मुजफ्फरनगर : गन्ना-चुकंदर की प्राकृतिक खेती देख प्रभावित हुए कृषि राज्यमंत्री, कृषि कार्यक्रमों की दी जानकारी

कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी सहयोग से चल रहे कार्यों को देखने के लिए कृषि राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत ने शनिवार को जिले में कृषक प्रक्षेत्रों का भ्रमण किया। गन्ना-चुकंदर गन्ना-आलू की सहफसली प्राकृतिक खेती देख प्रभावित हुए।

By Prem BhattEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 07:36 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 07:36 PM (IST)
मुजफ्फरनगर : गन्ना-चुकंदर की प्राकृतिक खेती देख प्रभावित हुए कृषि राज्यमंत्री, कृषि कार्यक्रमों की दी जानकारी
मुजफ्फरनगर में राज्‍य कृषि मंत्री ने खेती का किया निरीक्षण।

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी सहयोग से चल रहे कार्यों को देखने के लिए कृषि राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत ने शनिवार को जिले में कृषक प्रक्षेत्रों का भ्रमण किया। गन्ना-चुकंदर, गन्ना-आलू की सहफसली प्राकृतिक खेती देख प्रभावित हुए।

कृषि राज्यमंत्री, कुलपति प्रो. आरके मित्तल के साथ मंतौड़ी गांव में कृषक नवाब सिंह के खेत पर पहुंचे और मल्चिंग, ड्रिप इरीगेशन एवं मचान विधि से लगाए गए टमाटर व खीरे की खेती देखा। नवाब सिंह ने बताया कि टमाटर की पैदावार 250 से 300 कुंतल प्रति एकड़ होने की संभावना है। सब्जी की खेती में वर्षभर 30 से 35 ग्रामीण महिलाओं को नियमित रोजगार मिला है। मंत्री ने नूनीखेड़ा गांव में डा. जीतेंद्र आर्य के खेत पर प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लगाए गए गन्ना-चुकंदर व गन्ना-आलू की सहफसली खेती का अवलोकन किया। प्राकृतिक खेती में उपयोग किए जाने वाले जीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र व अग्निअस्त्र आदि के बनाने की विधि एवं उनके प्रयोग की जानकारी प्राप्त की। मंत्री ने कृषि विज्ञान केंद्र चितौड़ा के निर्माणाधीन प्रशासनिक भवन का अवलोकन किया तथा कृषकों से बात की।

राज्यमंत्री कृषि विज्ञान केंद्र बघरा पर चल रही कृषक सूचना केंद्र, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, शहद प्रसंस्करण इकाई, क्राप कैफेटेरिया आदि का निरीक्षण किया। केंद्र परिसर में पौधारोपण किया। कुलपति प्रो. आरके मित्तल ने मंत्री का स्वागत करते हुए कृषक हित में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी। कुलपति ने पांच महिला स्वयं सहायता समूहों को सम्मानित किया। उन्होंने कृषकों से आर्गेनिक खेती को आवश्यक बताया।

किसानों को गाय पालने की सलाह देते हुए कहा कि एक गाय के गोबर एवं गोमूत्र का प्रयोग कर 30 एकड़ में खेती की जा सकती है। संचालन केवीके अध्यक्ष डा. पीके सिंह ने किया। निदेशक प्रसार डा. एसके सचान ने अतिथियों व कृषकों का आभार जताया। 

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