MahaShivratri 2020 : यहां बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार, उज्जैन दरबार सी मिलती है अनुभूति

यह दुर्लभ और पवित्र श्लोक कानों में गूंजते ही व्यक्ति मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। भगवान महाकाल का दिव्य विग्रह। एक बारगी अनुभूति होती है कि हम उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 10:59 AM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 04:22 PM (IST)
MahaShivratri 2020 : यहां बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार, उज्जैन दरबार सी मिलती है अनुभूति
MahaShivratri 2020 : यहां बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार, उज्जैन दरबार सी मिलती है अनुभूति

लखनऊ [पवन तिवारी]। महाकाल के दर्शन-पूजन की अभिलाषा है, उज्जैन की यात्रा के लिए समय निकाल नहीं पा रहे। दुर्लभ भस्म आरती में सम्मिलित होने की आकांक्षा है? चिंतित न हों। अपने लखनऊ में भी बाबा महाकाल के दर्शन सुलभ हैं। शिव के मनमोहक, सिद्ध, प्रसिद्ध, प्राचीन मंदिरों से आच्छादित है अपना लखनऊ। आइए, अनदेखा लखनऊ में इस बार चलते हैं बाबा महाकाल का दर्शन करने।

अवन्तिकायां विहितावतारंमुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम ।

अकालमृत्यो:परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम ।।

 (संतजनों को मोक्ष देने के लिए जिन्होंने अवन्तिपुरी (वर्तमान में उज्जैन) में अवतार धारण किया है, उन महाकाल नाम से विख्यात महादेवजी को मैं अकाल मृत्यु से अपनी रक्षा के लिए प्रणाम करता हूं।)

यह दुर्लभ और पवित्र श्लोक कानों में गूंजते ही व्यक्ति मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। भगवान महाकाल का दिव्य विग्रह। एक बारगी अनुभूति होती है कि हम उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार में उपस्थित हैं। अपने लखनऊ के राजेंद्रनगर में देवादिदेव महादेव का यह स्वरूप सहज और सुलभ है। श्रृंगार हू-ब-हू मूल ज्योतिर्लिंग जैसा। मोहक और कल्याणकारी। अनुपम और अलौकिक। अभी महाकाल दरबार परिवार बाबा और माता (भगवान शिव और पार्वती) के पवित्र विवाह यानी महाशिवरा की तैयारियों में व्यस्त है। बुधवार को हल्दी और मेहंदी की रस्म हुई। बाबा महाकाल को विधिवत हल्दी का लेप लगाया गया और सुगंधित मेहंदी रचाई गई। अद्भुत भाव। गृहस्थ परंपरा में तो विवाह की ऐसी ही तैयारियां चलती हैं।

होती है भस्म आरती

पं. अतुल मिश्र बताते हैं कि वर्ष के पहले सोमवार को, सावन के सभी सोमवार और महाशिवरात्रि के अवसर पर उज्जैन की ही तर्ज पर बाबा महाकाल की भस्म आरती होती है। भस्म आरती में शामिल होने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। दिव्य भस्म आरती की शुरुआत यहां वर्ष 2002 से हुई।

कब हुआ निर्माण

बाबा महाकाल मंदिर की सेवा से जुड़े पं. अतुल मिश्र बताते हैं कि मंदिर की स्थापना सन 1960 में हुई। स्थापना में दिवंगत नंद किशोर दीक्षित, हरीराम कपूर और नानक शरण का विशेष योगदान रहा। बाद में मोहल्ले के लोगों ने मंदिर को और भव्यता व विस्तार दिया। सन 1982 में यहां श्रीराम दरबार की स्थापना और 1984 में श्रीकृष्ण दरबार, माता काली और श्री हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित की गई।

विवाह का निमंत्रण कार्ड

महाशिवरात्रि पर बाबा और माता के विवाह का बाकायदा निमंत्रण पत्र तैयार किया गया है। इसे भक्तों में वितरित कर उन्हें निमंत्रित किया गया है। विशेष बात यह है कि निमंत्रण पत्र ठीक वैसा ही, जैसे गृहस्थ जीवन में शादी का कार्ड होता है।

कैसे पहुंचें

चारबाग से नाका चौराहा। नाका चौराहे से ऐशबाग रोड, राजेंद्र नगर। पानी की टंकी वाली रोड पर सीधे जाएंगे तो महाकाल बाबा का मंदिर मिलेगा।

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