जागरण संवाददाता, लखनऊ। डालीबाग में मुख्तार की भाभी के आवास पर वर्ष 2002 में हजरतगंज पुलिस ने छापामारी की थी। छापेमारी में पुलिस ने घर से 197 कारतूस बरामद किए थे। इसके अलावा अलग-अलग तरीके की चाकू मिली थी। एक आस्ट्रेलियन दूरबीन भी बरामद हुई थी। इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
पटियाला जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर जुगुनू वालिया के अलावा शकील हैदर, तनवीर समेत तमाम गुर्गे उसका नेटवर्क लखनऊ और पड़ोसी जनपदों में चलाते थे। जुगुनू वालिया ने आलमबाग में चिक-चिक रेस्टोरेंट के मालिक की हत्या की साजिश भी रची थी। यह सब मुख्तार के लिए यहां पर व्यवसायियों को धमकाकर रंगदारी वसूलते थे। इसके साथ ही जमीनों पर कब्जा करते थे।
शकील के खिलाफ वजीरगंज और ठाकुरगंज में रंगदारी के मुकदमे भी दर्ज थे।
फर्जी दस्तावेज के आधार पर बैंक से लिया था लोन
मुख्तार के बेहद करीबी गुर्गे शकील हैदर ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अमीनाबाद स्थित बैंक से 66 करोड़ रुपये का लोन ले लिया था। शकील हैदर ने मुख्तार की सरपरस्ती में जेहटा रोड पर पांच बीघे का अवैध प्लाट ले रखा था। फिर शकील ने जालसाजी कर एक प्लाट को कई लोगों में बेचा था।
तमाम लोगों के करोड़ों रुपये हजम कर लिए थे।
इस बारे में जब खरीदारों को जानकारी हुई और उन्होंने विरोध किया तो शकील और उसके गुर्गे उन्हें धमकाने लगे। शकील ने महानगर कोतवाली में तैनात दारोगा समेत अन्य वादी को धमकी दी थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर वजीरगंज धनंजय पांडेय और उनकी टीम ने शकील को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। शकील यहां शीशमहल के पास रहता था।
लखनऊ में रहकर मुख्तार अंसारी का नेटवर्क संभालता था। इसके बाद शकील हैदर की भी मौत हो गई थी।
जेल से चलाता था नेटवर्क
मुख्तार अंसारी लखनऊ जेल में रहने के दौरान उससे मिलने वालों का तांता लगा रहता था। जेल से ही वह अपना नेटर्वक चलाता था। नाका से लेकर चारबाग तक उसकी वसूली चलती थी। सीरियल किलर सलीम, रुस्तम और सोहराब को भी मुख्तार का संरक्षण था।