UP Election 2022: सालों से संघर्ष करने वाले किनारे, जो कल तक दुश्मन थे वो अब बन गए दुलारे

समाजवादी पार्टी ने अंबेडकरनगर में कटेहरी से लालजी अकबरपुर से रामअचल जलालपुर से राकेश और आलापुर से त्रिभुवन को बनाया है प्रत्याशी। ये सभी नेता हाल तक बसपा की बजा रहे थे डुगडुगी अब जोड़तोड़ के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने को बेकरार हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 28 Jan 2022 06:10 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jan 2022 06:10 PM (IST)
UP Election 2022: सालों से संघर्ष करने वाले किनारे, जो कल तक दुश्मन थे वो अब बन गए दुलारे
अंबेडकरनगर में दलबदलुओं को तरजीह मिलने से सपा के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं में निराशा है।

अंबेडकरनगर, [रामानुज मिश्र]। सालों से संघर्ष कर जिन लोगों ने अपने खून-पसीने से पार्टी को दिन-रात सींचा, सपा ने उन्हें एक झटके में किनारे कर कल तक राजनीतिक दुश्मन रहे लोगों पर खूब दुलार बरसाया। जिले की कुल पांच विधानसभा सीटों में चार पर घोषित सभी प्रत्याशी चंद दिनों पहले बसपा छोड़ सपा में आए हैं। कल तक पार्टी को गाली देने वाले इन नेताओं को तरजीह मिलने से सपा के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं में काफी निराशा है। चुनाव परिणाम में इसकी स्पष्ट झलक भी देखने को मिल सकती है।

दो दिन पहले गुरुवार को जारी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की सूची में कटेहरी विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री लालजी वर्मा, अकबरपुर से पूर्व मंत्री रामअचल राजभर, जलालपुर से पूर्व सांसद राकेश पांडेय और आलापुर सीट से पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त को उम्मीदवार बनाया गया है। खास बात यह कि ये चारों उम्मीदवार हाल तक चिर-परिचित प्रतिद्वंदी बसपा में थे और दिन-रात सपा की आलोचना करते नहीं थकते थे। इनमें लालजी वर्मा, रामअचल राजभर और राकेश पांडेय तो महज तीन महीनों के अंदर सपा में शामिल हुए हैं। त्रिभुवन दत्त भी सालभर पहले ही पार्टी में आए हैं। अब अपनों की जगह इन बाहरी नेताओं को टिकट दिए जाने से सालों से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है, लेकिन पार्टी की फजीहत और कार्रवाई के डर से अभी सार्वजनिक तौर पर मुंह नहीं खोल रहे हैं।

मेहनत को नहीं मिला इनाम: कटेहरी विधानसभा सीट से जहां पूर्व मंत्री शंखलाल मांझी, सपा प्रदेश उपाध्यक्ष जयशंकर पांडेय, शेष कुमार वर्मा, मालती वर्मा आदि मतदाताओं को साधने में दिन-रात एक किए हुए थे, वहीं अकबरपुर से पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा, विद्यावती राजभर, उत्तम चौधरी अपना वोट सहेजने में धूल फांकते रहे। जलालपुर में डेढ़ दशक से युवाओं में अलख जगाने वाले उपाध्यक्ष डा. अभिषेक ङ्क्षसह, सिद्धार्थ मिश्रा को भी पार्टी ने दरकिनार कर दिया। यहां से विधायक सुभाष राय ने पहले ही पार्टी से टिकट न मिलने की संभावना भांप हाल में सपा छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया।

उधर, आलापुर से संगीता कन्नौजिया, सुनीता सोनकर, बलराम गौतम मजबूती से मैदान में डटे रहे, लेकिन प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही उसमें अपना नाम न देख इन्हें गहरी निराशा हाथ लगी। अब एक मात्र सीट टांडा से सपा उम्मीदवार के नाम का एलान होना बाकी है। यहां से नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद अहमद हसन के पुत्र हामिद हसन, पूर्व एमएलसी विशाल वर्मा, पूर्व विधायक अजीमुल हक पहलवान के बेटे मुसाब अजीम, गौश अशरफ, मोहम्मद एबाद और मुजीब अहमद टिकट के प्रबल दावेदार हैं, लेकिन इनमें से किसी के हाथ कामयाबी लगती है कि नहीं, यह भी एक-दो दिनों में साफ हो जाएगा।

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