लखनऊ की 5वीं पास उस महिला व्यवसायी की कहानी, जिसे राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित; जानें-सलाना कितनी है कमाई

बिटाना देवी उन सफल महिलाओं में से एक हैं जो मेहनत करके बुलंदियों को छूने का जज्बा रखती हैं। निगोहा के मीरकनगर गांव की रहने वाली पांचवीं कक्षा पास बिटाना देवी को दहेज में एक भैंस मिली थी जिससे 1985 में उन्होंने डेयरी का कार्य शुरू किया।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 04:42 PM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 04:42 PM (IST)
लखनऊ की 5वीं पास उस महिला व्यवसायी की कहानी, जिसे राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित; जानें-सलाना कितनी है कमाई
बिटाना देवी वर्तमान में दो दर्जन से अधिक महिलाओं को डेयरी से जोड़कर राेजगार भी दे रही हैं।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। बिटाना देवी उन सफल महिलाओं में से एक हैं जो मेहनत करके बुलंदियों को छूने का जज्बा रखती हैं। निगोहा के मीरकनगर गांव की रहने वाली पांचवीं कक्षा पास बिटाना देवी को दहेज में एक भैंस मिली थी जिससे 1985 में उन्होंने डेयरी का कार्य शुरू किया। उनका यह छोटा सा प्रयास परिवार को भी भा गया। वर्तमान में दो दर्जन से अधिक महिलाओं को डेयरी से जोड़कर राेजगार भी दे रही हैं। 

16 गायों और 11 भैंसों के साथ हर दिन करीब 100 से 120 लीटर दूध उपार्जित करने वाली बिटाना न केवल मवेशियों से अकेले ही दूध निकालती हैं बल्कि उनकी देखभाल भी स्वयं करती हैं। उनका कहना है कि उनके पति हरिनाम सिंह रायबरेली में शिक्षक थे और अब सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन उनकी कोई दिलचस्पी नहीं रही। बेटा कार्तिकेय व दत्तात्रेय को पढ़ाई के चलते काम करने का मौका नहीं मिलता। हां इतना जरूर है कि पति उनका हौसला बढ़ाते हैं और उन्हीं की प्रेरणा का प्रतिफल हैं कि लगातार 2005 से लगातार लखनऊ में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन के लिए गोकुल पुरस्कार मिल रहा है।

सपना है कि वह प्रदेश में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन वाली महिला का खिताब अपने खाते में करें। बिटाना देवी कई बार प्रदेश स्तरीय पुरस्कार में टाप पांच में रह चुकी हैं। कोरोना काल की वजह से दो साल से पुरस्कार वितरण नहीं हुआ है। लखनऊ दुग्ध संघ के प्रवक्ता डीपी सिंह ने बताया कि बिटाना देवी पराग को दूध देती हैंञ उनका दुग्ध संघ है जहां से पराग दूध एकत्र करता है। उनकी लगन की वजह से वह हर बार सर्वाधिक दूध पराग को देती हैं। उनके माध्यम से आसपास की महिलाएं और पुरुष डेयरी व्यवसाय से जुड़कर अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं।

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