यह कैसा प्रतिबंध! पॉलीथिन के बनने पर नहीं, बिक्री पर रोक

सरकारी महकमा प्रदेश भर में प्रतिबंधित पॉलीथिन की बिक्री पर रोक लगा रहा है लेकिन उसे बनाने वाली फैक्ट्रियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 10:26 AM (IST) Updated:Tue, 21 May 2019 07:58 AM (IST)
यह कैसा प्रतिबंध! पॉलीथिन के बनने पर नहीं, बिक्री पर रोक
यह कैसा प्रतिबंध! पॉलीथिन के बनने पर नहीं, बिक्री पर रोक

लखनऊ,[अजय श्रीवास्तव]। जड़ को काटने के बजाय सरकारी महकमे तने को छांट रहे हैं। चार दिन से लखनऊ में चल रहे पॉलीथिन विरोधी अभियान की हकीकत कुछ ऐसी ही हैं। थोक बाजार से इसे खरीदकर ला रहे फुटकर दुकानदार इसका विरोध कर रहे हैं। हकीकत यह है कि नगर निगम, पुलिस और संबंधित विभाग उस व्यक्ति तक नहीं पहुंच सकते हैं, जो प्रतिबंधित पॉलीथिन का निर्माण कर रहा है। पॉलीथिन के पैकेट पर न निर्माणकर्ता का नाम है और न ही पता है। बस, कंपनी का ही नाम लिखा है और गुजरात लिखा है। इसी तरह अलग-अलग शहरों के नाम उस पर पड़े हैं। यह लोग बड़े पैमाने पर कर की भी चोरी कर रहे हैं। 

ऐसे में प्रतिबंधित पॉलीथिन बेचने वालों की जड़ पर हमला करने में सरकारी महकमे के हाथ छोटे पड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि प्रतिबंध के बाद खुलेआम बिक रही पॉलीथिन से संबंधित विभाग के अफसर अंजान थे। जेब गरम होने के बाद हर कोई मौन धारण किए था। प्रतिबंधित पॉलीथिन का निर्माण कराने और उसका उपयोग करने की अधिसूचना भी जारी हुई थी। यह पूरे प्रदेश में लागू थी लेकिन राजधानी लखनऊ में ही इसका पालन नहीं हो पाया था। प्रतिबंधित पॉलीथिन लखनऊ समेत आसपास के जिलों में खुले आम बन रही थी। नादरगंज के आसपास क्षेत्र में छोटे मशीनों से ही इसे बनाया जा रहा था। इसके अलावा सरकार ने प्रतिबंधित पॉलीथिन पर नियंत्रण लगाने के लिए अफसरों की फौज लगाई थी, लेकिन यह सभी अफसर लापरवाह साबित हो गए। अब हाईकोर्ट ने फिर से फटकार लगाई और काररवाई की चेतावनी दी तो अफसर गली-गली पॉलीथिन बटोरने में लग गए हैं। 

पूर्व में भी कोर्ट ने दिया था आदेश : अखिलेश सरकार को भी पॉलीथिन पर तब प्रतिबंध लगाना पड़ा था, जब कोर्ट ने प्रतिबंधित पॉलीथिन पर काररवाई करने को कहा था। इसमे कोई कोई भी दुकानदार, थोक या खुदरा व्यापारी के अलावा, फेरीवाले, रेहड़ीवाले व अन्य प्लास्टिक की थैलियों की बिक्री और भंडारण व उपयोग नहीं करेगा। इसके लिए एक टीम भी बनाई गई थी। इसके बाद पॉलीथिन बनाने के व्यापार से जुड़े लोगों ने नया तरीका निकाला और काररवाई से बचने के लिए पॉलीथिन वाले पैकेट में छद्म नाम लिखना शुरू कर दिया। लेकिन, इस ओर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी