श्रीकृष्ण जन्माष्टमीः 25 को प्रकट होगा दुनिया को गोसेवा का संदेश देने वाला

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिन दुनिया मनाएगी मगर सबसे पहली बधाई राधा के गांव बरसाना से नंदगांव आएगी।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Mon, 22 Aug 2016 09:05 PM (IST) Updated:Wed, 24 Aug 2016 04:40 PM (IST)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमीः 25 को प्रकट होगा दुनिया को गोसेवा का संदेश देने वाला

मथुरा (जेएनएन)। ब्रज में गाय चराकर दुनिया को गो सेवा का संदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिन दुनिया मनाएगी, मगर जन्म दिन पर सबसे पहली बधाई राधा के गांव बरसाना से नंदगांव आएगी।
रक्षाबंधन के ठीक आठ दिन बाद नंदगांव में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। देवकी का कृष्ण व यशोदा के लाला और ब्रज के माखन चोर कन्हैया के आने की तैयारी में नंदगांव व बरसाना के लोग पलकें बिछाए हैं।

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25 अगस्त को नंद भवन में माखन चोर का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। कार्यक्रम के मुताबिक कृष्ण के जन्म की बधाई लेकर बरसाना के गोस्वामी जन नंद भवन में जाएंगे। गोस्वामी समाज के मुखिया एक-दूसरे का अभिवादन करेंगे। भक्तिकाल के कवियों के रचे पदों का गायन होगा। सेवायत रास बिहारी गोस्वामी के अनुसार बरसाना में श्रीकृष्ण की पूजा सखी भेष में होगी। लाड़ली मंदिर स्थित श्रीकृष्ण विग्रह का श्रृंगार सखी रूप में ही किया जाता है।

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नंदगांव में 11 वर्ष 52 दिन रहे
कंस के कारागार में जन्म लेने के बाद गोकुल पहुंचे नंद लाल को राक्षसों के आतंक से बचाने के लिए नंद बाबा उन्हें राजा वृषभान के कहने पर नंदीश्वर पर्वत पर ले आये। शांडिल्य ऋषि का श्राप था कि कोई राक्षस पर्वत के आसपास भी आया तो वह पत्थर का बन जाएगा। आज भी नंद गांव में पाषाण युग के पत्थर के हाऊ बिलाऊ मौजूद हैं। वे दोनों कंस के राक्षस थे, जो कृष्ण को मारने के लिए नंद गांव आए थे। सेवायत तारा गोस्वामी के अनुसार द्वापर युग में नंद बाबा ने ही नंद गांव बसाया था। नंद बाबा व बृषभान परम मित्र थे। नंदगांव में वह 11 वर्ष 52 दिन तक रहे और यहीं से कंस को मारने मथुरा गए।

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अकबरकालीन नंद मंदिर
नंदगांव स्थित नंद बाबा मंदिर अकबर कालीन है। नंद बाबा, यशोदा, कृष्ण बलराम के विग्रह का प्राकट्य भी साढ़े पांच सौ वर्ष पहले चैतन्य महाप्रभु ने नंदीश्वर पर्वत के गुफा से किया था। चैतन्य महाप्रभु को स्वयं श्रीकृष्ण ने दर्शन देकर दिव्य विग्रहों के बारे में बताया। चैतन्य चरितामृत में भी विग्रहों के प्राकट्य का उल्लेख है।

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क्यों मनती खुर गिनती से जन्माष्टमी
पूरी दुनिया में जन्माष्टमी 25 को मनेगी तो नंदगांव में खुर गिनती (अंगुलियों पर गिनती) से 26 को। सेवायत बलराम गोस्वामी के अनुसार नंद बाबा पढ़े लिखे न होने के कारण अंगुलियों से हिसाब लगाकर रक्षाबंधन से आठ दिन बाद अपने लाला का जन्मदिन मनाते थे। आज भी यही परंपरा है।

ये होंगे कार्यक्रम नंदगांव में 25 को गांव गिडोह से बैंडबाजों के साथ चाव नंद मंदिर आएगी।26 की सुबह से कृष्ण जन्मोत्सव की धूम नंद मंदिर में रहेगी। शाम को भजन संध्या व ढ़ांढ़ी-ढ़ांढिऩ लीला। रात्रि 12 बजे गर्भ गृह में कृष्ण के श्री विग्रह का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक। फिर पालना में कृष्ण बलराम के दिव्य दर्शन।27 को नंद मंदिर में संयुक्त समाज गायन, दधि कांदौ लीला, बांस लीला, शंकर लीला, मल्ल युद्ध लीला। शाम को विशाल दंगल।
नंदगांव में नहीं होते अभिषेक दर्शन
मान्यता के अनुसार नंदगांव में कृष्ण अभिषेक के दौरान अभिषेक दर्शन नहीं कराए जाते। श्री विग्रह का अभिषेक गर्भ गृह के अंदर पट बंद करके होता है।
कृष्ण की आराध्य राधा
आचार्य मनोज कृष्ण गोस्वामी के अनुसार गर्ग संहिता में कहा गया है कि कंस का अत्याचार बढ़ा तो परमब्रह्म श्रीकृष्ण ने गोलोक धाम छोड़कर मृत्यु लोक में आने का आश्वासन देवताओं को दिया। इस पर राधारानी बेहोश हो गईं और कहा कि हे प्राण नाथ। मेरा पूरा जीवन तुमको समर्पित है। मैं तुम्हारे बिना एक पल नहीं रह सकती। इसी तरह जब श्रीकृष्ण महाभारत का युद्ध लड़े तो राधा की शक्ति उनके साथ रही।

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