नहीं आए मरीज, खराब हो गईं एक्स-रे की हजारों फिल्म

जिला अस्पताल में हर माह बर्बाद हो जाती हैं लगभग तीन सैकड़ा फिल्में खिचवाने के बाद मरीज उठाने ही नहीं आते रिपोर्ट हो रहा नुकसान।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 30 Jun 2019 09:51 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2019 06:27 AM (IST)
नहीं आए मरीज, खराब हो गईं एक्स-रे की हजारों फिल्म
नहीं आए मरीज, खराब हो गईं एक्स-रे की हजारों फिल्म

मैनपुरी, जासं। जिला अस्पताल में मरीजों को एक्स-रे की निश्शुल्क व्यवस्था है। लेकिन, इस सुविधा का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है। हर माह लगभग तीन सैकड़ा फिल्में सिर्फ इसलिए बेकार हो रही हैं, क्योंकि एक्स-रे खिचवाने के बाद मरीज अपनी रिपोर्ट उठाने आते ही नहीं। हर माह हजारों रुपये के राजस्व का नुकसान उठाने के बावजूद अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है।

जिला चिकित्सालय परिसर में बड़ी एक्स-रे मशीनें लगी हुई हैं। प्रतिमाह यहां लगभग एक हजार मरीजों का सरकारी पर्चे पर एक्स-रे खींचा जाता है। लेकिन, इनमें से हर माह छह या सात सौ रिपोर्ट ही मरीजों तक पहुंच पाती है। लगभग तीन सौ रिपोर्ट ऐसी बची रहती हैं जिन्हें लेने में मरीज कोई रुचि नहीं लेते हैं। अस्पताल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक मई 2019 में लगभग तीन सौ फिल्में पूरी तरह से बेकार हो गईं। इंतजार के बावजूद रिपोर्ट लेने न आने पर उन्हें हटवा दिया गया है। 300 रुपये में हो रहा प्राइवेट एक्स-रे

शहर में प्राइवेट सेंटरों पर एक्स-रे के अलग-अलग रेट निर्धारित हैं। फुल एक्स-रे की अधिकतम 300 रुपये फीस वसूली जाती है। जिला अस्पताल में हर महीने लगभग एक हजार मरीजों का एक्स-रे होता है। प्राइवेट फीस के अनुसार आंकड़ा लगाया जाए तो हर महीने तीन सौ फिल्मों के हिसाब से लगभग 90 हजार रुपये की फिल्म बर्बाद हो रही हैं। रिपोर्ट न लेने आने वाले ऐसे मरीजों के खिलाफ आज तक अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अधूरे पर्चों पर ही होता है एक्स-रे

जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। एक रुपये के सरकारी पर्चे पर ही मरीजों को एक्स-रे की सुविधा दी जाती है। लेकिन, जिन पर्चों पर एक्स-रे की सलाह लिखी जाती है, उसमें रेफर करने वाले चिकित्सक का न तो नाम लिखा होता है और न ही उनके पूरे हस्ताक्षर होते हैं। किस स्थान का एक्स-रे खींचना है, इसके बारे में भी पर्चे पर कुछ नहीं लिखा होता। इतना ही नहीं, संबंधित मरीज के बारे में भी पूरा पता दर्ज नहीं किया जाता। यही वजह है कि अधूरे पर्चे की वजह से मरीजों से संपर्क करना संभव नहीं होता। कई बार तो चपरासी और वार्ड ब्वॉय द्वारा भी एक्स-रे एडवाइ•ा कर दिया जाता है। 'एक्स-रे के लिए अधूरे पर्चे मान्य नहीं होंगे। बाकायदा चिकित्सक द्वारा रेफर किया जाएगा। किस स्थान का एक्स-रे होना है, चिकित्सक पर्चे पर ही इसका जिक्र करने के साथ नीचे अपना नाम पठनीय भाषा में लिखेंगे। जिन पर्चों पर मरीजों की पूरी जानकारी नहीं होगी, उनका एक्स-रे नहीं खींचा जाएगा।'

डॉ. आरके सागर, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

जिला चिकित्सालय, मैनपुरी।

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