राम मंदिर मुद्दा : कानून बनाने के पक्ष में भाजपा सांसद तो मुस्लिम पक्ष की चाहत कोर्ट से फैसला

राम जन्मभूमि व बाबरी मस्जिद विवाद में भाजपा के सांसद लल्लू सिंह जहां राम मंदिर मसले पर संसद में कानून बनाने के पक्ष में हैं वहीं मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट से फैसला चाहता है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Thu, 11 Jul 2019 05:56 PM (IST) Updated:Thu, 11 Jul 2019 05:56 PM (IST)
राम मंदिर मुद्दा : कानून बनाने के पक्ष में भाजपा सांसद तो मुस्लिम पक्ष की चाहत कोर्ट से फैसला
राम मंदिर मुद्दा : कानून बनाने के पक्ष में भाजपा सांसद तो मुस्लिम पक्ष की चाहत कोर्ट से फैसला

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या में राम जन्मभूमि व बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होते ही मामला एक बार फिर ताजा हो गया है। फैजाबाद से भाजपा के सांसद लल्लू सिंह जहां राम मंदिर मसले पर संसद में कानून बनाने के पक्ष में हैं, वहीं मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट से फैसला चाहता है।

अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस प्रकरण में फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट मंदिर मुद्दे पर जल्दी फैसला सुनाएगा। सांसद का कहना है कि जरूरत पड़ी तो इस मुद्दे को लेकर कानून बनाया जाएगा। राम मंदिर के मसले पर फैजाबाद के सांसद लल्लू सिंह ने उम्मीद व्यक्त की है कि सुप्रीम कोर्ट मंदिर मुद्दे का जल्दी फैसला सुनाएगा। लल्लू सिंह का कहना है कि राम मंदिर हमारे लिए आस्था का विषय है और इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही है। हम उम्मीद करते हैं कि कोर्ट जल्द फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि अगर मध्यस्था से बात नहीं बनती है तो ऐसी स्थिति में तो जल्दी सुनवाई करके इस पर फैसला देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक बात है मोदी सरकार की तो हमें बहुमत जरूर है, लेकिन यह मामला कोर्ट में है और हमें कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा क्योंकि सुनवाई चल रही है।

उन्होंने कहा कि जहां तक मंदिर निर्माण की बात है तो हम इसके लिए कटिबद्ध हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध है कि इस पर जल्द से जल्द फैसला दें क्योंकि यह हमारे लिए महत्वपूर्ण विषय है। बहुमत की सरकार के बावजूद कई चीजों को ध्यान में रखना होता है। सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध है कि हमारी आस्था का ख्याल रखें और जल्द से जल्द इस पर फैसला दें।

सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि का कहना प्रभु राम तारीखों का शिकार नहीं हुए हैं। भगवान राम तो देश में व्यवस्था बना रहे हैं। गरीबों के रूप केवट, निषाद लिए जो प्रभु राम ने किया, वही पीएम नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। उम्मीद है जल्द सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। सबूत राम मंदिर के पक्ष में हैं। जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट में है तब तक संसद के कानून की फिलहाल जरूरत नहीं है लेकिन जरूरत पड़ी तो कानून बनाया जाएगा। आज सुनवाई में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से रिपोर्ट मांगी है। 18 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपी जानी है, जिसके बाद फैसला होगा इस मामले में रोजाना सुनवाई होगी या नहीं।

इस संबंध में मुस्लिम पक्षकारों के वकील जफरयाब जिलानी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि मध्यस्थता की सभी संभावनाओं के लिए रास्ते खुले हैं।

लखनऊ में इस मसले पर मुस्लिम पक्षकारों के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी कहते हैं कि कमेटी की रिपोर्ट में क्या है। यह तो कोई नहीं जानता लेकिन हम लगातार इस बात को कहते रहे हैं कि मामला कोर्ट से ही हल हो। उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि वह आगे क्या फैसला लेती है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली कहते हैं कि उम्मीद पर दुनिया कायम है और मध्यस्थता कमेटी अगर किसी तरह से इस मसले को हल कराने की उम्मीद बना रही है तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा की मध्यस्थता कमेटी अगर इस मामले को हल कर दे तो उससे ज्यादा अच्छा कुछ नहीं हो सकता क्योंकि मामला अगर कोर्ट में चला जाएगा तो फिर वहां कितने साल सुनवाई चलेगी, कहा नही जा सकता। हम सब सकारात्मक सोच के साथ इंतजार कर रहे हैं कि जब मध्यस्थता कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी तो वह जरूर किसी निर्णय की ओर आगे बढ़ेगी।

गौरतलब है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा है कि 18 जुलाई तक मध्यस्थता कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी, जिसके बाद यह तय किया जाएगा कि मध्यस्थता कमेटी क्या वाकई इस मामले को हल कराने में कामयाब हुई है या नहीं। अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मसले के कोर्ट के बाहर सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। जिसका मकसद कोर्ट के बाहर पक्षकारों से बात करके इस मामले को हल करने की तमाम संभावनाओं को तलाशना था।

याचिका को ठुकराया

सुप्रीम कोर्ट ने आयोध्या मामले में मध्यस्थता की प्रक्रिया को खत्म करने वाली याचिका को ठुकरा दिया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद ने कोर्ट से कहा कि इस मसले में मध्यस्थता काम नहीं कर रही है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को ही कोई फैसला सुनाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हमने मध्यस्थता के लिए वक्त दिया, उसकी रिपोर्ट आने में अभी वक्त है। अगर मध्यस्थता आगे नहीं बढ़ी, तो 25 जुलाई के बाद इस मामले रोजाना सुनवाई होगी। 

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