आधी उम्र में ही जर्जर हो गए मुसाफिरों के विश्राम स्थल

मथुरा गांव उस्फार और ऊंचा गांव तिराहे पर तेरह इंच मोटे खंभों से सीमे

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Aug 2020 10:55 PM (IST) Updated:Tue, 25 Aug 2020 06:11 AM (IST)
आधी उम्र में ही जर्जर हो गए मुसाफिरों के विश्राम स्थल
आधी उम्र में ही जर्जर हो गए मुसाफिरों के विश्राम स्थल

जागरण संवाददाता, मथुरा: गांव उस्फार और ऊंचा गांव तिराहे पर तेरह इंच मोटे खंभों से सीमेंट बजरी गायब हो गया। ईंटें निकल गई। सपोर्ट दीवार और लेंटर (छत) बीच में दरार पड़ गई है। बैंच और इनकी सपोर्ट दीवार का अतापता नहीं है। तीस साल की मजबूती के साथ खड़े रहने वाले मुसाफिरों के लिए बनवाए गए ये विश्राम स्थल (यात्री शेड) अब पूरी तरह से जर्जर हो गए हैं। यह तस्वीर है गोवर्धन विधान सभा क्षेत्र में बने यात्री शेड की है।

वर्ष 2007-2008 में विधायक पूरन प्रकाश ने अपनी निधि से निर्माण के लिए 90-90 हजार रुपये की धनराशि आवंटित की थी। निर्माण का ठेका उत्तर प्रदेश सहकारी निर्माण एवं विकास लिमिटेड (यूपीसीडी) को मिला। 16 फीट चौड़े और 12 फीट लंबे यात्री शेड का जीवनकाल कम से कम तीस साल तय किया गया था। 12-13 साल की आयु में इनके खंभे जर्जर हो गए हैं। इनका जर्जर होना भी लाजिमी था, निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार के सीमेंट-बजरी की परत से यात्री शेड लीपे-पोते गए थे। गोवर्धन विधान सभा क्षेत्र के गांव नीमगांव में रविवार अपरान्ह विश्राम करते पांच ग्रामीणों के ऊपर यात्री शेड के गिरने की धमक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कानों तक पहुंच गई थी। दो ग्रामीणों की मौत हो गई। तीन जिदगी बचाने को जूझ रहे हैं। उसके बाद प्रशासन को इन यात्री शेडों की जांच कराने की याद आई। मजिस्ट्रेटी जांच डीएम सर्वज्ञराम मिश्र ने एसडीएम गोवर्धन राहुल यादव को सौंपी है। डीआरडीए अब दावा कर रहा है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इनको रखरखाव के लिए ग्राम पंचायतों को सौंप दिया गया था। इसके बाद ग्राम पंचायतों के चुनाव हो गए, जिन प्रधानों के कार्यकाल में इनका निर्माण हुआ था, उन्होंने शुरू में इनकी देखरेख की, लेकिन चुनाव के बाद प्रधान बदल गए और ग्राम पंचायत इनका रखरखाव करना ही भूल गई। नतीजा यह हुआ कि यात्री शेड जर्जर गए। अब मजिस्ट्रेटी जांच में सब कुछ खुलकर सामने आ जाएगा। --- यात्री शेड के निर्माण के बाद इनको रखरखाव के लिए ग्राम पंचायतों के सिपुर्द कर दिया गया था। ग्राम पंचायतों ने इसका शपथ पत्र भी दिया था, पर ग्राम पंचायतों ने इनका रखरखाव नहीं किया। देखरेख के अभाव में यात्री शेड दुर्दशा का शिकार हो गए।

--अनिल कुमार अग्रवाल, एई डीआरडीए

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