बिना सर्जरी के ही पता चल जाएगा कि ट्यूमर कैंसर युक्‍त है या नहीं

पीजीआइ में स्थापित हुई स्टीरियो टैक्सी तकनीक। उत्तर भारत का तीसरा संस्थान बना न्यूरो सर्जरी विभाग। नेवीगेशन से मिलती है ट्यूमर तक पहुंचने की सटीक जानकारी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 12:56 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 02:19 PM (IST)
बिना सर्जरी के ही पता चल जाएगा कि ट्यूमर कैंसर युक्‍त है या नहीं
बिना सर्जरी के ही पता चल जाएगा कि ट्यूमर कैंसर युक्‍त है या नहीं

लखनऊ, (कुमार संजय)। संजय गांधी पीजीआइ स्टीरियो टैक्सी तकनीक के जरिए बिना सिर खोले बताएगा कि ब्रेन ट्यूमर किस तरह का है। संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग ने स्टीरियो टैक्सी तकनीक स्थापित की है। इसके जरिए दिमाग के अंदर जाकर ट्यूमर की निडिल बायोप्सी की जाती है। अभी तक ओपन सर्जरी कर ट्यूमर निकालने के बाद जांच की जाती थी, जिससे पता चलता था कि ट्यूमर कैंसर युक्त है या नहीं।

विभाग के प्रमुख प्रो. संजय बिहारी, प्रो. अरुण श्रीवास्तव, प्रो. कुंतल दास, प्रो. वेद प्रकाश ने बताया कि इस तकनीक में पहले सिर का सीटी स्कैन कराया जाता है। इसके बाद सिर पर खास मैटीरियल से बने फ्रेम को फिट करके सीटी स्कैन कराया जाता है। इन दोनों इमेज को विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए आपस में फ्यूज किया जाता है। स्टीरियो टैक्सी की खासियत होती है कि वह ट्यूमर का नेवीगेशन करता है। ट्यूमर तक कैसे और किस रास्ते पहुंचा जाए, यह पता भी पता लगाता है। पीजीआइ यह तकनीक स्थापित करने वाले उत्तर भारत का तीसरा संस्थान बन गया है।

कई मामलों में बच जाएगी सर्जरी

विशेषज्ञों ने बताया कि कई बार ट्यूमर होने पर सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। यदि ट्यूमर दिमाग के भीतरी हिस्से में है तो सर्जरी संभव नहीं होती। इसके अलावा ट्यूमर छोटा है और दिमाग पर प्रेशर नहीं डाल रहा है तो इसकी भी सर्जरी जरूरत नहीं होती। इस तकनीक से अनावश्यक सर्जरी से मरीजों को बचाया जा सकता है।

प्रो. कुंतल दास ने बताया कि कम्प्यूटर का सॉफ्टवेयर काफी हद तक ट्यूमर तक पहुंचने में मदद करता है। कम्प्यूटर पर ही सारी एक्सरसाइज करने के बाद मरीज को लोकल एनेस्थीसिया देकर निडिल से ट्यूमर की दो तरफ से बायोप्सी ली जाती है। फिर बायोप्सी को हिस्टोपैथोलॉजी विभाग में जांच केलिए भेज दिया जाता है। बायोप्सी लेने केबाद उसमें हवा पुश कर दी जाती है, फिर सीटी स्कैन कराया जाता है। सीटी स्कैन में दिख रही हवा से कंफर्म हो जाता है कि बायोप्सी सफल रही।

लगता है ब्रेन ट्यूमर, होता नहीं

कई बार सीटी स्कैन और एमआरआइ में ट्यूमर जैसा दिखता है लेकिन ट्यूमर नहीं होता। 20 से 40 वर्ष की उम्र के 40 से 50 फीसद लोगों में जो ट्यूमर दिखता है वह ट्यूमर नहीं होता, बल्कि टीवी और न्यूरोसिस्टिसरकोसिस के कारण वह ट्यूमर जैसा दिखता है। जांच से यह पता लग जाता है कि ट्यूमर नहीं है और बिना वजह सर्जरी से बचा जा सकता है। इस परेशानी में दवा से इलाज संभव होता है।

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