जसोदा हरि पालने झुलावै..

जागरण संवाददाता, मथुरा: वो मासूम हैं। नहीं पता कि उनके सिर पर मां-बाप का साया नहीं। मगर कान्हा की नग

By Edited By: Publish:Thu, 03 Sep 2015 11:50 PM (IST) Updated:Thu, 03 Sep 2015 11:50 PM (IST)
जसोदा हरि पालने झुलावै..

जागरण संवाददाता, मथुरा: वो मासूम हैं। नहीं पता कि उनके सिर पर मां-बाप का साया नहीं। मगर कान्हा की नगरी में उन्हें भरपूर वात्सल्य मिल रहा है। ममता के आंचल में वह हर रोज खिलखिलाते-मुस्कराते हैं। क्योंकि यहां उनकी 'यशोदा मां' उन पर न केवल लाड़ लड़ाती हैं बल्कि अपने बच्चों की तरह इनका लालन-पालन भी कर रही हैं।

यह कहानी है सिविल लाइन स्थित राजकीय बाल गृह शिशु में रहने वाली 30 बच्चों की। तीन साल तक की उम्र के इन बच्चों में 5 लड़के और 25 लड़कियां हैं। इनकी देखभाल करने वाली आया, 'यशोदा' के रूप में इन बाल-गोपालों की देखभाल करती हैं। ये यशोदा माएं इन बच्चों को नहलाने-धुलाने से लेकर खाना खिलाने, कपड़े पहनाने, थपकी देकर और लोरी गाकर सुलाने तक की जिम्मेदारी बखूबी निभाती है। बच्चों की देखभाल करने वाली राधा, माया, राजदा कहती हैं बच्चे तो ईश्वर का रूप होते हैं वो अपना-पराया नहीं जानते। ये बच्चे हमें ही अपनी मां समझते हैं। वहीं गुलाबी, सीमा व कमलेश कहती हैं कि इन बच्चों के बिना हमारा मन नहीं लगता। बच्चे हैं तो परिसर में दिनभर चहल-पहल रहती है। कहती हैं कि हम इन्हें अपने बच्चों की तरह दुलारते हैं और ज्यादा शरारत करते हैं तो ये हमसे डांट भी खाते हैं। इनके अलावा राजकुमार, सुरेश व जवाहर भी केयरटेकर की भूमिका में रहते हैं।

दर्जनों बच्चों लिए जा चुके हैं गोद

यहां रहने वाले बच्चों में से अब तक करीब पांच दर्जन बच्चों को माता-पिता का साथ मिल चुका है। इस वर्ष में अभी तक तीन बच्चे गोद लिए गए हैं। राजकीय बाल गृह शिशु के अधीक्षक जगदंबा गौतम ने बताया कि समय-समय यहां से जरूरतमंद माता-पिता को विधिक प्रक्रिया के तहत बच्चों को गोद दिया जाता है।

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