महात्मा की यादों को संजोए है क्रांति धरा

आज महात्मा गांधी की जयंती है। अहिसा को हथियार बनाकर आजादी की लड़ाई लड़ने वाले महात्मा गांधी का मेरठ की धरती से भी नाता रहा है। शहर में ऐसे कई स्थल हैं जो आज भी आपको महात्मा गांधी की याद दिलाएंगे। उन स्थानों के विषय में जानकर युवा पीढ़ी प्रेरित होती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 04:23 AM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 04:23 AM (IST)
महात्मा की यादों को संजोए है क्रांति धरा
महात्मा की यादों को संजोए है क्रांति धरा

मेरठ, जेएनएन। आज महात्मा गांधी की जयंती है। अहिसा को हथियार बनाकर आजादी की लड़ाई लड़ने वाले महात्मा गांधी का मेरठ की धरती से भी नाता रहा है। शहर में ऐसे कई स्थल हैं जो आज भी आपको महात्मा गांधी की याद दिलाएंगे। उन स्थानों के विषय में जानकर युवा पीढ़ी प्रेरित होती है।

कैसल व्यू, वैश्य अनाथालय, टाउनहाल, डीएन इंटर कालेज, मेरठ कालेज, सनातन धर्मशाला बुढ़ाना गेट और असौड़ा हाउस कुछ ऐसी ही जगह हैं, जहां से गांधी जी की यादें सीधे जुड़ी हैं। इतिहासकार डा. केडी शर्मा के अनुसार गांधी जी सबसे पहले 22 जनवरी 1920 को मेरठ आए थे। जब डीएन इंटर कालेज परिसर में मेरठ के लोगों ने उनका स्वागत करते हुए फूल माला से लाद दिया था। गांधी जी के साथ एक बहुत बड़ा जुलूस भी निकला था। वर्ष 1929 में गांधी जी दोबारा मेरठ आए। उस समय वह मेरठ कालेज पहुंचे तो छात्रों ने आजादी की लड़ाई में आर्थिक सहयोग किया था। इसमें उन्होंने एक चांदी की प्लेट और सौ स्वर्ण मुद्राएं दी थीं। वेस्ट एंड रोड पर कैसल व्यू में गांधी जी ने पत्तल पर भोजन किया था।

यहां देखिए गांधी जी का संदेश

महात्मा गांधी वैश्य अनाथालय भी गए थे। वहां उनके हस्ताक्षर व संदेश भी देखे जा सकते हैं। यहां गांधी जी ने अपने हाथ से रजिस्टर पर लिखा था कि 'किसी की मेहरबानी मांगना अपनी आजादी बेचना है'। वैश्य अनाथालय की दीवार पर यह संदेश फ्रेम में मढ़वाया गया है।

टाउनहाल में ऐसे बना संयोग

दो अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है। मेरठ के टाउनहाल में गांधी जी 1920 व 1929 दोनों बार आए थे। टाउनहाल में उनकी प्रतिमा भी लगी है। यह सुखद संयोग है कि गांधी जी की इस प्रतिमा का अनावरण लाल बहादुर शास्त्री ने 29 नवंबर 1964 को मेरठ में किया था।

उपवास की शक्ति का अहसास

मेरठ कालेज में विशाल वटवृक्ष के नीचे लगा शिलापट्ट भी गांधी जी की याद दिलाता है। महात्मा गांधी ने आंदोलन के दौरान 21 दिन का उपवास रखा था। उनके स्वास्थ्य की सलामती के लिए मेरठ कालेज में इसी जगह 194 घंटे का अखंड हवन किया गया। गांधी जी के सफल उपवास के बाद तीन मार्च 1943 को यहां एक वटवृक्ष लगाया गया।

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