एसजीपीजीआइ की ओपीडी में दिखाने के लिए आज से आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरूरी

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) की ओपीडी में मरीजों को दिखाने के लिए अब फिर से कोरोना जांच की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट जरूरी होगी। इसके बगैर एसजीपीजीआइ की ओपीडी में अब कोई भी मरीज डाक्टरी परामर्श नहीं पा सकेगा। नई व्यवस्था आज से लागू हो जाएगी।

By Dharmendra MishraEdited By: Publish:Tue, 11 Jan 2022 12:41 PM (IST) Updated:Thu, 13 Jan 2022 07:54 AM (IST)
एसजीपीजीआइ की ओपीडी में दिखाने के लिए आज से आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरूरी
एसजीपीजीआइ की ओपीडी में मरीजों को दिखाने के लिए अब कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरूरी।

लखनऊ, जासं।  संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) की ओपीडी में मरीजों को दिखाने के लिए अब फिर से कोरोना जांच की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट जरूरी होगी। इसके बगैर एसजीपीजीआइ की ओपीडी में अब कोई भी मरीज डाक्टरी परामर्श नहीं पा सकेगा। नई व्यवस्था आज गुरुवार से लागू हो गई है। अब किसी भी मरीज को कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बिना ओपीडी में नहीं देखा जाएगा। संस्थान प्रशासन की ओर से यह आदेश जारी कर दिया गया है। कई जगहों पर इस बाबत नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है।

इसके साथ ही संस्थान में आने वाले नए मरीजों की संख्या भी सीमित की जाएगी। हर ओपीडी में सिर्फ 20 नए मरीज देखे जाएंगे और फालोअप मरीजों की संख्या 30 तय की गई है। एक मरीज के साथ केवल एक अटेंडेंट को ही अनुमति होगी। संस्थान प्रशासन ने भर्ती होने वाले मरीजों के लिए पहले ही कोरोना निगेटिव रिपोर्ट की बाध्यता रखी थी, जिसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। नए आदेश के अनुसार ओपीडी में दिखाने के लिए 72 घंटे के अंदर की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत होगी। अभी तक ओपीडी में दिखाने के लिए कोरोना की दो वैक्सीन लगाने का प्रमाण पत्र मान्य था। इसके अलावा नए मरीजों को दिखाने के लिए आनलाइन पंजीकरण भी कराना होगा। इसके अतिरिक्त मरीजों के तीमारदार भी अंदर तभी प्रवेश कर पाएंगे, जब उनके पास आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट हो। उनकी रिपोर्ट भी 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए। इस नए नियम से सबसे ज्यादा दिक्कत दूर दराज के मरीजों को होगी, क्योंकि स्थानीय स्तर पर आरटीपीसीआर जांच कराने पर उन्हें 24 से 48 घंटे में रिपोर्ट मिलेगी। इसके बाद एसजीपीजीआइ आने तक में उनके 72 घंटे बीत सकते हैं। ऐसे में दोबारा कोरोना जांच कराने की मुश्किलों से जूझना होगा।

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