दो दशक बाद शहर में दो दिन रुकेगी सरकार

कल्याण सिंह के बाद सीएम योगी रात्रि विश्राम करने वाले दूसरे सीएम होंगे। प्रशासन का भी चेक होगा रिपोर्ट कार्ड, कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करेगी पार्टी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Jul 2018 03:30 PM (IST) Updated:Sat, 21 Jul 2018 03:30 PM (IST)
दो दशक बाद शहर में दो दिन रुकेगी सरकार
दो दशक बाद शहर में दो दिन रुकेगी सरकार

मेरठ। मिशन-2019 से पहले भाजपा तरकश के हर तीर आजमा रही है। सियासी गरज ऐसी कि मेरठ में ढाई दशक बाद कोई सरकार रुकेगी। इस बहाने भाजपा महागठबंधन समेत विपक्षी दलों का व्यूह भेदने की भी रणनीति बनाएगी। यहां से उठी सियासी हवा पूर्वाचल तक असर डालती है। कल्याण सिंह के बाद सीएम योगी दूसरे मुख्यमंत्री होंगे, जो मेरठ में रात्रि विश्राम करेंगे।

2019 लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी भाजपा लंबे समय से पश्चिमी उप्र में होमवर्क कर रही है। मुख्यमंत्री योगी गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, अमरोहा व सहारनपुर समेत पूरा पश्चिम मथ चुके हैं। डिप्टी सीएम केशव मौर्य गत दिनों कश्यप समाज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर पहुंच चुके हैं। इस क्षेत्र में भाजपा की जीत का बड़ा आधार ओबीसी वोटबैंक माना जाता है, जिसे पार्टी हर हाल में सहेजना चाहेगी। मेरठ में 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने जैन दिगंबर धर्मशाला में कार्यसमिति के साथ बैठक की थी। उस वक्त शहर विधायक डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कल्याण सिंह से सड़कों की मरम्मत के लिए दो करोड़ रुपए जारी करवा लिए थे। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री रहते सर्किट हाउस में रुके, जहां भाजपा के तमाम बड़े चेहरे उनसे मिलने गए। हालांकि इसके बाद किसी दल का कोई सीएम रात्रि में नहीं ठहरा। जबकि चंद माह पहले सीएम योगी ने अमरोहा दौरे में एक प्राइमरी स्कूल में रात्रि विश्राम कर संदेश दिया। माना जा रहा है कि प्रदेश कार्यसमिति के लिए भाजपा बाइपास के आसपास कोई स्थान तय करेगी।

दो दिन तक शहर में सरकार रुकेगी, ऐसे में मेरठ सूबे में सत्ता का सबसे बड़ा केंद्र होगा। इस बहाने जहां पुलिस प्रशासन की कापी जांची जाएगी, वहीं कांवड़ मेले के तत्काल बाद भाजपा की इस मीटिंग में धार्मिक रंग भी गाढ़ा हो सकता है। पार्टी मानती है कि सूबे में बहुमत की डगर अब पश्चिमी उप्र से गुजरेगी, ऐसे में दो दिन की बैठक में कई महत्वपूर्ण संकेत उभरेंगे। भले ही इस क्षेत्र को पूर्वाचल जैसा सियासी दर्जा नहीं मिला, किंतु 2013 मुजफ्फरनगर दंगों के बाद यह क्षेत्र सियासत के नक्शे में तेजी से बढ़ा। 2014 लोकसभा और 2017 विस चुनावों में भाजपा ने पश्चिमी उप्र में विरोधी दलों का सूरज अस्त कर दिया। किंतु हाल में कैराना व नूरपुर के चुनावी परिणामों ने भाजपा को बेचैन कर दिया है।

उधर, भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने भी संगठन की सांस फुला दी है, ऐसे में दो दिनी मंथन से प्रदेश की सियासत में बड़ा बदलाव आ सकता है। क्षेत्रीय अध्यक्ष अश्विनी त्यागी का कहना है कि पश्चिमी उप्र सरकार के एजेंडे में बहुत ऊपर है। इसका असर विकास के हर पहलू में नजर आ रहा है।

अविश्वास प्रस्ताव से पहले सांसद निवास पर बैठे अमित शाह

सदन में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ने सियासत को गरमा दिया। भाजपा भले ही बहुमत में थी, किंतु पार्टी ने सभी सांसदों से संपर्क साधते हुए सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा। अविश्वास प्रस्ताव की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार रात नई दिल्ली में मेरठ-हापुड़ सांसद राजेंद्र अग्रवाल के निवास पर पहुंचकर पश्चिमी उप्र के सांसदों से चर्चा की। पश्चिमी उप्र के सचेतक राजेंद्र अग्रवाल ने सभी सांसदों को अपने निवास पर बुलाया था। अमित शाह ने सांसदों के साथ करीब आधे घंटे की बैठक करते हुए पार्टी को मजबूत बनाने के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया। इस दौरान चुनावी तैयारियों व संसद के सत्र संबंधित तमाम विषयों पर भी चर्चा हुई। सांसद अग्रवाल के निवास पर बुलंदशहर के सांसद भोला सिंह, नगीना के डा. यशवंत, आगरा के डा. रामशंकर कठेरिया, संभल के सांसद सत्यपाल सैनी व सहारनपुर के राघव लखनपाल समेत कई अन्य शामिल हुए। इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सांसदों के संसदीय क्षेत्रों से जुड़ी तमाम जानकारियां ली। राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बेहद परिश्रमी हैं, और वह हमेशा सकारात्मक वार्ता करते हैं।

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