UP News: बिजली कर्मियों की हड़ताल- हड़ताली कर्मचारियों ने छोड़ी हेठी तो सरकार ने भी दिखाया लचीलापन

वित्तीय वर्ष का आखिरी माह होने के कारण पहले ही जबरदस्त घाटे में चल रहे ऊर्जा निगमों की राजस्व वसूली भी प्रभावित हो रही थी। यही वजह थी कि सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए दंडात्मक कार्रवाई की।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 20 Mar 2023 12:50 AM (IST) Updated:Mon, 20 Mar 2023 12:50 AM (IST)
UP News: बिजली कर्मियों की हड़ताल- हड़ताली कर्मचारियों ने छोड़ी हेठी तो सरकार ने भी दिखाया लचीलापन
सरकार ने बातचीत का रास्ता भी खुला रखा था।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो: बिजली कर्मियों की हड़ताल जिस मुकाम पर आकर खत्म हुई, उससे दोनों पक्षों का सम्मान बरकरार रह गया। इस नतीजे पर पहुंचने के लिए यदि हड़ताली बिजली कर्मियों को अपनी हठवादिता त्यागनी पड़ी तो सरकार को भी अपने रुख में लचीलापन लाना पड़ा।

एक लाख बिजलीकर्मियों के कार्य बहिष्कार के बाद हड़ताल पर जाने से निश्चित तौर पर बिजली व्यवस्था प्रभावित हुई थी। उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम की लगभग एक दर्जन इकाइयां ठप हो गई थीं। कई जिलों में बिजली आपूर्ति बाधित होने से त्रस्त जनता सड़क पर उतर आई, जिससे सरकार के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हुई। 

वित्तीय वर्ष का आखिरी माह होने के कारण पहले ही जबरदस्त घाटे में चल रहे ऊर्जा निगमों की राजस्व वसूली भी प्रभावित हो रही थी। यही वजह थी कि सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए दंडात्मक कार्रवाई की। 

वहीं, सरकार ने बातचीत का रास्ता भी खुला रखा। बड़ी संख्या में बर्खास्त किये गए आउटसोर्सिंग-संविदा कर्मियों की जगह आईटीआई, पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग के छात्रों की भर्ती करने का इरादा जताकर उसने कर्मचारियों पर दबाव और बढ़ाया।

उधर, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हड़ताल पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उन्हें 20 मार्च को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया था। हड़ताली कर्मचारियों पर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश देने के साथ कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा से इसकी अनुपालन रिपोर्ट के साथ हलफनामा भी मांगा था। 

कोर्ट के रवैये ने यदि हड़ताली नेताओं पर दबाव को और बढ़ाया तो अदालत के निर्देशों के अनुपालन की जिम्मेदारी सरकार पर भी थी। कर्मचारियों पर ज्यादा सख्ती से स्थिति बिगड़ सकती थी। इसलिए समय की नजाकत को भांपते हुए दोनों पक्षों ने अपने रुख में नर्मी दिखाई, जिसका परिणाम 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल के समय से पहले वापस लिए जाने के रूप में सामने आया।

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