कृषि विवि में प्रसार निदेशालय पर वैज्ञानिकों ने की तालाबंदी

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में धरनारत कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने सोमवार सुबह प्रसार निदेशालय के गेट पर तालाबंदी कर दी। जिसके चलते निदेशालय में कामकाज ठप रहा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 May 2019 08:00 AM (IST) Updated:Tue, 14 May 2019 08:00 AM (IST)
कृषि विवि में प्रसार निदेशालय पर वैज्ञानिकों ने की तालाबंदी
कृषि विवि में प्रसार निदेशालय पर वैज्ञानिकों ने की तालाबंदी

मेरठ। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में धरनारत कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने सोमवार सुबह प्रसार निदेशालय के गेट पर तालाबंदी कर दी। जिसके चलते निदेशालय में कामकाज ठप रहा। आरोप है कि फिर भी विवि प्रशासन का रवैया आंदोलनकारियों के प्रति उदासीन ही रहा।

धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए पटेल केवीके कर्मचारी-वैज्ञानिक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. शीशपाल सिंह ने कहा कि 7वें वेतन आयोग संस्तुतियों का लाभ न मिलने एवं प्रमोशन के अनुसार वेतन निर्धारण न होने के कारण प्रत्येक वैज्ञानिक को प्रतिमाह 30-40 हजार रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं, लगभग 22 रिटायर्ड वैज्ञानिक एवं कर्मचारी पेंशन के बिना अभावग्रस्त जीवन जीने को मजबूर हैं। सरकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की मंशा एवं एमओयू के खिलाफ विवि प्रशासन काम कर रहा है। अधिकारी एक-दूसरे के पाले में गेंद फेंककर पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसे में किसी कर्मचारी के साथ कोई अनहोनी होती है तो उसका जिम्मेदार विवि प्रशासन होगा। धरने पर डॉ. डीपी सिंह, डॉ. ओमकार सिंह, डॉ. संजय कुमार, डॉ. सुरेंद्र कुमार, डॉ. वीरेंद्र कुमार, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. बलराज सिंह, डॉ. महावीर सिंह, डॉ. आरसी वर्मा, डॉ. रीता, डॉ. रेशू सिंह, डॉ. शिवकुमार, राम रतन पांडेय व लक्ष्मी चंद आदि उपस्थित रहे।

कई वर्षो में पटरी पर लौटा गन्ना भुगतान : भूसरेड्डी

मेरठ। पिछले कई वर्षो में गन्ना भुगतान पटरी पर आया है। मोदीनगर और मलकपुर मिलें, जो एक साल बाद भुगतान किया करती थीं। वे भी समय से किसानों को पैसा देने लगी हैं। उक्त विचार प्रमुख सचिव गन्ना विभाग एवं चीनी उद्योग संजय आर भूसरेड्डी ने सोमवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों के सामने रखे।

प्रमुख सचिव ने कहा कि आज मॉल हो या किराना की दुकान। चीनी हर जगह 32-35 रुपये प्रतिकिग्रा तक मिल रही है। आज नीति यह है कि किसानों को समय से गन्ना भुगतान मिले और लोगों को चीनी के दाम भी न बढ़ाने पड़ें। कहा कि आज सह फसली खेती और ट्रेंच विधि किसानों की जरूरत है। गन्ने के साथ चना, मटर, मूली, फेंचबीन आदि फसलें बहुत लाभकारी हैं। किसानों को कम निवेश में ज्यादा उत्पादन के तीन उपाय हैं। ट्रेंच विधि, ड्रिप इरीगेशन और सहफसली खेती से आय दोगुनी हो सकती है। 60-70 दिनों में तैयार होने वाली सहफसली खेती बहुत कारगर है। इस दौरान उप गन्ना आयुक्त हरपाल सिंह भी साथ थे।

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