आंखें नम, दिल में गम..चेहरे पर मायूसी

इंटरेनशनल लेवल की खिताबी जंग में ऐसा कमतर ही होता है, जब कोई खिलाड़ी रिटायर्ड हो जाए। मुजफ्फरनगर की ग्रास कोर्ट इसकी भी गवाह बनी है। मिहलीकोवा को फाइनल खेलने से पहले वार्मअप के दौरान पैर में दर्द महसूस हुआ, मगर उसने मैच खेलने का फैसला किया। किस्मत को कुछ और मंजूर था। खिताबी भिड़ंत टेरेजा को कभी न भुलाया जाने वाला गम दे गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 06:00 PM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 06:00 PM (IST)
आंखें नम, दिल में गम..चेहरे पर मायूसी
आंखें नम, दिल में गम..चेहरे पर मायूसी

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। टेनिस टूर्नामेंट में अचानक उभरकर सामने आई स्लोवाकिया की टेरेजा मिहलीकोवा ने हारकर भी सबका दिल जीत लिया। इंटरेनशनल लेवल की खिताबी जंग में ऐसा कमतर ही होता है, जब कोई खिलाड़ी रिटायर्ड हो जाए। मुजफ्फरनगर की ग्रास कोर्ट इसकी भी गवाह बनी है। मिहलीकोवा को फाइनल खेलने से पहले वार्मअप के दौरान पैर में दर्द महसूस हुआ, मगर उसने मैच खेलने का फैसला किया। किस्मत को कुछ और मंजूर था। खिताबी भिड़ंत टेरेजा को कभी न भुलाया जाने वाला गम दे गया है। उसकी आंखें नम, दिल में गम और चेहरे पर हार की मायूसी साफ दिखाई दी।

स्लोवाकिया के टोपोलकेनी शहर में 2 जून, 1998 को जन्मी टेरेजा मिहलीकोवा ने छह साल की उम्र में टेनिस का रैकेट हाथ में थाम लिया था, तब वह शहर के कई बड़े टूर्नामेंट में स्कूली स्तर पर भाग लेती थी। अब उसकी उम्र 20 साल है, अभी तक कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में प्रतिभाग कर चुकी है। इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन के वीमेंस स्पर्धा में उसने मुजफ्फरनगर के टूर्नामेंट में पंजीकरण कराया। वह यहां अपने कोच मार्टिन ह्योमैक के साथ पहुंची। सेमीफाइनल तक किसी को अंदाजा नहीं था कि आस्ट्रेलिया ओपन की जूनियर चैंपियन टेरेजा मिहलीकोवा फाइनल तक पहुंचेगी। टूर्नामेंट में एक के बाद एक मैच जीतकर वह खिताबी जंग तक पहुंची, लेकिन किस्मत उसका जीत में साथ नहीं दे सकी। कोच मार्टिन कहते हैं कि मुजफ्फरनगर आने से पहले वह काफी बीमार थी। जिसने उपचार कराने के बाद भारत की यात्रा की है। शुक्रवार को टेरेजा ने पहले सेमीफाइनल का मुकाबला स्लोवेनिया की नस्तजा कोलार से खेला था, जिसमें ढाई घंटे बाद परिणाम साफ हो सका। उसके एक घंटे बाद टेरेजा ने युगल मुकाबला खेला था। इसके चलते उसके पैर में दर्द बन गया। शनिवार को उसे फाइनल खेलना था, इसको लेकर वार्मअप किया। तब उसे पैर में दर्द महसूम हुआ तो दवाई खाने के बाद मैच खेलने का फैसला किया। खिताबी जंग में टेरेजा ने अपनी सेहत को देखते हुए मैच से हटने का फैसला किया। अचानक से हाथ खड़े कर मैच से हट गई। जिससे टेनिस कोर्ट का माहौल बदल गया। इसके बाद टेरेजा करीब आधा घंटे तक कोर्ट पर खड़ी होकर रोती रही। चेहरे में हंसी लाने की भरसक कोशिशें, मगर मायूसी ने साथ नहीं छोड़ा। अंत में वह कोच मार्टिन के साथ नम आंखों और दिल में गम लेकर मुजफ्फरनगर से कुछ यादों के साथ स्वदेश रवाना हो गई।

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