गोल्डन ट्रैंगल एप्रोच से रुकेंगी जलजनित बीमारियों से मौतें

धर्मेन्द्र मिश्रा, लखनऊ: पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी व डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Jul 2018 07:04 PM (IST) Updated:Sun, 15 Jul 2018 07:04 PM (IST)
गोल्डन ट्रैंगल एप्रोच से रुकेंगी जलजनित बीमारियों से मौतें
गोल्डन ट्रैंगल एप्रोच से रुकेंगी जलजनित बीमारियों से मौतें

धर्मेन्द्र मिश्रा, लखनऊ:

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी व डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन(डीआरडीओ) के निदेशक रह चुके वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. डॉ. रामगोपाल ने गोल्डन ट्रैंगल एप्रोच पद्धति से जलजनित बीमारियों को रोकने का दावा किया है। यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी, वैदिक साइंस व ट्रेडिशनल प्रैक्टिस का इस्तेमाल एक साथ किया जाता है।

वैज्ञानिक रामगोपाल कहते हैं कि देश के 80 फीसद बच्चों की मौत जलजनित बीमारियों की वजह से हो जाती हैं। अब जरूरत है कि मॉडर्न तकनीक के साथ वैदिक साइंस व ट्रेडिशनल प्रैक्टिस का एक साथ इस्तेमाल किया जाए। मॉडर्न तकनीक में जलशोधन प्लांट व यंत्र आते हैं। वहीं वैदिक साइंस में जल को उबालना, उसे चांदी, तांबे या मिंट्टी इत्यादि के बर्तनों में सुरक्षित रखना व बालू-मिंट्टी की परतों से जल को छानना शामिल है। ट्रेडिशनल प्रैक्टिस का मतलब यह है कि जल जिस स्थान व जिस पात्र में रखा जाए वह साफ-सुथरा हो। जूते-चप्पल पहन कर या हाथ को बिना साबुन से धुले पानी को न छुएं।

जल शोधन व बैक्टीरिया जांच संबंधी आविष्कार

वाइडर एसोसिएशन फॉर वैदिक स्टडीज के प्रेसिडेंट प्रो. रामगोपाल ने 1990 के दशक में दुनिया के सामने जल में त्वरित बैक्टीरिया जांच व जलशोधन यंत्र (वाटर क्वालिटी टेस्टिंग एंड प्योरिफिकेशन सिस्टम, वाटर टेस्टिंग फील्ड किट्स, वाटर डिसाल्टिंग किट, मिनरल मिक्चर टेबलेट) की बहुत सी तकनीक विकसित कीं, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर पूरी दुनिया ने अपनाया। सेना व सिविल में आज इसी का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने मात्र कुछ घंटों में टायफाइड जांच का परिणाम देने वाला यंत्र भी विकसित किया। अब वह ग्लोबल वाटर चैलेंज एंड इट्स मिटिगेशन बाई डिकोडिंग द एंसिएंट विजडम ऑफ वेदाज पर काम कर रहे हैं।

वैदिक नदी सरस्वती की खोज:

डॉ. राम गोपाल को डॉ. कलाम ने 70-80 के दशक में राजस्थान के 100 गांवों में मीठा पानी पहुंचाने का जिम्मा सौंपा। इसके बाद वह रेगिस्तान में पानी की खोज करने में जुट गए। उन्हें कई स्थानों पर मीठे पानी के स्त्रोत मिले जिसका लिंकअप हिमालय नदी तक था। इसे उन्होंने वैदिक नदी सरस्वती बताया। बाद में वैदिक नदी सरस्वती शोध संस्थान की स्थापना की। वर्तमान में सरस्वती हेरिटेज बोर्ड ऑफ हरियाणा सरस्वती को सतह तक लाने का प्रयास भी इसी के तहत हो रहा है। इस दौरान उन्होंने ऑयल व केमिकल सोर्स होने की संभावना भी जताई। खारे पानी को मीठा बनाने की उनकी तकनीक दुनिया भर में इस्तेमाल हो रही है।

पोखरण परीक्षण में निभाई अहम भूमिका: वर्ष 1998 के पोखरण परीक्षण में उनकी भूमिका शानदार रही। इसकी लीडरशिप मिसाइलमैन डॉ. कलाम के हाथों में थी। उन्होंने बताया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी(सीआइए) को चकमा देकर छद्मावरण में पांच अणु परीक्षण करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा।

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