं में भर रहे जोश

ग्राम प्रधान ने गांव के विद्यालय के सभी कमरों में टाइल्स लगवाने के साथ शैक्षिक माहौल बेहतर बनाने में मदद की। इसी का परिणाम है कि पहली बार बड़ी संख्या में स्कूल में बच्चों का प्रवेश हुआ। वह युवाओं को देशभक्ति की सीख देने के साथ नशे से दूर रहने व सेना में भर्ती होने के टिप्स भी चौपाल पर देते हैं। प्रधान अतलपुर मनोज चौधरी ने कहा कि सेना से सेवानिवृत्ति के बाद समाज सेवा शुरू की। ग्रामीणों ने खुद ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। गांव का विकास होगा तो देश का भी विकास होगा।

तय किया विकास का एजेंडा

उन्होंने गांव के तालाब की सफाई, रास्ता निर्माण, श्मशान घाट का सुंदरीकरण, 10वीं तक का कन्या विद्यालय, ओपन जिम, पुस्तकालय, आदर्श पार्क निर्माण कराने का एजेंडा तय किया है। एजेंडे में शामिल अधिकांश कार्यो का प्रस्ताव पास हो चुका है।

खूब दिखाई बहादुरी

भारतीय थल सेना में सैनिक के रूप में जाट रेजीमेंट में भर्ती हुए। सिक्किम, जम्मू-कश्मीर आदि में तैनात रहे। 1999 में 17 जाट रेजीमेंट में रहते हुए कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया। 2009 में हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए। डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव ने कहा कि जनपद में इस बार युवा प्रधानों को बड़ी संख्या में चुना गया है। इसका असर गांव के विकास पर भी दिख रहा है। 

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