जानिए कौन हैं देश की पहली महिला जासूस नीरा आर्य, जिन्होंने सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने को पति को मार डाला
भारत में नवरात्रि व अन्य धार्मिक अवसरों पर कन्या पूजन देवी पूजन का ही एक रूप है। विश्व महिला दिवस पर महिलाओं के प्रति आभार प्रकट करने का समूचे समाज को अवसर मिलता है। इस बार महिला दिवस की थीम है लैंगिक समानता यानी लड़का-लड़की में कोई भेद न हो।
भूपेंद्र शर्मा, बागपत। पांच मार्च सन 1905 को उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के खेकड़ा में जन्मीं नीरा आर्य उन महिलाओं में शामिल हैं जिन्होंने रूढिय़ों और सामाजिक बंधनों को तोड़कर वह कार्य किए, जिन्हें पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था। आजाद हिंद फौज में झांसी रानी रेजीमेंट की सिपाही नीरा आर्य ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान के दुश्मन बने अपने पति को मार डाला था। उन्होंने अंग्रेजों की जासूसी करते हुए आजाद हिंद फौज को महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराईं। इसी कारण उन्हें देश की पहली सैन्य महिला जासूस भी बताया जाता है। अब उनके जीवन पर फिल्म बन रही है और खेकड़ा में उनकी याद में एक स्मारक की योजना भी है।
खेकड़ा स्थित आर्य समाज मंदिर परिसर में नीरा आर्य की याद में स्मारक बनाने की तैयारी। - जागरण
हैदराबाद में बीता अंतिम समय: बागपत निवासी साहित्यकार और लेखक तेजपाल धामा बताते हैं कि देश की आजादी के बाद नीरा आर्य ने हैदराबाद मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। हैदराबाद रियासत के विलय के बाद नीरा आर्य हैदराबाद के फलकनुमा रेलवे स्टेशन के निकट एक झोपड़ी में जीवन बिताने लगीं। धामा बताते हैं कि सन 1993 से 1998 तक जिन दिनों वह हैदराबाद में पत्रकारिता कर रहे थे, तब नीरा आर्य से भेंट हुई थी। उन्होंने नीरा आर्य को सम्मान व सरकारी मदद दिलाने के प्रयास किए लेकिन नीरा ने कुछ भी लेने से मना कर दिया था। नीरा उन दिनों महिलाओं के बालों में लगाए जाने वाले फूलों का जूड़ा बनाकर बेचती थींं, इसकी आय से ही उनका जीवन चल रहा था। 26 जुलाई 1998 को नीरा आर्य ने बीमारी के चलते एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। तब तेजपाल धामा ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया था।
आजाद हिंद फौज में शामिल नीरा आर्य (चश्मा पहने हुए)। - सौजन्य से तेजपाल धामा
अंग्रेजों ने ढाए जुल्म: तेजपाल धामा बताते हैं कि नीरा आर्य सात वर्ष की उम्र में अनाथ हो गई थीं। इसके बाद नीरा और उनके छोटे भाई बसंत को सेठ छज्जूमल ने गोद लिया था। नीरा की शिक्षा कोलकाता में हुई थी। वर्ष 1928 में नीरा का विवाह कोलकाता में ही श्रीकांत जयरंजन से हुआ, जो अंग्रेज सरकार की अपराध अन्वेषण शाखा (सीआइडी) में इंस्पेक्टर थे। स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर इनका पति से विवाद हो गया था। इसके बाद नीरा दिल्ली के शाहदरा आ गईं। यहां से नीरा वर्ष 1942 में अपने भाई बसंत व सरदार सिंह तूफान के साथ सिंगापुर पहुंचीं और तीनों आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। एक रात वह सुभाष चंद्र बोस की सुरक्षा में तैनात थीं, इसी बीच उनके पति श्रीकांत ने नेताजी को गोली मारने का प्रयास किया। यह देख नीरा ने चंडी रूप धारण करते हुए संगीन से अपने पति की हत्या कर दी। महिला जासूस नीरा को बाद में अंग्रेजों ने पकड़ लिया था। कोलकाता जेल में उनपर अनगिनत अत्याचार किए गए, काला पानी भी भेजा गया। हालांकि वहां से वह अपने दो साथियों के साथ फरार हो गई थीं।
खेकड़ा स्थित वह धर्मशाला जहां देश की आजादी के बाद यहां आईं नीरा ठहरी थीं। - जागरण
आजादी के बाद आई थीं खेकड़ा: देश को आजादी मिलने के तुरंत बाद नीरा आर्य खेकड़ा आई थीं। उनकी जयंती पर पांच मार्च को खेकड़ा में हर वर्ष एक आयोजन होता है। आर्य समाज मंदिर परिसर में इन दिनों नीरा आर्य की याद में स्मारक बनाने की योजना पर काम चल रहा है।
तेजपाल धामा। - सौजन्य से तेजपाल धामा
तेजपाल धामा ने अपनी पत्नी मधु धामा के साथ एक पुस्तक लिखी है, जिसका नाम है आजाद हिंद फौज की पहली महिला जासूस। धामा बताते हैं कि इस पुस्तक को आधार बनाकर बालीवुड में एक फिल्म पर काम चल रहा है। नीरा आर्य के नाम पर केरल में एक सड़क है और उनके नाम पर राष्ट्रीय स्तर का नीरा आर्य पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।
Koo AppAt an International Women’s Day program organised by Confederation of All India Traders, honoured women who have achieved excellence in domestic trade and helped emancipate the female potential thereby inspiring several other young girls to aspire and accomplish their goals. - Smriti Irani (@smritiirani) 7 Mar 2022
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Koo App
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