जब एक अंग्रेज इंजीनियर ने लगाया था दूसरे पर ज्यादा खर्च का आरोप
165 साल पहले ऊपरी गंगा नहर के निर्माण पर इसके निर्माता एक अंग्रेज इंजीनियर को अधिक खर्च करने पर आरोप झेलना पडा था। यह आरोप भी एक अंग्रेज इंजीनियर ने ही लगाया था।
मेरठ, [ओम बाजपेयी]। 165 साल पहले ऊपरी गंगा नहर के निर्माण पर इसके निर्माता इंजीनियर को अधिक खर्च करने का आरोप ङोलना पड़ा था। उस समय की सरकारी प्रणाली की पारदर्शिता का यह बेहतरीन नमूना है कि आरोप लगाने वाले भी अंग्रेज इंजीनियर थे। बाद में कॉटले ने अपने जवाब से आरोपितों को चुप कर दिया था।
ऊपरी गंगा के साथ नर्मदा नहर भी बननी शुरू हुई
जब ऊपरी गंगा नहर का निर्माण हो रहा था उस दौरान नर्मदा नहर भी बननी शुरू हुई थी। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण प्रोबी थॉमस कॉटले ने किया था और नर्मदा का निर्माण करने का दायित्व आर्थर काटन पर था। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण कुल 1,41,60311 रुपये सात आना पांच पाई से हुआ था। उस समय यह भारी भरकम रकम मानी जाती थी।
अनावश्यक खर्च से बचा जा सकता था
हरिद्वार से लेकर रुड़की तक 19 किलोमीटर में सबसे ज्यादा रकम खर्च हुई थी। इस पर उनके समकक्ष काटन ने चार्ज फाइल किया था कि अगर नहर का निर्माण नीचे से किया जाता तो अनावश्यक खर्च से बचा जा सकता था।
19 किलोमीटर में चार नदियां पार की
गंगा नहर के रास्ते में हरिद्वार से रुड़की के बीच चार और नदियां पड़ती हैं। रानीपुर रौ, पथरी रौ, रतमऊ रौ और सोलानी नदी। अपर गंगा कैनाल और निचली गंगा कैनाल में सिंचाई विभाग में बतौर मुख्य अभियंता कार्य कर चुके एसके कुमार ने बताया कि रौ इसलिए कहते हैं क्योंकि इनमें पानी का बहाव आता और चला जाता था। जमीन खाली हो जाती थी। कॉटले पर आरोप था अगर वह नहर का एलाइनमेंट नीचे से करते तो इतना खर्च न होता।
हाइट न होती तो 219 मील तक न पहुंचती
प्रोबी टी कॉटले ने आरोप का जवाब देते हुए कहा था कि अगर नहर का एलाइनमेंट इतनी ऊंचाई से न लिया जाता तो नहर का पानी 219 मील दूर और आसपास के हजारों हेक्टेयर के भू भाग पर नहीं पहुंच पाता। सिंचाई विभाग मेरठ खंड के अधिशासी अभियंता आशुतोष सारस्वत ने बताया कि बाद में यह आरोप खारिज हो गया और कॉटले आरोप मुक्त हो गए।
यह भी पढ़ें: World Book Day: कैनाल इंजीनियरिंग की बाइबिल है रिपोर्ट आन यूजीसी
ऊपरी गंगा के साथ नर्मदा नहर भी बननी शुरू हुई
जब ऊपरी गंगा नहर का निर्माण हो रहा था उस दौरान नर्मदा नहर भी बननी शुरू हुई थी। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण प्रोबी थॉमस कॉटले ने किया था और नर्मदा का निर्माण करने का दायित्व आर्थर काटन पर था। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण कुल 1,41,60311 रुपये सात आना पांच पाई से हुआ था। उस समय यह भारी भरकम रकम मानी जाती थी।
अनावश्यक खर्च से बचा जा सकता था
हरिद्वार से लेकर रुड़की तक 19 किलोमीटर में सबसे ज्यादा रकम खर्च हुई थी। इस पर उनके समकक्ष काटन ने चार्ज फाइल किया था कि अगर नहर का निर्माण नीचे से किया जाता तो अनावश्यक खर्च से बचा जा सकता था।
19 किलोमीटर में चार नदियां पार की
गंगा नहर के रास्ते में हरिद्वार से रुड़की के बीच चार और नदियां पड़ती हैं। रानीपुर रौ, पथरी रौ, रतमऊ रौ और सोलानी नदी। अपर गंगा कैनाल और निचली गंगा कैनाल में सिंचाई विभाग में बतौर मुख्य अभियंता कार्य कर चुके एसके कुमार ने बताया कि रौ इसलिए कहते हैं क्योंकि इनमें पानी का बहाव आता और चला जाता था। जमीन खाली हो जाती थी। कॉटले पर आरोप था अगर वह नहर का एलाइनमेंट नीचे से करते तो इतना खर्च न होता।
हाइट न होती तो 219 मील तक न पहुंचती
प्रोबी टी कॉटले ने आरोप का जवाब देते हुए कहा था कि अगर नहर का एलाइनमेंट इतनी ऊंचाई से न लिया जाता तो नहर का पानी 219 मील दूर और आसपास के हजारों हेक्टेयर के भू भाग पर नहीं पहुंच पाता। सिंचाई विभाग मेरठ खंड के अधिशासी अभियंता आशुतोष सारस्वत ने बताया कि बाद में यह आरोप खारिज हो गया और कॉटले आरोप मुक्त हो गए।
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