जल संरक्षण: रसोई के जल से सींच रहे भूजल की 'खेती'

शरद गुप्ता लावड़ भूजल की कंगाली नई सदी का सबसे बड़ा खतरा है, ऐसे में बूंद-बूंद से सागर भरने की बेला

By Edited By: Publish:Thu, 29 Jan 2015 01:45 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jan 2015 01:45 AM (IST)
जल संरक्षण: रसोई के जल से सींच रहे भूजल की 'खेती'

शरद गुप्ता लावड़

भूजल की कंगाली नई सदी का सबसे बड़ा खतरा है, ऐसे में बूंद-बूंद से सागर भरने की बेला अब आ चुकी है। भूजल संकट ने सरकारों के माथे पर पसीना ला दिया, किंतु प्रयासों का सूखापन भारी पड़ा। कृषि विभाग वैज्ञानिक डा. अनंत ने बरसों तक जल की बर्बादी का मंजर देखा। नदियों, तालाबों एवं पोखरों के संरक्षण से पहले उन्होंने जल संचय से हर घर को जोड़ने की श्रृंखला बना दी। किचन गार्डन बनाकर लोग न सिर्फ जल संपदा बढ़ा रहे हैं, बल्कि हरियाली को भी जी रहे हैं। लावड़ में करीब दो सौ परिवार किचन गार्डन बनाकर रसोई के जल का सिंचाई के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। प्राकृतिक रूप से भूजल रिचार्ज भी हो रहा है।

केन्द्रीय भूजल बोर्ड एवं मंत्रालय की रिपोर्ट के बावजूद राज्य सरकार की कोई योजना लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ नहीं पाई। मेरठ में भारी भूजल दोहन से कई ब्लाक डेंजर जोन में पहुंच चुके हैं। नब्बे फीसदी तालाबों एवं जोहड़ों पर अवैध कब्जों का शिकंजा है। जिलाधिकारी, मंडलायुक्त एवं एमडीए के कार्यालयों ने भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर अमल नहीं किया, जिससे करोड़ों गैलन पानी बचाया जा सकता है। ऐसे में गाजियाबाद कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डा. अनंत ने सरकार की योजनाओं की प्रतीक्षा नहीं की, और हर व्यक्ति को जल संरक्षण का सहज उपाय बताने की राह पर चल पड़े। किचन गार्डन के माध्यम से वह लोगों को जोड़ रहे हैं। लावड़ कस्बे में दो सौ से ज्यादा परिवारों ने घर की परिधि में छोटी-छोटी क्यारियां बना ली, जिसमें रसोई से निकलने वाले पानी का सिंचाई में प्रयोग कर लिया जाता है। आज तमाम किसानों के घर में प्याज, लहसुन, फल में पपीता व औषधि एलोविरा की क्यारियां सजी नजर आती हैं। भूजल रिचार्ज भी तेजी से हो रहा है। जैविक खाद के प्रयोग से सब्जी उगाने की परंपरा पर्यावरण की सेहत बढ़ा रही है।

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ऐसे बह निकली प्रयासों की धारा

कृषि वैज्ञानिक डा. अनंत ने अपने घर से किचन गार्डन की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने कस्बा निवासियों को प्रेरित किया। नुस्खा आसान होने की वजह से लोगों ने आना जाना शुरू किया। अब दो सै से ज्यादा परिवार किचन गार्डन बनाकर हरियाली और सेहत की खेती कर रहे हैं। डा. अनंत को किचन गार्डन की जानकारी एक किताब पढ़कर हुई। डा. अनीता यादव के सहयोग से केवीके गाजियाबाद में किचन गार्डन की स्थापना की। अब मेरठ के सभी ब्लाकों में किसानों से मिलकर उन्हें जागरुक करने की राह में चल पड़े हैं। उनका दावा है कि किचन गार्डेन के बहाने रसोई से निकलने वाले पानी की हर बूंद हरियाली के साथ हमें जीवन एवं सेहत दोनों देगी। भूजल संपदा में फिर से उफान आ जाएगा।

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