वाहनों के बंद होने से नहीं GPS ऑन होने से लगता है 'जाम', जानिए कैसे
गूगल ट्रैफिक फोरकास्ट जीपीएस के डाटा के एनालिसिस पर आधारित है। वहीं शहर की हाईटेक यातायात पुलिस के पास अभी तक ऐसा कोई अप्लीकेशन नहीं है जिससे शहर के प्रमुख मार्गों के यातायात का सही हाल मिल सके।
लखनऊ, जेएनएन। शहर में कहां जाम लगा है, कहां पर यातायात का दबाव ज्यादा है, इस स्थान से उस जाने में कितना समय लगेगा... जैसे सवालों का जवाब गूगल के सर्च इंजन पर डालते ही लखनऊ के यातायात का हाल पता तो चल जाएगा, लेकिन वह 100 फीसदी सही होगा इसका भरोसा नहीं। क्योंकि गूगल ट्रैफिक फोरकास्ट शहर की सड़कों पर दौड़ रहे वाहन चालकों के मोबाइल व कार में लगे जीपीएस पर आधारित है। जीपीएस बंद होने पर इस पर असर पड़ता है। गूगल ट्रैफिक फोरकास्ट इसी डाटा के एनालिसिस पर आधारित है। वहीं शहर की हाईटेक यातायात पुलिस के पास अभी तक ऐसा कोई अप्लीकेशन नहीं है, जिससे शहर के प्रमुख मार्गों के यातायात का सही हाल मिल सके।
सिर्फ फाइल के लिए बनती यातायात पुलिस की हर दो घंटे पर यातायात की रिपोर्ट
शहर के यातायात की सही जानकारी के लिए ट्रैफिक विभाग हर दो घंटे पर प्रमुख मार्गों के यातायात दबाव का एक फ्लो चार्ट तैयार करता है। जो आम जनता की सुविधा के लिए नहीं वीआईपी मूवमेंट कराने और फाइल में रिकार्ड सुरक्षित करने तक ही सीमित है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अभी तक यातायात विभाग ऐसी कोई एप या यातायात समाचार प्रसारित करने की व्यवस्था नहीं कर सका है, जिससे लोगों को शहर के यातायात का सही हाल पता चल सके।
गूगल ट्रैफिक फोरकास्ट
एडीसीपी यातायात पूर्णेंदु सिंह ने बताया कि सड़क पर चलने वाले वाहनों के जीपीएस पर आधारित होता है। उसके माध्यम से ही यातायात के विषय में जानकारी अपडेट करता है। जबकियातायात विभाग हर दो घंटे पर यातायात के फ्लो का चार्ट तैयार करता है। उसके आधार पर जाम व अधिक यातायात दबाव वाले स्थानों पर अतिरिक्त फोर्स या डाइवर्जन कर यातायात को बहाल करता है। जाम की स्थित में समय-समय पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लोगों को बताया जाता रहता है।