विलुप्त होती जा रही दशहरा में पान खिलाने की परंपरा

जागरण संवाददाता, महोबा : दशहरा में एक दूसरे को पान न खिलाया जाए तो कुछ अधूरा सा लगता ह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Oct 2018 10:58 PM (IST) Updated:Thu, 18 Oct 2018 10:58 PM (IST)
विलुप्त होती जा रही दशहरा में पान खिलाने की परंपरा
विलुप्त होती जा रही दशहरा में पान खिलाने की परंपरा

जागरण संवाददाता, महोबा : दशहरा में एक दूसरे को पान न खिलाया जाए तो कुछ अधूरा सा लगता है। खासतौर पर बुंदेलखंड में यह परंपरा प्राचीन समय से रही है, लेकिन आधुनिक परिवेश में गुटखा और सिगरेट के बढ़ते चलन से पानदान घरों से ही गुम हो गए है। स्मार्ट फोन के जमाने ने युवाओं को अपनी आगोश में ले लिया है और एक दूसरे के घर जाकर आशीर्वाद लेने की परंपरा भी कम हो गई, कुछ लोग इसके लिए व्यस्तता भी कारण मानते है।

दशहरा के पर्व का विशेष महत्व है। कुछ समय पहले इस दिन लोग आपसी प्रेम व्यवहार के साथ गिले शिकवे दूर करके आपस में गले मिल उन्हें विजय दशमी की शुभकामनाएं देते थे। इसके साथ ही लोग एक दूसरे के घर जाकर आशीर्वाद लेते थे और बदले में उन्हें पान के साथ उज्जवल व सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता था। लेकिन हाईटेक युग में यह परंपराएं कहीं गुम हो गई है। अब न लोगों के लबों पर पान की लाली होती है और न ही आशीर्वाद लेते नजर आते है। अब लोग दशहरे का महत्व बस इतना ही समझते है कि इस दिन झांकियां निकलेगी और रावण के पुतले का दहन होगा। शहर के महेश्वरीदीन तिवारी, देवीदीन चौरसिया बताते है कि पहले का जमाना कुछ और था, अब तो सिर्फ त्योहार महज रस्म अदायगी में ही सिमटकर रह जाते है।

इंटरनेट व एसएमएस से दे रहे शुभकामनाएं

प्राचीन परंपराओं को निभाने में युवा पीढ़ी की रुचि कम ही दिखती है। हाईटेक युग में अब युवा एक दूसरे के घर जाने की बजाए मोबाइल से एसएमएस व इंटरनेट से दशहरा का ई-कार्ड भेजना ही ज्यादा मुनासिब मानते है। वह एक दूसरे को एसएमएस से ही दशहरा की शुभकामनाएं दे देते है। युवा चंचल सोनी, उमेश यादव कहते है कि काम की व्यस्तता के चलते अब हर किसी के घर जाने का समय नहीं मिल पाता। इसलिए वह इंटरनेट व एसएमएस का माध्यम ज्यादा सही मानते है। हालांकि अभी भी ग्रामीण अंचलों में परंपराओं को जीवंत रखने की थकी सी कोशिश की जा रही है।

आज होगा रावण के पुतले का दहन

नवरात्र के नौ दिन मां की विधि विधान के साथ देवी भक्तों ने पूजा अर्चना की और शुक्रवार को इनका शहर के कीरतसागर में विसर्जन होगा। इसके साथ ही शहर के पुराने रामलीला मैदान व डाकबंगला मैदान में नवरात्र के पहले दिन से चल रही रामलीला का समापन भी हो जाएगा और दोनों ही स्थानों पर रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। रामलीला समितियों द्वारा इसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। दोनों ही स्थानों पर रावण बनकर तैयार हो गए है। लोगों में भी इसे लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है।

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