CBI Raid in Mining Scam: खनन घोटाले की जद में अखिलेश यादव के करीबी रिटायर्ड IAS अधिकारी सत्येंद्र सिंह

CBI Raid in Mining Scam अखिलेश यादव सरकार के चहेते पूर्व आइएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह पर सीबीआई का शिकंजा कस गया है। उनके खिलाफ कौशाम्बी में खनन पट्टों के आवंटन को लेकर एफआईआर करने के साथ सीबीआई ने मंगलवार को लखनऊ सहित उनके नौ ठिकानों पर छापेमारी की है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 02 Feb 2021 09:46 PM (IST) Updated:Wed, 03 Feb 2021 07:35 AM (IST)
CBI Raid in Mining Scam: खनन घोटाले की जद में अखिलेश यादव के करीबी रिटायर्ड IAS अधिकारी सत्येंद्र सिंह
अखिलेश यादव सरकार के चहेते पूर्व आइएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह

लखनऊ, जेएनएन। कौशाम्बी में शनिवार को अवैध खनन को लेकर सीबीआइ के छापे के बाद अखिलेश यादव के बेहद करीबी रहे रिटायर्ड आइएएस सत्येंद्र सिंह पर शिकंजा कस गया है। अवैध खनन के मामले में कौशाम्बी से सीबीआइ के शिकंजे में आए दो लोगों ने सत्येंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआइ को काफी जानकारी दी और सीबीआइ ने कौशाम्बी के पूर्व जिलाधिकारी सत्येंद्र सिंह सहित आठ लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद छापेमारी की। 

अखिलेश यादव सरकार के चहेते पूर्व आईएएस सत्येंद्र सिंह पर सीबीआई का शिकंजा कस गया है। उनके खिलाफ कौशाम्बी में खनन पट्टों के आवंटन को लेकर एफआईआर करने के साथ सीबीआई ने मंगलवार को लखनऊ सहित उनके नौ ठिकानों पर छापेमारी की है। छापेमारी के दौरान सीबीआई को पूर्व आईएएस के ठिकानों से 44 अचल संपत्तियों के दस्तावेजों के साथ दस लाख रुपये की नकदी और 51 लाख रुपये से ज्यादा की एफडी मिली हैं। अचल संपत्तियों की कीमत सौ करोड़ से अधिक बताई जा रही है। वह अखिलेश यादव की सरकार के समय लखनऊ के जिलाधिकारी के साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष थे। उनके कार्यकाल में ही लखनऊ में गोमती नदी पर रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। 

उत्तर प्रदेश के खनन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने कौशांबी के तत्कालीन जिलाधिकारी रिटायर्ड अफसर सत्येंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसके साथ ही प्रयागराज और कौशांबी निवासी नौ अन्य आरोपितों के खिलाफ भी मुकदमा लिखा गया है। सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी पर आरोप है कि 2012 से 2014 तक जिलाधिकारी रहते हुए उन्होंने अवैध खनन के लिए पट्टों आवंटित किए थे। इस सिलसिले में दसों करोड़ रुपये की 44 संपत्तियों के दस्तावेज खंगालने के लिए सीबीआइ ने आरोपित अधिकारी के आवासीय परिसर समेत लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद और नई दिल्ली से नौ ठिकानों पर छापेमारी की है। यह परिसर या तो अफसर के नाम पर है या फिर उनके रिश्तेदारों के नाम पर हैं। 

सीबीआइ के प्रवक्ता आरसी जोशी ने मंगलवार को सेवानिवृत्त आइएएस अफसर के परिसरों से छापेमारी के दौरान दस लाख रुपये नकद, करीब 51 लाख रुपये की एफडी, करीब 36 बैक खाते मिले जो उनके और उनके स्वजनों के नाम पर थे। इसके अलावा छह लॉकरों का पता चला, 2.11 करोड़ के सोने और चांदी के जेवर, एक लाख रुपये की पुरानी करंसी मिली। 

उन्होंने कहा कि कौशांबी के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट सत्येंद्र सिंह पर वर्ष 2012-14 के बीच दो नई लीज जारी करने का आरोप है। इसके साथ नौ तत्कालीन लीज को रिन्यू किया गया था। माइनर मिनिरल जैसे ग्रेनाइट, संगमरमर आदि के चूरे, बजरी, कंकड़, गिट्टी के अवैध खनन की लीज ई-टेंडर के जरिये उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी कराई गई थी। उत्तर प्रदेश में अवैध खनन का यह मामला समाजवादी पार्टी की सरकार का कार्यकाल का है। सत्येंद्र सिंह को अखिलेश यादव का बेहद करीबी भी बताया जाता है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2016 के आदेश के बाद से सीबीआइ खनन घोटाले की जांच कर रही है। इसमें बी.चंद्रकला व जीवेश नंदन सहित पांच आइएएस अधिकारियों पर पहले ही मुकदमा दर्ज हो चुका है। अखिलेश यादव सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति भी इसमें फंसे हैं। इसी के तहत अब मंगलवार को कौशांबी के तत्कालीन जिलाधिकारी सत्येंद्र सिंह के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया। आरोप है कि 2012 से 2014 के दौरान पद पर रहते हुए उन्होंने दो नए खनन पट्टे आवंटित किए और नौ का नवीनीकरण किया। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 31 मई, 2012 को जारी आदेश के तहत ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया। 

मुकदमे में अन्य आरोपित : कौशांबी निवासी नेपाली निषाद, नर नारायण मिश्रा, रमाकांत द्विवेदी, खेमराज सिंह, मुन्नीलाल, शिवप्रकाश सिंह, योगेंद्र सिंह व राम अभिलाष और प्रयागराज निवासी रामप्रताप सिंह। 

सीबीआइ पलट सकती सत्येंद्र के समय की फाइलें: सीबीआइ लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) में तैनाती के दौरान पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह की फाइलें भी पलट सकती है। सत्येंद्र सिंह दो बार लाविप्रा के उपाध्यक्ष रहे। पहली तैनाती में शासन के बड़े प्रोजेक्टों की कमान उनके हाथों में थी। कुछ दिन डीएम और उपाध्यक्ष दोनों की कुर्सी संभाली और फिर पूरी तरह उपाध्यक्ष बन गए। शासन स्तर पर अपनी ताकत का अहसास कराने वाले सत्येंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआइ ने पहली बार कोई ठोस कार्रवाई शुरू की गई है। इसको लेकर प्राधिकरण में चर्चा रही। पूर्व उपाध्यक्ष के समय हुए कारनामों में प्राधिकरण के जिन अफसरों ने साथ दिया होगा, उन पर भी तलवार लटक सकती है। सत्येंद्र ने गोमती नगर में अपने आवासीय परिसर को एक बैंक को किराये पर दिया था। इसको लेकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था। आरोप लगाया था कि आवासीय परिसर में वाणिज्यिक गतिविधियां कैसे हो सकती हैं। इसके बाद सत्येंद्र बैकफुट पर आ गए थे।

कौशाम्बी में शनिवार को दो पट्टाधारकों के घर छापेमारी: इससे पहले कौशाम्बी में यमुना घाटों से बालू हुए अवैध खनन की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की टीम ने शनिवार को दो पट्टाधारकों के घर छापेमारी की। इनसे पूछताछ के बाद कई दस्तावेज विवेचकों ने अपने कब्जे में ले लिए। खनन घोटाले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूरे प्रकरण की जांच सीबीआइ को सौंपी है। कौशाम्बी के आधा दर्जन यमुना घाटों से 2012 से 2016 के बीच बालू का अवैध खनन हुआ था। समाजसेवी अमर सिंह यादव ने इस मामले में सीबीआइ जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में सीबीआइ को जांच सौंपी थी। सीबीआइ की टीम इससे पहले तीन बार आ चुकी है। टीम शनिवार को सबसे पहले गोपसहसा गांव निवासी रमाकांत द्विवेदी के घर पहुंची। उन्हें महला घाट में बालू खनन का पट्टा हुआ था। आरोप है कि उन्होंने अवैध खनन कराया है। टीम ने उनके बेटों दयाशंकर व गिरजा शंकर से बंद कमरे में पूछताछ की। 

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