वादे हुए फेल, सीएम योगी के गोरखपुर में ही छह से सात घंटे कट रही बिजली

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर को भी छह से सात घंटे बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है।

By amal chowdhuryEdited By: Publish:Tue, 23 May 2017 11:20 AM (IST) Updated:Tue, 23 May 2017 01:17 PM (IST)
वादे हुए फेल, सीएम योगी के गोरखपुर में ही छह से सात घंटे कट रही बिजली
वादे हुए फेल, सीएम योगी के गोरखपुर में ही छह से सात घंटे कट रही बिजली

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश में भाजपा सरकार का दो माह का कार्यकाल पूरा होने पर भी प्रदेश के कई जिलों में बिजली आपूर्ति में सुधार नहीं हो पाया है। मुख्यालयों को 24 घंटे बिजली देने का वादा भी अभी अमल में नहीं आ पाया है। यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर को भी छह से सात घंटे बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है।

भीषण गर्मी के चलते प्रदेश में बिजली की मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है और इसका आपूर्ति पर गहरा असर पड़ा है। जिलों से मिले इनपुट के अनुसार छोटे जिलों की हालत और भी खराब है। शहरों को लोकल फाल्ट की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इसका अपवाद नहीं है और वहां भी बिजली कटौती करनी पड़ रही है।

माना जा रहा था कि योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर शहर को अबाध बिजली मिलेगी लेकिन ऐसा भी न हो सका। एक माह पहले हुई समीक्षा बैठक में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक एके मित्तल ने यह दावा जरूर किया था कि दस मई से गोरखपुर में हम 24 घंटे बिजली देंगे, लेकिन अभी भी छह से सात घंटे की बिजली कटौती हो रही है।

दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का गृह जिला होने के नाते मथुरा को 24 घंटे बिजली मिल रही है। वहां देहात में औसतन 21-22 घंटे आपूर्ति की जा रही है। सपा शासन में बिजली को लेकर वीआइपी जिला रहे मैनपुरी के दिन भी बुरे आ गए हैं और वहां शहरी क्षेत्र में औसतन सात घंटे जबकि देहात में 10 घंटे तक अघोषित कटौती की जा रही है।

आगरा, फीरोजाबाद, मुरादाबाद संभल शहर में भी बिजली कटौती हो रही है। गांवों का हाल तो और भी बुरा है। रामपुर में बिजली की स्थिति जरूर बेहतर है। शहर में 23 घंटे तक आपूर्ति हो रही है। बरेली में औसतन 23 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में औसतन 16 घंटे बिजली देने का विभाग का दावा हवाई है। पीलीभीत, बदायूं, शाहजहांपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में बमुश्किल सात-आठ घंटे ही बिजली मिल पा रही है।

आजमगढ़ व मीरजापुर मंडल के शहरों में भी 20 घंटे ही बिजली आपूर्ति है। लखनऊ कंट्रोल के शहरों को 24, तहसील मुख्यालय को 20 व गांवों को 18 घंटे विद्युत आपूर्ति का शेड्यूल है। इसके उलट शहरों को 20, तहसील मुख्यालयों को 16 व ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से 13 घंटे आपूर्ति की जा रही है। इस कारण भीषण गर्मी में लोगों का जीना दूभर हो गया है।

इलाहाबाद और आसपास के जिलों में कुछ स्थानों को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी रोस्टर के हिसाब से बिजली नहीं मिल रही। इलाहाबाद शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में तो औसतन 15 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। गांवों में यह औसत 10 से 15 घंटे है।

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विभागीय दावा है कि ओवरलोड ट्रांसफारमर फुंकने और लोकल फाल्ट की वजह से जहां-तहां आ रही है। प्रतापगढ़ में कुल डिमांड 150 मिलियन यूनिट की है लेकिन औसतन 100 मिलियन यूनिट ही मिल पा रही है। इससे कभी दिन में तो कभी रात में आपात कटौती हो रही है। कौशांबी में आमतौर पर गांव में 18 और जिला मुख्यालय में 24 घंटे बिजली सप्लाई का आदेश है लेकिन इतनी भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

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