जांच के दौरान मिली अनियमतिता, एमबी तलब

तहसील अंतर्गत बड़रांव ब्लाक की ग्राम पंचायत में वित्तीय वर्ष 15-16 16-17 एवं 17-1

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 Nov 2019 05:00 PM (IST) Updated:Fri, 08 Nov 2019 05:00 PM (IST)
जांच के दौरान मिली अनियमतिता, एमबी तलब
जांच के दौरान मिली अनियमतिता, एमबी तलब

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : तहसील अंतर्गत बड़रांव ब्लाक की ग्राम पंचायत में वित्तीय वर्ष 15-16, 16-17 एवं 17-18 में किए गए विभिन्न कार्यो में प्रथम दृष्टया अनियमितता उजागर हुई है। इस गांव के मानसिंह चौहान सहित अन्य द्वारा उक्त अवधि में किए गए कार्यो की शिकायत की जांच को गुरुवार को पहुंचे जिला पंचायतराज अधिकारी संजय कुमार मिश्रा ने हरेक कार्य का भौतिक सत्यापन कर मीजरमेंट बुक तलब की है।

दरअसल यहां पर मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 15-16, 16-17 एवं 17-18 में बने कंपोस्ट गड्ढा, चकरोड एवं मनरेगा के तहत कराए गए अन्य कार्य में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए ग्रामीण मानसिंह ने जिलाधिकारी के समक्ष जांच की गुहार लगाया। जिलाधिकारी के आदेश पर डीपीआरओ श्री मिश्र सहयोगी ब्लाक कोआर्डिनेटर कपिल मुनि, बंशनारायण पांडेय, छोटेलाल सिंह एवं वर्तमान ग्राम पंचायत अधिकारी अमित कुमार राय संग सरायसादी पहुंचे। शिकायती पत्र में अंकित एक-एक बिदु के अनुसार जांच प्रारंभ की गई। वर्तमान ग्राम पंचायत अधिकारी के कार्यकाल में बनाया गया एक मार्ग 12 किमी कम पाया गया। प्रधान अरुण चौहान सहित अन्य ग्रामीणों ने एक किसान द्वारा इस निर्माण का जमकर विरोध किए जाने के चलते कार्य संभव न बताया। अलबत्ता पूर्व में मूंजडांड़ की सीमा से विध्याचल के घर तक बताया गया मार्ग मौके पर मिला ही नहीं। कंपोस्ट गड्ढों की संख्या भी वास्तविक से भिन्न पाई गई। हरेक कार्य का सत्यापन करने के पश्चात डीपीआरओ श्री मिश्र ने एमबी तलब की है। उन्होंने सारे अभिलेखों की मिलान के बाद ही समूचे प्रकरण की जांच आख्या प्रेषित किए जाने की बात कहा है।

आसान नहीं है मनरेगा में वित्तीय अनियमितता की थाह

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कराए गए कार्य में वास्तविक वित्तीय घपला की जांच आसान नहीं है। इसके लिए तमाम अभिलेख खंगालना पड़ता है। इसकी थाह लगाने को वर्क आर्डर, इस्टीमेट, मस्टर रोल, बिल या बाउचर, एमबी, कार्य प्रारंभ होने से लेकर समाप्त होने तक के तीनों स्तर की फोटो, वेज लिस्ट एवं फंड ट्रांसफर आर्डर (एफटीओ) को खंगालना होगा। इन अभिलेखों की बहन जांच की जाए तो व्यय एक-एक पाई का हिसाब मिल जाएगा।

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