अभी और अफसर भी सीएम की राडार पर

लखनऊ। विधानसभा तथा मैनपुरी लोकसभा के उपचुनाव में कामयाबी के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विक

By Edited By: Publish:Fri, 19 Sep 2014 01:23 PM (IST) Updated:Fri, 19 Sep 2014 01:23 PM (IST)
अभी और अफसर भी सीएम की राडार पर

लखनऊ। विधानसभा तथा मैनपुरी लोकसभा के उपचुनाव में कामयाबी के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विकास के मोर्चे पर फोकस बढ़ाना शुरू किया है। अब वित्तीय वर्ष का आधा वक्त गुजरने पर बजट खर्च नहीं करने और विकास की राह में अड़ंगेबाजी कर रहे नौकरशाहों को चिन्हित करने का काम शुरू हो गया है। चिकित्सा शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, कृषि योजनाएं लागू करने में शिथिल अफसरों में बदलाव तय है।

मुख्यमंत्री ने कल वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव, राजेन्द्र चौधरी, मुख्य सचिव आलोक रंजन के साथ सरकार की प्राथमिकता वाली मेट्रो, आइटी हब, चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और सड़कों पर चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान मुख्यमंत्री ने विकास योजनाओं के रफ्तार न पकड़ पाने की वजहें जानी और फिर प्रमुख सचिव नियुक्ति राजीव कुमार द्वितीय से भी अधिकारियों की कार्य प्रणाली की जानकारी ली। इस बैठक से निकले निष्कर्ष के परिणाम स्वरूप आने वाले दिनों में कई और विभागों के महत्वपूर्ण पदों पर बदलाव संभव है। दो दिनों में सरकार के करीबी माने जाने वाले तीन वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला कर अखिलेश यादव ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि विकास के मुद्दों पर किसी को वरीयता नहीं दी जाएगी।

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औद्योगिक विकास विभाग में सातवें प्रमुख सचिव की तलाश

सपा सरकार के बीते ढाई साल में औद्योगिक विकास विभाग में छह प्रमुख सचिव बदले जा चुके हैं। अब सातवें की तलाश शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्ता में आते ही मायावती सरकार के खास रहे प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास वीएन गर्ग को हटाकर अनिल कुमार गुप्ता को इस पद से नवाजा था। अनिल को निवेशकों को रिझाने की जिम्मेदारी दी गई थी। अनिल इस क्षेत्र में कामयाब भी रहे, लेकिन आगरा में प्रस्तावित निवेशक सम्मेलन से ठीक पहले उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी राजीव कपूर को दी गई। संयोगवश राजीव कपूर भी सरकार की मंशा पर खरे नहीं उतर पाये और उन्हें भी किनारे कर दिया गया। इसके बाद आइडीसी पद की जिम्मेदारी संजय अग्रवाल को सौंपी गई, लेकिन अग्रवाल 24 घंटे में ही हटा दिये गए। यह पद तीन माह तक खाली रहा फिर वर्षो से लापता चल रहे वरिष्ठ आइएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह को यह विभाग सौंपा गया। बताया जाता है कि सूर्य प्रताप भी सरकार के सपने को साकार नहीं कर पाये और उन्हें भी यह पद गंवाना पड़ा। फिर आए संजीव सरन को विदेशी निवेशकों को रिझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सरन इस क्षेत्र में कामयाब भी रहे, लेकिन नीदरलैंड के निवेशकों के लौटने के दूसरे दिन ही सरन को प्रमुख सचिव औद्यौगिक विकास विभाग के पद से हटा दिया गया। कमोवेश ऐसी ही स्थिति अखिलेश सरकार में प्रमुख सचिव गृह के पद को लेकर भी बनी हुई है।

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