लीड) प्रमाणित भंडारण केंद्र न होने से चना खरीद रोकी गई

फोटो प्रमाणित भंडारण केंद्र न होने से चना खरीद रोकी गई

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 May 2022 07:07 PM (IST) Updated:Fri, 27 May 2022 07:07 PM (IST)
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- डीएम ने प्रबंध निदेशक को पत्र भेज कर भंडारण की व्यवस्था कराने को कहा

जागरण संवाददाता, महोबा: जिले में चना खरीद को लेकर जैतपुर के पीसीएफ केंद्र पर पिछले तीन दिनों से किसान चक्कर काट रहे थे। केंद्र प्रभारी उपज रखने की जगह न होने के कारण खरीद बंद कर किसानों को मना कर दिया था। मामले का संज्ञान लेते हुए डीएम और एडीएम की ओर से पीसीयू एमडी (यूपी कोआपरेटिव यूनियन लिमिटेड) मनोज द्विवेदी को पत्र भेज कर तुरंत भंडारण की व्यवस्था कराने को कहा है। उम्मीद है जल्द ही भंडारण प्रारंभ हो सकेगा और किसानों के चना उपज की खरीद फिर से होने लगेगी। जिले में चना खरीद के लिए दस अप्रैल से जैतपुर पीसीएफ केंद्र पर खरीद केंद्र का संचालन हो रहा है। यहां 24 मई तक 1076 किसानों का 23 हजार कुंतल तक चना खरीदा जा चुका है, लेकिन इन किसानों को भुगतान नहीं मिल सका है। दूसरी तरफ पीसीएफ केंद्र ने जो भी उपज खरीदी उसका कहीं भंडारण न हो पाने से अब और माल रखने का स्थान नहीं बचा है। ऐसे में केंद्र प्रभारी दिनेश कुमार ने किसानों का माल खरीदने से मना कर दिया था। मालूम हो कि नैफेड ने शर्त रखी थी कि वह 50 किमी की दूरी का ही वाहन का माल ले जाने का किराया देंगे। जहां माल रखा जाए वह केंद्र प्रमाणित होना चाहिए। इस तरह जिले में ऐसा कोई भंडारण केंद्र न होने से अब खरीद को लेकर संकट आ गया था। वैसे जैतपुर पीसीएफ केंद्र से सूपा में बने भंडारण केंद्र की दूरी 25 किमी ही है, लेकिन यह केंद्र प्रमाणित नहीं है। इस समस्या के समाधान को लेकर ही डीएम मनोज कुमार ने पीसीयू के प्रबंध निदेशक मनोज द्विवेदी और पीसीएफ के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर को पत्र भेजा है। मांग की है कि सूपा केंद्र पर ही भंडारण की अनुमति दी जाए। डिप्टी आरएमओ रामकृष्ण पांडेय ने बताया कि जल्द ही धनराशि संस्था की ओर से प्राप्त होनी है, पैसा आते ही किसानों का भुगतान मिलेगा, भंडारण को लेकर भी कोई रास्ता जल्द ही निकल आने की उम्मीद है। जैतपुर के किसान हरीसिंह, यशोदा, ओम प्रकाश का कहना है कि हम लोगों ने चना बिक्री तो कर दिया लेकिन बीस दिन बाद भी उसका भुगतना न हो पाने से सारे काम अटके हुए हैं। बिहार गांव के मूलचंद, थुरट के रवि यादव कहते हैं कि भंडारण की समस्या को पहले ही सुलझा लेना चाहिए था।

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