ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं युवा तो भारत फिर से बन सकता विश्व गुरु

जागरण संवाददाता महोबा शिक्षण संस्थानों में मंगलवार को स्वामी विवेकानंद जयंती राष्ट्रीय युवा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 11:34 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 11:34 PM (IST)
ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं युवा तो भारत फिर से बन सकता विश्व गुरु
ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं युवा तो भारत फिर से बन सकता विश्व गुरु

जागरण संवाददाता, महोबा : शिक्षण संस्थानों में मंगलवार को स्वामी विवेकानंद जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई गई। शिक्षकों ने छात्र छात्राओं को स्वामी विवेकानंद की जीवन चरित्र के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

जीजीआइसी में प्रधानाचार्य सरगम खरे ने स्वामी विवेकानंद के मानवता के संदेश एवं वेदांत दर्शन को याद कर उनकी प्रेरणा के अनुसार कार्य करने की शपथ दिलाई। साई कालेज के प्रशिक्षुओं ने युवा जोश का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न मनमोहक और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम पेश किए। अमृत, शालिनी ने भाषण के माध्यम से जानकारी दी। योगराज ने युवाओं को उनके कर्तव्यों से अवगत कराया। कहा कि युवा यदि अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं तो भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है। मां चंद्रिका महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ. ज्योति सिंह ने विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय में एनएसएस शिविर का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में तमाम छात्र छात्राएं और स्टाफ मौजूद रहा। विवेकानंद ने दुनिया को दिखाई वेदांत की राह

जागरण संवाददाता, महोबा:

राष्ट्रीय युवा दिवस पर मंगलवार को बुंदेली समाज द्वारा ऐतिहासिक गोरखगिरि पर स्वामी विवेकानंद की 158वीं जयंती मनाई। लोगों ने उनके उस अविस्मरणीय योगदान को याद किया जिसके तहत उन्होंने 39 वर्ष की अल्प आयु में न केवल दुनिया को प्रभावशाली ढंग से वेदांत दर्शन का महत्व बताया, बल्कि गुलामी की जंजीरों में जकड़े भारत का मान भी बढ़ाया।

बुंदेली समाज संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में विश्वनाथ दत्त के यहां हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। पिता उनको पाश्चात्य सभ्यता में ढालना चाहते थे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। पिता का अचानक देहांत हो गया और नरेंद्र 25 वर्ष में भगवा धारण कर संन्यासी हो गए। गुरू राम कृष्ण परमहंस के निर्देश पर वे 1893 में विश्व धर्म सम्मेलन में शामिल होने शिकागो पहुंचे जहां उन्होंने वेदांत पर अपने उद्बोधन से ऐसी धाक जमाई कि पूरा पश्चिमी जगत उनका मुरीद हो गया। साहित्यकार संतोष पटैरिया ने कहा कि संत ज्ञानेश्वर के बाद विवेकानंद ने अल्प आयु में इतनी ख्याति अर्जित की। इस मौके पर सुधीर दुबे, मुन्ना जैन, पवित्र पाटकार, ग्यासी लाल, सिद्ध गोपाल सेन व शैलेश श्रीवास्तव सहित अन्य मौजूद रहे।

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