छात्रवृत्ति घोटाले में एसीजेएम कोर्ट ने सुनाई पहली सजा, प्रिंसीपल को दो साल की कैद Meerut News

छात्रवृत्ति घोटाले में एसीजेएम कोर्ट ने आशियाना पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को दो साल की सजा सुनाई तथा दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

By Prem BhattEdited By: Publish:Fri, 20 Dec 2019 11:29 AM (IST) Updated:Fri, 20 Dec 2019 11:29 AM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाले में एसीजेएम कोर्ट ने सुनाई पहली सजा, प्रिंसीपल को दो साल की कैद Meerut News
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मेरठ, [अभिषेक कौशिक]। छात्रवृत्ति घोटाले में एसीजेएम कोर्ट छह ने आशियाना पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को दो साल की सजा सुनाई तथा दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। मदरसों और स्कूलों में छात्रवृत्ति घोटालों में यह पहली सजा है। अलखिदमत फाउंडेशन के अध्यक्ष ने घोटाले की पहली शिकायत 2009-10 में की थी। उन्होंने 72 मदरसों और स्कूलों की शिकायत की थी। जांच के दौरान 18 मदरसे रडार पर आए थे, जिनमें से 15 से रिकवरी की गई थी। तीन पर रिपोर्ट दर्ज हुई थी, जिनमें से दो मामलों में एफआर लग गई थी। एक मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई है।

घोटाले की जांच को बनाई थी टीम

एनजीओ संचालक तनसीर अहमद ने बताया कि उन्होंने पहली शिकायत दस साल पहले तत्कालीन डीएम भुवनेश्वर कुमार से की थी। उन्होंने जांच तत्कालीन सीडीओ प्रांजल यादव को सौंपी थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद उन्होंने 2010-11 में शिकायत की थी। जांच तत्कालीन सीडीओ पीएन सिंह को सौंपी गई थी। उन्होंने घोटाले की जांच के लिए टीम बनाई। उसने लिसाड़ी गेट स्थित आशियाना पब्लिक स्कूल में जांच की। प्रधानाचार्य मोहम्मद शमशाद से छात्रवृत्ति से जुड़े कागजात मांगे। प्रधानाचार्य ने टीम को कागजात दिखाने से मना कर दिया था। तभी से मामले की जांच चल रही थी। अब एसीजेएम छह सतेंद्र सिंह ने पांच लाख रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले में दो साल की सजा सुनाई। साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

आरटीआइ में हुआ था घोटाले का राजफाश

आरटीआइ का सहारा लेकर जुटाई जानकारी में अलखिदमत फाउंडेशन ने प्री मैटिक और पोस्ट मैटिक 2009-10 और 2010-11 में मदरसों को दी गई छात्रवृत्ति और बच्चों की संख्या का पूरा विवरण लिया था। पड़ताल में फर्जीवाड़े का राजफाश हुआ था। जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई थी। कुछ मदरसे तो थे ही नहीं, जबकि कुछ मदरसों में बच्चों की संख्या में हेराफेरी की गई थी। कुछ स्थानों पर सिर्फ बोर्ड लगाए गए थे।

जो रजिस्टर पेश किया, उसमें सब फर्जीवाड़ा था

अभियोजन अधिकारी संजय कुमार सुमन ने बताया कि प्रधानाचार्य ने जो रजिस्टर पेश किया, उसमें सिर्फ फर्जीवाड़ा ही था। रजिस्टर नया था। उसमें अलग-अलग पेन से हस्ताक्षर किए गए थे। कक्षा एक के छात्र के हस्ताक्षर भी एकदम स्पष्ट थे, जो संभव नहीं है। इसके साथ ही भुगतान चेक से किया गया था, जबकि भुगतान सीधे बैंक में किया जाना था।

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