Mulayam Singh Yadav Death: मथुरा की कचौड़ी, दही के साथ जलेबी के दीवाने थे मुलायम सिंह यादव
Mulayam Singh Yadav Death मथुरा से समाजवादी पार्टी को सीट जरूर नहीं मिली लेकिन विकास के लिए मुलायम सिंह ने खजाना खोल दिया था। दूसरे मंत्रियों से कहकर मुलायम कराते थे मथुरा के लिए काम-पहलवान बनकर पहली बार आए सीएम बने तो सबका रखा ध्यान।
मथुरा, जागरण टीम। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना अलग मुकाम रखने वाले समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव खाने-पीने के भी शौकीन थे। मुलायम सिंह यादव को मथुरा के खानपान से भी बेहद लगाव था। वह जब भी आते, यहां कचौड़ी और दही के साथ जलेबी जरूर खाते थे। पूर्व विधायक हुकुम चंद्र तिवारी बताते हैं कि कचौड़ी और जलेबी का स्वाद नेता जी की जुबां पर था। यही कारण था कि जब भी यहां आते, इन्हें खाते थे।
गोकुल बैराज के लिए भी उठाई थी आवाज
मांट से पूर्व विधायक कुशलपाल सिंह भी लंबे समय तक मुलायम सिंह यादव से जुड़े रहे। वह कहते हैं कांग्रेस की सरकार में मथुरा के विधायक गोकुल बैराज की मांग कर रहे थे। गोकुल बैराज के लिए यहां आंदोलन चले, तो मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा में मथुरा के विधायकों के साथ मिलकर आवाज उठाई।
किसानों को मुआवजा का किया एलान
बात 1978 की है। उस वक्त प्रदेश में राम नरेश यादव मुख्यमंत्री थे और मुलायम सिंह यादव सहकारिता और पशुपालन मंत्री। बेमौसम वर्षा से फसलें खराब हुईं, कलक्ट्रेट में किसान आंदोलन कर रहे थे। तब मुलायम सिंह यादव। यहां पहुंचे और उन्होंने किसानों को समझाया। उन्हें मुआवजा दिलाने की घोषणा की। पूर्व विधायक सरदार सिंह बताते हैं कि तब किसान मुलायम सिंह की जय-जयकार करने लगे।
वकीलों के चैंबर और तहलील में हाल का निर्माण
सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष तनवीर अहमद कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल में अधिवक्ताओं के लिए कचहरी परिसर में दो मंजिला चैंबर का निर्माण कराया था, उन्होंने तहसील में एक हाल का निर्माण भी अधिवक्ताओं के लिए कराया।
मुलायम सिंह यादव को कान्हा की धरा से था प्रेम
मुलायम सिंह यादव की सपा को भले ही मथुरा ने कुछ नहीं दिया, लेकिन कान्हा की इस धरा से उनका प्रेम कम नहीं था। मंझे हुए पहलवान से सीएम बनने तक मुलायम सिंह सिंह के दिल में मथुरा ही रहा। यही कारण रहा कि उन्होंने खूब काम कराए।
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सादाबाद के पूर्व विधायक हुकुम चंद्र तिवारी का नाता भी मुलायम से उतना ही पुराना है, जितना मुलायम का मथुरा से। वह बताते हैं कि 1962 में पहली बार मुलायम सिंह यादव सादाबाद में एक दंगल में आए थे। तब वह पहलवान थे और हुकुम चंद्र तिवारी छात्र। पहली बार मुलायम से मुलाकात हुई, तो दोस्ती गाढ़ी होती चली गई। 1967 में पहली बार मुलायम सिंह यादव विधायक बने, तो हुकुम चंद्र तिवारी ने उनसे मुलाकात की। कृष्णापुरी से जमुना पार पुल बनवाने की मांग की।
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हुकुमचंद्र बने सादाबाद से विधायक
हुकुम चंद्र बताते हैं कि तब मुलायम सिंह यादव उन्हें तत्कालीन सिंचाई मंत्री गिरधारी लाल के पास ले गए। उनसे कहा कि तिवारी जी परेशान हैं, इनकी बात सुनें। तब यहां मुलायम सिंह यादव के प्रयासों से ही पुल बन सका। इसे ही आज हम पुराना यमुना पुल कहते हैं। हुकुम चंद्र 1977 में सादाबाद से विधायक बने। तब वह सादाबाद के विकास के लिए मुलायम सिंह से मिले। तब मुलायम सहकारिता मंत्री थे और तत्कालीन सिंचाई मंत्री बलवीर सिंह से कहकर सादाबाद में उन्होंने नाला का निर्माण कराया। इससे पानी का इंतजाम हुआ।
मुलायम सिंह के निधन के साथ समाजवाद का एक सूरज अस्त हुआ
मांट के गंग नहर में अधिक पानी का इंतजाम भी मुलायम सिंह ने ही कराया था। वह कहते हैं कि लगातार उनकी मुलायम सिंह से बातचीत होती रही। तीन माह पहले भी वह लखनऊ जाकर उनसे मिले। तीन दिन पहले उनकी हालत के बारे में पता करने मेदांता भी पहुंचे। वह कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही समाजवाद का एक सूरज हमेशा के लिए अस्त हो गया है। अब उनके जैसा नेता जन्म नहीं लेगा।
मथुरा के लिए लाल निशान, लेकिन विकास करूंगा
पूर्व विधायक हुकुम चंद्र तिवारी बताते हैं कि सपा कभी मथुरा में लोकसभा या विधानसभा चुनाव नहीं जीती। मैं जब भी मथुरा के लिए उनसे मिलता, तो मुलायम यही कहते कि मथुरा के लिए तो लाल निशान लगा रखा है, कभी वहां से सीट नहीं मिलेगी। लेकिन वहां के लिए विकास करूंगा।