बांदा के साधारण किसान के पुत्र हैं यूपी के नए डीजीपी सुलखान सिंह

सुलखान सिंह बांदा के साधारण किसान के पुत्र हैं और अपनी सादगी तथा ईमानदारी के लिए विख्यात हैं। सुलखान सिंह पुलिस में साफगोई और बिना किसी लाग-लपेट के बात कहने के लिए जाने जाते हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 22 Apr 2017 10:07 AM (IST) Updated:Sat, 22 Apr 2017 05:49 PM (IST)
बांदा के साधारण किसान के पुत्र हैं यूपी के नए डीजीपी सुलखान सिंह
बांदा के साधारण किसान के पुत्र हैं यूपी के नए डीजीपी सुलखान सिंह

लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब एक महीने के अपने कार्यकाल के बाद प्रदेश को वरिष्ठता के क्रम में नंबर एक के स्थान पर काबिज सुलखान सिंह को प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बनाया। सुलखान सिंह बांदा के साधारण किसान के पुत्र हैं और अपनी सादगी तथा ईमानदारी के लिए विख्यात हैं।

उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी पद पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुलखान सिंह की नियुक्ति ने बुंदेलखंड और खासकर बांदा जनपद को खुशी का एक नया और नायाब मौका दिया है। सुलखान सिंह बांदा जिले के निवासी हैं। उनका पैतृक गांव जौहरपुर है। उनके पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त होने की खबर मिलते ही बांदा में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। सुलखान सिंह के पैतृक गांव जौहरपुर में जश्न जैसा माहौल रहा। 

यह भी पढ़ें: सुलखान सिंह बने यूपी के डीजीपी, जावीद अहमद हटाये गये

बांदा-फतेहपुर की सीमा पर यमुना किनारे आबाद जौहरपुर गांव की आबादी लगभग 10 हजार है। 20 किलोमीटर दायरे में फैला है। श्री सिंह के पिता लाखन सिंह व भाई इत्यादि यहीं आबाद हैं। वह चार भाइयों में सबसे बड़े हैं। उन्होंने कक्षा आठवीं तक की पढ़ाई अपने गांव में ही की। हाईस्कूल 1973 में तिंदवारी से और इंटर 1975 में आदर्श बजरंग इंटर कालेज (बांदा) से किया। रूढ़की में इंजीनियरिंग की। पिता व भाई आदि भी काश्तकारी से जुड़े हैं। 

जौहरपुर के पूर्व प्रधान बलवान सिंह बताते हैं कि सुलखान सिंह बेहद सरल स्वभाव के हैं। साधारण घराने और कठिन परिस्थितियों के बीच उन्होंने पढ़ाई की। वह जब कभी भी गांव आते हैं, सबसे उसी मिलनसार स्वभाव और सादगी से मिलते हैं। उनके स्वभाव से गांव के लोग यह नहीं महसूस कर पाते कि पुलिस के एक बड़े अधिकारी से वह मिल रहे हैं। आदर्श बजरंग कालेज में उन्हें पढ़ाने वाले पूर्व शिक्षक बाबूलाल गुप्त बताते हैं कि छात्र जीवन से वह ईमानदार थे। हाल ही में उन्होंने बांदा मुक्तिधाम के लिए अपने पास से कुछ आर्थिक सहयोग किया। 

यह भी पढ़ें: प्रदेश में अब किसी भी 'गुंडागर्दी' पर तुरंत कार्रवाई : डीजीपी सुलखान सिंह

पुलिस महकमे में विख्यात 

सुलखान सिंह पुलिस महकमे में साफगोई और बिना किसी लाग-लपेट के बात कहने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कभी तैनाती पाने के लिए किसी सियासी दल या फिर नेता के चक्कर नहीं लगाए। उन्हें जब भी दायित्व मिला उन्होंने सत्यनिष्ठा को सर्वोपरि रखा। शायद यही वजह रही कि उनके पूरे कार्यकाल की तैनाती में वह बहुत ज्यादा जिलों में पुलिस कप्तान तैनात नहीं किए गए। कुछ ऐसी ही साफगोई और स्पष्टता उन्होंने बसपा शासनकाल में दिखाई।

यह भी पढ़ें: माफिया डॉन को जेल में मिले अन्य अपराधी जैसा ही खाना और सुविधाएं: सीएम योगी

वर्ष 2007 में बसपा की सरकार बनी तो मायावती ने पुलिस भर्ती में हुए घोटाले की जांच उन्हें सौंपी। साथ ही एडीजी शैलजाकांत मिश्र को भी लगाया गया। सुलखान सिंह भी इस जांच बोर्ड के सदस्य रहे। उन्होंने निष्पक्षता से एक-एक बारीक पहलू की जांच की और जिलों में बनाए गए कई भर्ती बोर्ड की जांच कर भर्तियों को निरस्त करने की सिफारिश शासन से की।

यह उनके ही सख्त रुख का नतीजा था कि जांच बोर्ड की सिफारिश के बाद प्रदेश के कई आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा लिखा गया और जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन को सौंपी गई। यह बात दीगर है कि वर्ष 2012 में सपा सरकार आने के बाद उन्हें साइड पोस्टिंग में डाल कर प्रताडि़त किया गया। पुलिस महकमे में काला पानी की सजा कहे जाने वाली पोस्टिंग बांगरमऊ पुलिस ट्रेनिंग उन्नाव में लंबे समय तक रहे।

chat bot
आपका साथी