शिवपुराण कथा करती है मन की व्यथा को दूर

मां ¨वध्यवासिनी सेवा समिति के तत्वावधान में शिवपुराण महाकथा के अंतिम दिवस र¨वद्र महाराज ने कहा कि जो मन की व्यथा को दूर करे वही शिव पुराण कथा है। उन्होंने कहा कि नौ दिन से आप लोगों ने जो कथा सुनी है उसका अपने जीवन में कुछ पालन करें। अपने बड़े, बुजुर्गों तथा सम्मानीय लोगों का हमेशा सम्मान करिएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 04:28 PM (IST) Updated:Sat, 10 Nov 2018 04:28 PM (IST)
शिवपुराण कथा करती है मन की व्यथा को दूर
शिवपुराण कथा करती है मन की व्यथा को दूर

जागरण संवाददाता, मऊ : मां ¨वध्यवासिनी सेवा समिति के तत्वावधान में शिवपुराण महाकथा के अंतिम दिवस र¨वद्र महाराज ने कहा कि जो मन की व्यथा को दूर करे वही शिव पुराण कथा है। उन्होंने कहा कि नौ दिन से आप लोगों ने जो कथा सुनी है उसका अपने जीवन में कुछ पालन करें।

अपने बड़े, बुजुर्गों तथा सम्मानीय लोगों का हमेशा सम्मान करिएगा। कथा की तभी सार्थकता है जब सामाजिक परिवर्तन दिखाई दे। आज वर्तमान परिवेश में जहां पाश्चात्य सभ्यता पूर्ण रूपेण समाज को प्रभावित किए हुए हैं। इस विषम परिस्थिति में अपने को बचाए रखने का ही एकमात्र विकल्प है और बच्चों को संस्कारित करिए। जिससे आने वाले समय में जब हमारा घर अच्छा होगा, तो एक राज्य सुधरेगा। उसके पश्चात हमारा देश अच्छा होगा, जिससे हम राष्ट्र में अपनी एक पहचान बना सकें। हमारा भारत वर्ष सांस्कृतिक धरोहरों की नगरी व संस्कृतियों का देश है। आदिकाल से यहां धार्मिक व्यवस्थाएं चलती रहती हैं। परिस्थितियों के अनुसार उसमें परिवर्तन होता है लेकिन सब का एक उद्देश्य होता है। मानव कल्याण जब तक हम अपने मन से, वाणी से, कर्म से शुद्ध नहीं होंगे, तब तक हमारा सामाजिक परिवर्तन संभव नहीं है। कथा में रामबदन सपत्नीक शिव-पार्वती और कृष्णानंद राय विष्णु की भूमिका थे। इस अवसर पर संजय कुमार पांडेय, अशोक ¨सह, इंद्रपाल ¨सह, ऋषिकेश पांडेय, विनोद कुमार चतुर्वेदी, विनोद नायक, पवन ¨सह आदि उपस्थित थे।

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