अब मुलायम के जन्मदिन के बहाने एकता जताने का प्रयास, पर शिवपाल के प्रस्ताव पर अखिलेश की चुप्पी

कभी रार-कभी दुलार के चलते यादव कुनबे की मनस्थिति को समझ पाना समर्थकों के लिए मुश्किल हो गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 09:33 AM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 09:34 AM (IST)
अब मुलायम के जन्मदिन के बहाने एकता जताने का प्रयास, पर शिवपाल के प्रस्ताव पर अखिलेश की चुप्पी
अब मुलायम के जन्मदिन के बहाने एकता जताने का प्रयास, पर शिवपाल के प्रस्ताव पर अखिलेश की चुप्पी

लखनऊ, जेएनएन। सैफई के यादव कुनबे में एकजुटता की कोशिश फिर तेज हो गई है। हालांकि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के नाम से अलग पार्टी बना चुके शिवपाल सिंह यादव की ओर से 22 नवंबर को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन एक साथ सैफई में मनाने और समाजवादी पार्टी से गठबंधन के प्रस्ताव पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की चुप्पी ने एकता की कोशिशों पर सवालिया निशान लगा दिया है। कभी रार-कभी दुलार के चलते यादव कुनबे की मन:स्थिति को समझ पाना समर्थकों के लिए मुश्किल हो गया है।

प्रसपा प्रमुख शिवपाल के आए दिन बदलने वाले बयानों ने इस गुत्थी को और उलझा दिया है। हालांकि दोनों के समर्थकों का कहना है कि यादव कुनबे में पहले जैसी बात शायद ही दिखेगी। चाचा भतीजे के बीच बढ़ चुके फासले को पाटना आसान नहीं। हाल के उपचुनाव में मिले जनसमर्थन ने सपा की सत्ता में वापसी की उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं।

अखिलेश के नजदीकी माने जाने वाले एक पूर्व मंत्री कहना है कि बगावत से पार्टी को जितना नुकसान होना था, वह हो चुका है। अब नए सिरे से संगठन में जान डालने की जरूरत है ताकि जनता भाजपा का विकल्प सपा को ही मानने लगे। शिवपाल द्वारा अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के बयान पर सपा में कोई प्रतिक्रिया नहीं है।

विलय नहीं गठबंधन

एकजुटता को लेकर इससे पहले भी बयानबाजी हो चुकी है। दोनों ओर से काफी संभल कर बयान दिए जाते रहे हैं। शिवपाल सपा में विलय के बजाय गठबंधन पर जोर देते हैं। वहीं अखिलेश भविष्य में किसी दल से चुनावी गठजोड़ न करने का एलान कर चुके हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस व बसपा से किए गठबंधन का सपा को नुकसान हुआ।

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