अब यूपी में भी इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की राह आसान, योगी सरकार ने इस नीति को दी मंजूरी

योगी कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति-2019 को मंजूरी दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 06 Aug 2019 07:53 PM (IST) Updated:Tue, 06 Aug 2019 10:15 PM (IST)
अब यूपी में भी इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की राह आसान, योगी सरकार ने इस नीति को दी मंजूरी
अब यूपी में भी इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की राह आसान, योगी सरकार ने इस नीति को दी मंजूरी

लखनऊ, जेएनएन। योगी सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण की रक्षा के लिए कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की तरह उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की राह आसान की है। इसके लिए कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति-2019 को मंजूरी दी है। इस नीति के प्रभावी होने से प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश और 50 हजार रोजगार की उम्मीद है। सरकार ने पहले चरण में दस हजार इलेक्ट्रिक बसों के निर्माण की योजना बनाई है। सरकार इसके लिए प्रोत्साहन देगी।

मंगलवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 11 प्रस्तावों पर मुहर लगी। राज्य सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह तथा ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने फैसलों की जानकारी दी। सिद्धार्थ ने बताया कि इस सेक्टर के कारण वाहनों के निर्माण को गति मिलेगी और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। आटोमोबाइल उद्योग अधिकांशत: प्रदूषण में वृद्धि करता है, इसलिए सरकार प्रदूषण को कम करने तथा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहित करने के लिए इस नीति को स्थापित कर रही है। यह नीति उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के पूरक के रूप में तैयार की गई है।

बनाये जाएंगे दो लाख चार्जिंग स्टेशन

सरकार इसके लिए तीन क्षेत्रों में काम करेगी। सबसे पहले तो यह कोशिश होगी कि अधिक से अधिक वाहनों का निर्माण हो और दूसरे उन वाहनों की चार्जिंग का प्रबंध हो। तीसरे इन वाहनों की मांग भी हो। एंकर यूनिट को खास प्रोत्साहन दिया जायेगा। मेगा बैट्री यूनिट के लिए जमीन के सर्किल रेट पर 25 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। वर्ष 2024 तक 70 फीसद सार्वजनिक वाहनों को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य है। दो लाख चार्जिंग स्टेशन बनाये जाने हैं। मेगा एंकर यूनिट जो अंब्रेला पालिसी में परिभाषित नहीं है, उन्हें भी यहां फायदा मिलेगा।

यह 2017 की नीति से अलग है। इसमें शत प्रतिशत या 50 लाख रुपये तक की छूट मिलेगी। चार्जिंग स्टेशनों के लिए निजी निवेशकों को भी भारी छूट दी जायेगी। एक स्टेशन के निर्माण में करीब 25 लाख रुपये का खर्च है। जमीन को छोड़कर 25 प्रतिशत या छह लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। दो पहिया वाहनों पर दस हजार, तिपहिया पर 20 हजार और बड़े वाहनों पर 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। रजिस्टे्रशन भी निश्शुल्क होगा और रोड टैक्स में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी।

पांच वर्ष तक प्रभावी रहेगी नीतियह नीति पांच वर्ष या तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक राज्य सरकार द्वारा इसे संशोधित नहीं किया जाता। सरकार का मानना है कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग विश्व भर में बढ़ रहे उद्योगों में से एक है। इस सेक्टर के कारण मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को गति मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

यूपीडेस्को को स्वीकृत धनराशि पर करीब सात करोड़ का ब्याज माफ

इलेक्ट्रिानिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी) की ग्रेटर नोएडा में स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य बजट से यूपीडेस्को को करीब 44.71 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की थी। इस धनराशि पर छह करोड़ 99 लाख 81 हजार 204 रुपये का ब्याज माफ करने का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष आया, जिसे मंजूरी दे दी। इसके अलावा यूपीडेस्को द्वारा कुल व्यय की गई 30.40 लाख रुपये का समायोजन भी किया गया है।

इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना के लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास क्षेत्र में यूपी डेवलपमेंट सिस्टम्स कारपोरेशन (यूपीडेस्को) को आइटी एवं इलेक्ट्रानिक विभाग ने चीफ प्रमोटर नामित किया। इस क्रम में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास, प्राधिकरण द्वारा यूपीडेस्को के पक्ष में इकोटेक-छह में 100 एकड़ तथा इकोटेक-सात में 110 एकड़ यानी कुल 210 एकड़ भूमि आरक्षित की गई। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर किस्तों का भुगतान किये जाने के लिये उप्र सरकार ने यूपीडेस्को को वर्ष 2015-16 में 24.71 करोड़ और 2016-17 में 20 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की थी। इस पर 15 प्रतिशत ब्याज देना था। कैबिनेट ने ब्याज की धनराशि को माफ किया है।

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