'टारगेट का प्रस्थान' मतलब आ रहा है मुख्तार, हर चौराहे पर नहीं रुकती थी वैन; अंतिम नंबर 786 होने पर माफिया के गुर्गे...
Mukhtar Ansari Death दो दशक पहले जब मुख्तार को पुलिस वैन में जेल से कचहरी के लिए लाया जाता था और फिर वापस जेल ले जाया जाता था तब पुलिस को भी सतर्क कर दिया जाता था। हर चौराहे पर उनकी वैन को रोका नहीं जाता था। पुलिस के वायरलैस सेट पर मैसेज गूंजता था कि टारगेट का प्रस्थान होने वाला है।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। दो दशक पहले जब मुख्तार को पुलिस वैन में जेल से कचहरी के लिए लाया जाता था और फिर वापस जेल ले जाया जाता था तब पुलिस को भी सतर्क कर दिया जाता था। हर चौराहे पर उनकी वैन को रोका नहीं जाता था। पुलिस के वायरलैस सेट पर मैसेज गूंजता था कि टारगेट का प्रस्थान होने वाला है और इसके बाद उस सड़क पर पुलिस की सक्रियता बढ़ जाती थी। यातायात को चालू रखा जाता था, जिससे मुख्तार को लेकर आ रही वैन को रोका न जा सके।
दारुलशफा में सजती भी महफिल
सफेद कुर्ता और सफेद लुंगी में ही माफिया मुख्तार अंसारी विधान भवन में जाता था। आज जहां कोपभवन है, वहां धरना स्थल पर उसके वाहनों का काफिला खड़ा होता था। किसी अन्य का मोबाइल फोन का अंतिम नंबर 786 होने पर मुख्तार के गुर्गे मोबाइल धारक तक पहुंच जाते थे और बता देते थे कि यह नंबर तो भाई के नाम ही एलाट होता है।
दारुलशफा विधायक निवास (जनपथ मार्केट के सामने) भी मुख्तार अंसारी का ठिकाना था। भूतल वाले आवास पर मुख्तार के साथ उसकी टीम मौजूद रहती है। उसी के किसी गुर्गे ने आवास के सामने कूड़ाघर के बगल वाली जमीन को कब्जा रखा है, जबकि नगर निगम ने कार्रवाई की सोची थी तो मुख्तार के एक फोन से अधिकारी पीछे हो गए थे।
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