Lucknow University: बदलेगा Ph.D कोर्स वर्क, जानिए पंजीकरण से लेकर पेपर में क्‍या हुए हैं बदलाव

लखनऊ विश्वविद्यालय के पीएचडी अध्यादेश-2020 में फैकल्टी से लेकर छात्रों के लिए कई नए बदलाव लागू किए गए हैं। अब नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर एक साल बाद ही शोध छात्रों को अपने यहां पंजीकृत कर सकेंगे। हुए हैं कई बदलाव।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sun, 07 Feb 2021 08:25 AM (IST) Updated:Sun, 07 Feb 2021 01:09 PM (IST)
Lucknow University: बदलेगा Ph.D कोर्स वर्क, जानिए पंजीकरण से लेकर पेपर में क्‍या हुए हैं बदलाव
लखनऊ विश्वविद्यालय में शोधार्थियों की उपस्थिति भी 70 फीसद अनिवार्य। प्रतीकात्‍मक फोटो

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय के पीएचडी अध्यादेश-2020 में फैकल्टी से लेकर छात्रों के लिए कई नए बदलाव लागू किए गए हैं। अब नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर एक साल बाद ही शोध छात्रों को अपने यहां पंजीकृत कर सकेंगे। अभी तक यह समय सीमा तीन साल की थी। विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी कोर्स वर्क को भी रिवाइज्ड करके इसमें रिसर्च एथिक्स सहित नई चीजें शामिल करेगा। यह बदलाव आगामी पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया के माध्यम से दाखिला लेने वाले शोधार्थियों के लिए लागू होगा।

बीते दिनों लविवि के पीएचडी के नए अध्यादेश को राजभवन ने मंजूरी दे दी थी। विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक अब शोधार्थी अपनी विभागीय शोध समिति से अनुमति लेकर दो सेमेस्टर (एक साथ नहीं) के लिए डाटा कलेक्शन व नमूनों की जांच आदि के लिए बाहर भी जा सकेंगे। पुराने अध्यादेश में यह सुविधा नहीं थी। इसके अलावा अभी तक प्री पीएचडी कोर्स में दो पेपर होते हैं। रिसर्च मेथेडोलाजी और दूसरा अपने विषय से संबंधित। रिसर्च एथिक्स इसमें शामिल नहीं था। यूजीसी से नोटिफिकेशन आने के बाद अब रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स पेपर शामिल किया जाएगा। हर विभाग को पीएचडी कोर्स वर्क के सिलेबस को रिवाइज्ड करना होगा। शिक्षकों ने बताया कि फुलटाइम पीएचडी के शोध छात्रों की आखिर के छह महीने में 70 फीसद उपस्थिति अनिवार्य होगी।

पार्ट टाइम पीएचडी के लिए एनओसी जरूरी

अध्यादेश के मुताबिक एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर प्रत्येक शैक्षिक सत्र में पार्ट टाइम पीएचडी करने वाले एक ही शोधार्थी को अपने पास पंजीकृत कर सकेंगे। शोधार्थी को कहीं न कहीं नौकरी करना अनिवार्य होगा। शोध में प्रवेश के लिए उसे संबंधित कंपनी से एनओसी लेकर आना होगा। पार्ट टाइम के लिए एक सेमेस्टर में छह दिन की उपस्थित भी जरूरी होगी। विश्वविद्यालय की डीन रिसर्च प्रो. मोनिशा बनर्जी का कहना है कि जो भी आर्डिनेंस में बदलाव हुआ है, नए दाखिला लेने वाले शोधार्थियों पर वह लागू होंगे।

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