'पद्मावती की रिलीज को काली तारीख बना देंगे'

मेरठ: फिल्म पद्मावती के विरोध के बाद करणी सेना सुर्खियों में हैं। करणी सेना का आरोप है कि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Dec 2017 02:06 AM (IST) Updated:Mon, 18 Dec 2017 02:06 AM (IST)
'पद्मावती की रिलीज को काली तारीख बना देंगे'
'पद्मावती की रिलीज को काली तारीख बना देंगे'

मेरठ: फिल्म पद्मावती के विरोध के बाद करणी सेना सुर्खियों में हैं। करणी सेना का आरोप है कि इतिहास की कथावस्तु वाली फिल्मों के साथ छेड़छाड़ की जाती है। करणी सेना मानती है कि फिल्म पद्मावती में तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है और राजपूतों के इतिहास को कलंकित किया गया है। करणी सेना ने चेतावनी दी है कि यदि फिल्म रिलीज हुई तो उस तारीख को काली तारीख बना दिया जाएगा। करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह रविवार को मेरठ में थे। जागरण संवाददाता प्रदीप द्विवेदी ने उनसे बातचीत की। बातचीत के चुनिंदा अंश..

पद्मावती का इतना विरोध क्यों कर रहे हैं? ऐसा क्या है उसमें?

फिल्म में रानी पद्मावती को अलाउद्दीन की प्रेमिका दिखाया गया है। आपत्तिजनक दृश्य हैं, इसे कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है? मैं राणा रतन सिंह की 33वीं पीढ़ी का हूं। मैं ऐसा कैसे होने दूंगा?

भंसाली का दावा है कि फिल्म में कोई आपत्तिजनक सीन नहीं है। आपकी आपत्तियां दूर करी गईं तो फिल्म रिलीज होने देंगे।

परिस्थितियां अब फिल्म को देखने से आगे निकल चुकी हैं। सुना है कि नौ फरवरी को रिलीज करने का एलान किया गया है। यदि फिल्म रिलीज हुई तो उस तारीख को काली तारीख बना देंगे।

यदि सरकार या कोर्ट ने दखल दिया तो भी रिलीज नहीं होने देंगे?

कोर्ट से बड़ी तो जनता की अदालत होती है। हमें सिर्फ राजपूत ही नहीं सर्व समाज का समर्थन हासिल है। रानी पद्मावती के साथ सभी समाज की महिलाओं ने जौहर किया था। जनता का क‌र्फ्यू लग जाएगा। छह राज्यों ने फिल्म पर रोक लगा दी है, अन्य राज्यों से भी संपर्क जारी है। सभी मान जाएंगे। प्रधानमंत्री से भी अपील की है कि पूरे देश में इस पर रोक लगाएं। जरूरत पड़ेगी तो दिल्ली का घेराव किया जाएगा।

निर्माता का करोड़ों का नुकसान होगा। आपत्ति दूर करने का बाद तो फिल्म रिलीज की जा सकती है।

उस फिल्म की कीमत है तो क्या जिस खून से इतिहास लिखा गया है उसकी कोई कीमत नहीं है? डेढ़-दो साल से विरोध चल रहा है फिर भी निर्माता-निर्देशक क्यों अड़े हुए हैं? उनको चांदी का जूता तो लगना ही चाहिए।

पहले जोधा अकबर का विरोध और अब पद्मावती का। ऐसे में ऐतिहासिक कथानक पर फिल्म कौन बनाएगा।

मैंने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि प्री सेंसर बोर्ड बनाया जाए। इसमें एक जज, दो इतिहासकार, दो पत्रकार व कुछ अन्य हस्तियों को शामिल किया जाए। यह बोर्ड ऐतिहासिक विषय पर फिल्म बनाने से पूर्व ही स्क्रिप्ट आदि का अध्ययन कर ले और जरूरी बदलाव करे। फिर शूटिंग हो।

दीपिका की नाक काटने या भंसाली का सिर कलम करने जैसे ¨हसक बयान क्यों?

करणी सेना ¨हसा के खिलाफ है। एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है। सिर्फ भंसाली को दो थप्पड़ मारा गया था, क्या राजपूत इतना भी नहीं कर सकते। रही बात नाक काटने की तो यह प्रतीकात्मक है। एक दिसंबर को फिल्म रिलीज न कर पाने से संजय लीला भंसाली और दीपिका की नाक कट गई। सिर कलम करने पर 10 करोड़ वाले बयान से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।

करणी सेना का गठन आरक्षण के मुद्दे से हुआ। अब वह मुद्दा नहीं रहा। क्या यह जातीय गौरव के बहाने युवाओं को भटकाने वाली बात नहीं हुई।

आरक्षण की समीक्षा की मांग हमारा प्रमुख मुद्दा है। मैं तो कहूंगा कि हमारी अपील से ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ही इस बात को रखा है। 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जयपुर सभा में हमने बोलने से रोक दिया था क्योंकि वह आरक्षण पर बोलने से बच रहे थे। संगठन में 40 साल से ऊपर कोई पदाधिकारी नहीं होता। फिल्म का विवाद तो हमारी ऊर्जा बर्बाद कर रहा है। मुद्दा तो सामाजिक बदलाव का है। दो साल पहले करणी सेना के नौ लाख 82 हजार सदस्य थे। अब इसका पूरे देश में विस्तार होगा।

शीशमहल में अलाउद्दीन पद्मावती पर मोहित हुआ था, आपकी सेना ने उसके शीशे तोड़ डाले। ऐतिहासिक विरासत को नुकसान क्यों।

1294 में फ्रांस में कांच अस्तित्व में आया। जिस समय अलाउद्दीन भारत में आया उस समय तक भारत में तांबा और कांसे को चमका चेहरा देखने की परंपरा थी। शीशमहल वाली बात महज कल्पना है। शीशमहल में हमने हमला नहीं किया बल्कि वहां लगे शीशे स्वयं ही हमारे पास सात माह पहले भेज दिए गए।

आरोप लगता है कि यह सब भंसाली के साथ मिलकर एक स्टंट है?

वह तो हमारे दर्द में भी मुनाफाखोरी ढूंढ रहा है। हमारी नाराजगी को स्टंट का रूप देकर वह लाभ कमाने की चाल चल रहा है।

बॉक्स में

करणी सेना के बारे में कुछ बातें

- राजस्थान, नागौर के कालवी गांव में जन्मे लोकेंद्र सिंह कालवी ने 2006 में करणी सेना की स्थापना की।

-इसके गठन का प्रमुख उद्देश्य आरक्षण की समीक्षा की मांग थी।

-2008 में जोधा अकबर फिल्म का ¨हसक विरोध किया।

-पद्मावती फिल्म के विरोध में राजस्थान में सेट जला दिया गया था। संजय लीला भंसाली पर हमला किया गया था।

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