सधे कदम से होता है धर्म परिवर्तन का खेल

धर्म परिवर्तन को लेकर मिशनरी और प्रशासन दावे चाहे जो करें पर हकीकत इससे जुदा है। दिसंबर 2015 में इसका खुलासा हो चुका है। क्षेत्र के हाजीपुर में इसाई बने पंद्रह लोगों ने सनातन धर्म दोबारा ग्रहण कर इसका प्रमाण दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 06:21 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 06:21 PM (IST)
सधे कदम से होता है धर्म परिवर्तन का खेल
सधे कदम से होता है धर्म परिवर्तन का खेल

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : धर्म परिवर्तन को लेकर मिशनरी और प्रशासन दावे चाहे जो करें पर हकीकत इससे जुदा है। दिसंबर 2015 में इसका खुलासा हो चुका है। क्षेत्र के हाजीपुर में इसाई बने पंद्रह लोगों ने सनातन धर्म दोबारा ग्रहण कर इसका प्रमाण दिया है। कोतवाली अंतर्गत ग्राम बेला सुल्तानपुर में एक मंड़ई में हो रही प्रार्थना तीन वर्ष पूर्व हुए हंगामा के बाद अब बंद हो गई है पर इसका स्थान अब लुदुहीं में चर्च हेतु क्रय की गई जमीन ने ले लिया है। यहां पर अब चर्च निर्माण की तैयारी चल रही है।

दरअसल चर्च से जुड़े लोग पहले गरीब बस्तियों का सर्वे करते हैं। इसके बाद इनकी मदद करते हैं। परिचय के बाद आमंत्रण एवं धीरे-धीरे प्रार्थना में शामिल कर लेते हैं। फिर प्रारंभ होता है प्रार्थना से लाभ दिखाने का दूसरा चरण। इस चरण के साथ ही प्रभु के चमत्कार का चरण चलता है। फिर तो यह सिलसिला आगे बढ़ता है तो दायरा विस्तृत आकार ले लेता है। संख्या बढ़ती जाती है और फिर विभिन्न आयोजन होते हैं। इस बीच चुपके से ऐसे लोगों का धर्म परिवर्तन हो जाता है और किसी को भनक तक नहीं लगती है। दावत का दौर चलता है तो अन्य ग्रामीणों को भी आमंत्रित किया जाता है। इस दौरान मेलजोल बढ़ता है और यह निरंतर चलता चक्र चर्च निर्माण के बाद इनका असली मकसद सामने आता है। यह बात अलग है तब तक कि तमाम बस्तियों के लोग धर्म परिवर्तन की राह पर चल चुके होते हैं।

लुदुही समेत अनेक स्थानों पर बन रहे चर्च

क्षेत्र के बेला सुल्तानपुर में तीन वर्ष पूर्व यह सब कुछ दिख चुका है। यहां पर मुंहमांगी कीमत पर भी चर्च हेतु जमीन देने को कोई आगे नहीं आया तो समीप के ही गांव लुदुहीं में प्रार्थना की आड़ में बेहद खूबसूरत तरीके से धर्म परिवर्तन का कुचक्र रचा गया। यहां पर प्रयास सफल रहा और चर्चा के नाम जमीन क्रय कर ली गई। यह सब कुछ ऐसे जादुई अंदाज में होता है कि कोई भी यह कहने को तैयार नहीं होता है कि उसे जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया गया है। ऐसे में आरोप लगाने वाला हरेक व्यक्ति चुप्पी साध लेता है। स्थानीय नगर से सटे जमालपुर मिर्जापुर के एक राजस्व ग्राम में चर्च की स्थापना सहित तमाम अन्य स्थानों पर निर्मित हो रहे चर्च इसकी बानगी हैं। बहरहाल यह मामला तो बस एक नजीर है।

हियुवा नेताओं से हो चुकी है मारपीट

संयोग रहा कि दिसंबर 2015 में मामला प्रकाश में आते ही ¨हदू युवा वाहिनी ने कदम आगे बढ़ाया। इससे बढ़कर एक प्रमाण इसी क्षेत्र के हाजीपुर में दिखा जब हियुवा नेताओं संग मारपीट की गई। जिले के तमाम स्थानों पर धर्म परिवर्तन का लक्ष्य लेकर ऐसे प्रयास जारी हैं। बात करें हाजीपुर की तो यहां पर 28 दिसंबर 15 को क्षेत्र के बेला सुल्तानपुर एवं हाजीपुर में हियुवा ने धर्मातरण का विरोध करते हुए मामला उठाया। बात बढ़ गई जब कोतवाली में इस बाबत तहरीर देने के बाद वापस घर जा रहे ¨हदू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष बबलू यादव एवं जिला संयोजक अजय ¨सह को हाजीपुर में रोक कर दूसरे समुदाय के महिलाओं एवं पुरुषों ने मारपीट कर घायल कर दिया। जिला प्रशासन ने हमेशा की है लीपापोती

अन्य जनपदों में जहां धर्म परिवर्तन की कार्रवाई सामने आते ही पुलिस प्रशासन ने सक्रिय होकर मिशनरियों के कुत्सित प्रयास को धता बताया। वहीं जनपद में हमेशा ही ऐसे मामले सामने पर यहां के प्रशासन ने मामले में लीपापोती ही की है। अभी एक पखवारे पूर्व चिरैयाकोट क्षेत्र के चंद्रावती गांव में पकड़े गए पादरी को पुलिस ने चूरन वाली दवा विक्रेता बताकर महज 151 में चालान कर मामले को रफा-दफा कर दिया। ठीक इसी तरह हाजीपुर के मामले में भी प्रशासन एवं पुलिस ने धर्म परिवर्तन की बजाय यह मामला महज प्रार्थना एवं भोज आयोजन का बताते हुए रफा दफा कर दिया। 15 परिवारों को घर वापसी करा ¨हयुवा ने प्रशासन के दावे को साबित किया झूठा

¨हदू युवा वाहिनी जिला प्रभारी दिग्विजय राय, संयोजक अजय ¨सह, संगठन मंत्री बबलू शाही एवं स्थानीय नगर अध्यक्ष नागेंद्र मद्धेशिया जीतू एवं अजीत गोंड आदि ने हाजीपुर में सनातन धर्म से इसाई धर्म अपना चुके पंद्रह की धर्म वापसी करा कर इस दावे को गलत साबित कर दिया। इसाई बने पंद्रह लोगों को अगले दिन 29 दिसंबर 2015 को हवन, पूजन एवं शुद्धीकरण के साथ ही रक्षासूत्र बांध दोबारा सनातन धर्म में वापस लाया गया। धर्म वापसी करने वालों में कालीचरण, प्रदीप, संदीप, दीपक, अंकित, अंजू, सावित्री देवी एवं ¨पकी आदि थे।

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