New Year 2020 Challenges and Hope: जल के प्रहरी और कल के रक्षक, कोशिशों से कर रहे सजग

लखनऊ डॉ. शिशिर और पुनीत ने उठाया पानी बचाने के लिए जागरूक करने का बीड़ा। गांव-गांव शहर-शहर जाकर जल चौपाल से लोग जल संरक्षण के प्रति हो रहे सजग।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sat, 04 Jan 2020 11:44 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jan 2020 11:44 AM (IST)
New Year 2020 Challenges and Hope: जल के प्रहरी और कल के रक्षक, कोशिशों से कर रहे सजग
New Year 2020 Challenges and Hope: जल के प्रहरी और कल के रक्षक, कोशिशों से कर रहे सजग

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। समाज से जुड़े सरोकारों के प्रति लोगों को अपनी बात समझाना निहायत ही मुश्किल काम है, भले ही यह उनके आज और बच्चों के कल से ही क्यों न जुड़ा हो। कोई भी अपनी आदतें बदलना नहीं चाहता। ऐसे में कल्पना की जा सकती है कि जब डॉ. शिशिर और पुनीत ने पानी बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया होगा, तो उन्हें कितनी दिक्कतें पेश आई होंगी। फिर भी दोनों ने अपने प्रयासों की धार कुंद नहीं होने दी। गांव-गांव, शहर-शहर जाकर जल चौपाल लगाने की उनकी कवायद रंग लाने लगी और लोग जल संरक्षण के प्रति सजग होने लगे। 

यह उनकी कोशिशों की ही चमक थी कि जल शक्ति मंत्रालय ने उन्हें ‘जल प्रहरी’ के सम्मान से विभूषित किया। वॉटर एड इंडिया के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डॉ. शिशिर चंद्रा व पुनीत श्रीवास्तव ने गांव से लेकर शहर तक लोगों को पानी बचाने का महत्व समझाना शुरू किया।

वॉटर वाइज के साथ शुरू किए गए इस कैंपेन के बारे में डॉ. शिशिर चंद्रा बताते हैं कि यह जनजागृति उप्र के बांदा जिले से शुरू हुई थी। सबके सहयोग से आज यह लखनऊ सहित उप्र के कई शहरों व गांवों तक पहुंच चुकी है। जगह-जगह जल चौपालों का आयोजन कर जहां लोगों को पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

गांव व शहर के लिए अलग-अलग मॉडल तैयार किए गए। बांदा जिले में जहां सभी 470 पंचायतों में लोगों की ट्रेनिंग कर जल चौपाल के माध्यम से न केवल जल साक्षर किया गया बल्कि कुओं व नलकूप पर कंटूर ट्रेंच के टेक्निकल मॉडल तैयार किए गए। शहरी क्षेत्रों में रसोई व बाथरूम से निकलने वाले पानी को बचाने के लिए मॉडल बनाए गए। लोगों ने इन्हें तेजी से अपनाया और प्रयास सफल होता गया। 

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