ऐसा सिर दर्द, जिसमें प्रसव से भी ज्यादा होता है दर्द Meerut News

लखनऊ के न्यूरो विभाग के प्रोफेसर डा. विमल पालीवाल ने लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में आयोजित न्यूरोकॉन में क्लस्टर हेडक के बारे में जानकारी दिया।

By Prem BhattEdited By: Publish:Sun, 23 Feb 2020 11:31 AM (IST) Updated:Sun, 23 Feb 2020 11:31 AM (IST)
ऐसा सिर दर्द, जिसमें प्रसव से भी ज्यादा होता है दर्द Meerut News
ऐसा सिर दर्द, जिसमें प्रसव से भी ज्यादा होता है दर्द Meerut News

[संतोष शुक्ल] मेरठ। अगर एक आंख की तरफ सिर में भयंकर दर्द हो। उसी आंख से पानी गिरे और दर्द सिर्फ चंद घंटों तक रहे तो इसे माइग्रेन मत समझना। ऐसे मरीजों को घर में आक्सीजन सिलेंडर रखना चाहिए, जिससे 15 मिनट में दर्द काफूर हो जाता है। न्यूरोविशेषज्ञों ने बताया कि ये दर्द हार्ट अटैक, प्रसव और दांत के दर्द से भी तेज होता है। बार-बार उभरने से कई मरीज आत्महत्या की दहलीज तक पहुंच जाते हैं।

..इसे माइग्रेन समझना भारी भूल

संजय गांधी पोस्ट ग्रेज्युएट आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के न्यूरो विभाग के प्रोफेसर डा. विमल पालीवाल ने लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में आयोजित न्यूरोकॉन में क्लस्टर हेडक के बारे में प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि शरीर की बायोलॉजिकल घड़ी की वजह से ये दर्द हर साल एक विशेष माह में होता है। ये चक्र चलता रहता है। तेज दर्द से मरीज बेहोश तक हो जाता है। एक आंख की तरह दर्द करीब 15 मिनट से तीन घंटे तक बना रहता है। ये बीमारी रात में ज्यादा देखी जाती है। कई विशेषज्ञ इसे माइग्रेन समझकर लंबा इलाज करते हैं, किंतु कोई फायदा नहीं होता है। डा. पालीवाल ने बताया कि प्रति एक लाख आबादी में करीब 400 मरीज मिल रहे हैं।

आक्सीजन मिलते ही आराम

दिमाग की जटिल संरचना और व्यवहार आज भी न्यूरोसाइंस पूरी तरह पता नहीं कर सका है। डा. पालीवाल ने बताया कि क्लस्टर हेडक में दवाएं दर्द की फ्रीक्वेंसी को ठीक करती हैं, किंतु दर्द कम नहीं कर पाती। इसके लिए मरीजों को घर में आक्सीजन का सिलेंडर रखना चाहिए। 15 मिनट तक आक्सीजन लगाते ही दर्द पूरी तरह खत्म हो जाता है। ये क्यों खत्म हो जाता है, इसका भी कोई कारण पता नहीं चल सका है। एल्कोहल और धूमपान से दर्द बढ़ता है।

नसों की चोट और ब्रेन ट्यूमर के इलाज की दिखाई डगर

मेरठ, जेएनएन। मेडिकल कालेज में आयोजित तीन दिनी यूके-यूपी न्यूरोकान कार्यक्रम में देशभर के न्यूरो विशेषज्ञों ने हाथ के नस की चोट, रीढ़ की चोट, आपरेशन, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन स्ट्रोक समेत कई जटिल बीमारियों के इलाज की जानकारी दी। डाक्टरों ने बताया कि वक्त रहते इलाज से न सिर्फ मौतों की दर कम की जा सकती है, बल्कि दिव्यांगता का भी खतरा टाला जा सकता है।

न्यूरोकान के दूसरे दिन डा. लोकेंद्र सिंह ने हाथ की नसों की चोट पर अपना रिसर्च प्रस्तुत किया। बताया कि अत्याधुनिक जांच उपकरणों से सटीक इलाज में बड़ी मदद मिली है। आगरा के न्यूरोसर्जन डा. आरसी मिश्र ने ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी के बारे में बताया। बताया कि नेविगेशन तकनीक से सटीक आपरेशन की गुंजाइश कई गुना हुई है। दिमाग की एमआरआइ रिपोर्ट कंप्यूटर में फीड कर नेविगेशन से बीमारी की सटीक जगह तक पहुंचा जा रहा है। बताया कि ब्रेन स्ट्रोक एवं ब्रेन ट्यूमर की जांच और इलाज में बड़ी तरक्की हुई है। अब ब्रेन हैमरेज में गोल्डन पीरियड साढ़े चार घंटे तक माना जा रहा है। लखनऊ से आए न्यूरोसर्जन डा. बीके ओझा ने दूरबीन से ब्रेन ट्यूमर सर्जरी के बारे में बताया। पीजीआइ लखनऊ के डा. विमल पालीवाल ने सिर दर्द, माइग्रेन और क्लस्टर हेडक के बारे में बताया। कहा कि इसे माइग्रेन समझना भूल होगी। आगाह किया कि सटीक इलाज न मिलने पर मरीज में आत्मदाह की प्रवृत्ति बढ़ती है। डा. प्रदीप भारती, डा. विनेाद अरोड़ा, डा. भूपेंद्र चौधरी, डा. संजय शर्मा, डा. अरुण शर्मा, डा. रोहित गर्ग, डा. रोहित कांबोज, डा. भावना तोमर, डा. अखिल प्रकाश, डा. विकुल त्यागी समेत कई अन्य शामिल रहे। डा. प्रदीप भारती को डा. देविका नाग लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। रविवार को न्यूरोकान का समापन होगा।

लखनऊ से आए एसजीपीजीआई न्यूरो विभाग के प्रोफेसर डा. विमल पालीवाल ने बताया कि क्लस्टर हेडक में सिर में एक तरफ बेहद तेज दर्द होता है। दिमाग के जिस सेंटर से दर्द उठता है, उसी से आंख में आंसू और लाली भी बनती है। बार-बार दर्द उठने की वजह से मरीजों में आत्महत्या के विचार उठने लगते हैं। कृत्रिम आक्सीजन पर रखने से मरीज तत्काल ठीक होता है। 

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